स्वास्थ्य

अगर आप या आपके परिवार के सदस्य भी जीत लिए है कोरोना से जंग,तो निम्न बातों का रखें ध्यान…पढ़िए क्या कहते हैं कोरोना को हराने वाले मरीज और रायगढ़ जिले के प्रमुख डॉक्टर्स…

जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़ जिले में 42, 309 लोग कोरोना से ठीक हो चुके हैं जिनमें 8, 713 बीते 10 दिनों में ही इस संक्रमण को मात दे चुके हैं। लेकिन ध्यान दें कोरोना हारा भले ही है, लेकिन भागा अब तक नहीं है।

कोरोना से ठीक होने के बाद भी कई लोग अब दूसरी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। कुछ को थोड़ा काम करने के बाद ही थकान होती है, तो कुछ को साँस लेने की शिकायत। कई लोगों को दिल का रोग लग गया है, तो कई और में दूसरी परेशानियाँ देखने और सुनने को मिल रही है।

नगर निगम के सफाई दारोगा अरविंद द्विवेदी 17 दिन पहले कोविड पॉजिटिव आए थे। उनका होम आइलोशन खत्म हो चुका है लेकिन मुंह का स्वाद अभी तक नहीं आया है और थोड़ा भी चलने में थक जाते हैं।

अरविंद की तरह धरमजयगढ़ के रामकुमार भगत भी कोविड हॉस्पिटल से लौट तो आए हैं पर उसके साइड इफेक्ट उनमें आलस औऱ घबराहट के तौर पर हैं।

डॉक्टरों की मानें, तो रोगियों को जितना ख़्याल कोविड-19 में रखना होता है, बीमारी से ठीक होने के बाद भी कुछ हफ़्तों या महीनों तक उतनी ही सतर्कता बरतनी जरूरी होती है क्योंकि छोटी सी लापरवाही भी भारी पड़ सकती है|

डॉक्टर्स का मत है कि 90 फीसदी से ज़्यादा कोविड-19 के मरीज़ घर पर रह कर ही ठीक हो जाते हैं। यह वह लोग होते हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल जाने की ज़रूरत नहीं पड़ती लेकिन घर पर रह कर ठीक हुए लोगों के लिए पोस्ट कोविड 19 केयर ज़रूरी है।

इसके बारे में विस्तार से बताते हुए प्रभारी जिला कार्यक्रम प्रबंधक व सेम्पलिंग के जिला नोडल अधिकारी डॉ. योगेश पटेल कहते हैं, हल्के लक्षण वाले मरीज़ो को भी पूरी तरह ठीक होने में 2-8 हफ्तों का समय लग सकता है| यह समय हर व्यक्ति के लिए अलग होता है। कमज़ोरी, एक साथ ज़्यादा काम करने पर थकान, भूख न लगना, नींद बहुत आना या बिल्कुल न आना, शरीर में दर्द, शरीर का हल्का गरम रहना, घबराहट – यह कुछ ऐसे लक्षण है जो माइल्ड मरीज़ों में आम तौर पर ठीक होने के बाद भी देखने को मिलते हैं।

खान-पान का रखें ध्यान-करें ब्रीदिंग एक्सरसाइज : डॉ प्रकाश मिश्रा

बालाजी मेट्रो हॉस्पिटल के प्रमुख डॉक्टर प्रकाश मिश्रा (एमडी मेडिसिन) कोरोना के मरीज़ों का इलाज कर रहे हैं। ठीक हुए हल्के लक्षण वाले मरीज़ों के लिए उनकी सलाह है: “अगर आप ख़ुद ही स्वस्थ महसूस कर रहे हैं, तो नेगेटिव रिपोर्ट के लिए ज़रूरत न हो तो टेस्ट न कराएं। 14 दिन बाद आइसोलेशन ख़त्म कर सकते हैं। रिकवरी के दौरान खाने-पीने का विशेष ख्याल रखें। प्रोटीन और हरी सब्जियां ज़्यादा मात्रा में ले ऐसा इसलिए क्योंकि इस बीमारी में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर हो जाती है।‘’

खाने का मन न हो तो थोड़े-थोड़े समय के अंतराल पर खाएँ और पानी सही मात्रा में पीएँ। नियमित योग और प्रणायाम करें, ब्रीदिंग एक्सरसाइज़ करें और एक साथ बहुत सारा काम न करें। ठीक होने के कुछ दिन बाद तक (15-30 दिन) ऑक्सीजन, बुखार, ब्लड प्रेशर, शुगर मॉनिटर ज़रूर करें। गरम या गुनगुना पानी ही पीएं, दिन में दो बार भाप ज़रूर लें। 8-10 घंटे की नींद ज़रूर लें और आराम करें। 7 दिन बाद डॉक्टर के साथ फॉलो-अप चेक-अप ज़रूर करें, डाक्टर मिश्रा ने बताया ।

डॉक्टर से नियमित रूप से सलाह लेते रहें : डॉ रूपेंद्र पटेल

अशर्फी देवी महिला चिकित्सालय के प्रमुख डॉक्टर रूपेंद्र पटेल की मानें तो कोविड19 के माइल्ड मरीज़ों में ठीक होने के 10 -15 दिन के भीतर काम पर लौट सकते हैं। धीरे-धीरे पुरानी दिनचर्या में लौटा जा सकता है। डॉक्टरों ने अगर कुछ दवाइयाँ कुछ हफ़्तों तक खाने की सलाह दी है तो वैसा ही करे, दवा बंद करने के पहले उनसे ज़रूरी सलाह लें। गंभीर मरीज़ जो कोविड19 से ठीक हो कर घर लौटें हैं, उनके सबके लिए एक गाइडलाइन नहीं हो सकती, इसे मरीज़ के इम्यून रेस्पांस और केस-टू-केस बेसिस पर ही देखा जाना चाहिए।

उनके हिसाब से शरीर में पानी की मात्रा सही रखने के लिए भरपूर तरल पदार्थ का सेवन, अच्छा खाना, एक साथ बहुत सारा काम नहीं करना जिससे थकान होने लगे – इन बातों का ख्याल तो गंभीर कोविड संक्रमण से ठीक हुए मरीज़ों को रखना ही होता है।

मेंटल हेल्थ के लिए काउंसलर की भी मदद :डॉ. राघवेंद्र बोहिदार

सहायक शहरी कार्यक्रम प्रबंधक डॉक्टर राघवेंद्र बोहिदार के मुताबिक़ कोविड से ठीक हुए मरीज़ को साइको-सोशल सपोर्ट ज़्यादा चाहिए होता है। ख़ास कर बुजुर्गों और दूसरी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को। घर पर आकर ऑक्सीजन चेक करना या ख़ुद के लिए ऑक्सीजन लगाना, समय पर सही दवाइयां खाना – यह छोटी छोटी दिक़्क़त होती हैं जो मानिसक तौर पर उन्हें काफ़ी परेशान कर सकती है| ऐसी सूरत में परिवार या आस-पड़ोस का सहयोग बहुत मायने रखता है। ज़रूरत पड़ने पर मेंटल हेल्थ के लिए काउंसलर की भी मदद लेनी चाहिए। पॉज़िटिव सोचना बहुत मायने रखता है.

अपने पिछले साल के अनुभव के आधार पर उन्होंने बताया गंभीर लक्षण वाले मरीज़ को पूरी तरह से ठीक होने में तीन महीने तक का वक़्त लग सकता है। जो ज़्यादा दिन अस्पताल में रह कर लौटे हैं, उनकी रिकवरी औरों के मुक़ाबले थोड़ी धीमी हो सकती है। लेकिन ऐसा नहीं कि इसB दौरान वो केवल बिस्तर पर ही रहे। ऐसे लोगों को ठीक होने के बाद ब्रीदिंग एक्सरसाइज, प्राणायाम से दिन की शुरुआत करनी चाहिए।

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