अन्य

सबसे पहले कहाँ बनी शराब: अगर धरती से शराब यकायक पूरी तरह से गायब हो जाए तो क्या होगा…

ये बात सही है कि शराब की मौजूदगी मानव के इतिहास में हजारों सालों से है. शराब का इतिहास हज़ारों साल पुराना है. इसका संबंध कृषि के इतिहास और सभ्यता से भी है. ये पूरी दुनिया का पसंदीदा पेय है.
वर्ष 2018 में दुनियाभर में 15 साल और उससे ज़्यादा उम्र के लोगों ने औसतन 6.2 लीटर शराब पी. क्या आपने कभी सोचा कि अगर शराब पूरी तरह से धरती से गायब हो जाए तो क्या होगा.

इसमें कोई शक नहीं कि ज्यादा शराब पीना स्वास्थ्य के लिए नुकसान दायक है. कुछ समय पहले वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन ने भी शराब के सेवन को लेकर चेतावनी जारी की कि ये हेल्थ के लिए ठीक नहीं. हालांकि ठंडे देशों में हेल्थ से जुड़े कुछ मामलों में इसका सीमित उपभोग स्वास्थ्य के लिए जरूरी भी माना जाता रहा है. वैसे तथ्य ये भी है कि दुनिया के 61.7 प्रतिशत लोग शराब नहीं पीते, इससे परहेज करते हैं.

सालाना 30 लाख मौतें
हमारे शरीर में जाने वाली शराब का मानव व्यवहार पर निश्चित रूप से असर पड़ता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, हर साल दुनियाभर में शराब से जुड़ी मौतें करीब 30 लाख होती हैं. यह सालाना होने वाली मौतों का 5.3 फीसदी है. इसमें वो लोग हैं जिन्होंने नशे में गाड़ी चलाई और दुर्घटना का शिकार हुए तो वो लोग भी जिन्होंने शराब पीकर हिंसा की और उनकी जान जाती रही. इससे जुड़ी बीमारियां तो खैर सबसे बड़ी वजह हैं ही.

अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में 2013 में शराब से संबंधित कार दुर्घटनाओं में 10,076 लोग मारे गए(स्रोत: डीओटी). यदि दुनिया से सारी शराब गायब हो जाए, तो निश्चित रूप से मौतों और हिंसा में वैश्विक गिरावट आएगी.

जहां शराब पर प्रतिबंध वहां क्या हाल

हालांकि ये बात सही है कि दुनिया के इतिहास में हर संस्कृति में लोगों ने किसी न किसी तरह नशीले पदार्थों के उपयोग होता रहा है. इन पर रोक लगाना बहुत मुश्किल है. मसलन सऊदी अरब में शराब पर प्रतिबंध है तो ये देश बहुत बुरी तरह नशीली दवाओं के संकट से जूझ रहा है. 2014 में पुलिस ने वहां 30 प्रतिशत एम्फेटामाइन बरामद किया. ईरान में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से शराब पर प्रतिबंध है तो वहां भी 20 लाख से ज्यादा लोग नशीली दवाओं का सेवन करने के आदी हैं.

करीब यही हाल उन दूसरे देशों का भी है जहां शराब प्रतिबंधित है. वहां ड्रग्स और दूसरे नशीले पदार्थों ने ज्यादा जगह बना ली है.

कैसे आदिम मनुष्य ने बनाई होगी शराब

लाखों साल पहले धरती पर शराब नहीं थी तो सभ्यता भी नहीं थी. आदिम मनुष्य शिकार करता था और पेड़ों से फल तोड़कर खाता था. लेकिन जब इन्हीं फलों के सड़ने के बाद आदिम मनुष्य ने उनके द्रव को गलती से पी लिया होगा तो उसे अलग से महसूस हुआ होगा, ये सुखद अनुभूति रही होगी. जब ये उसे अच्छा महसूस हुआ होगा तो उसने इस तरह शराब बनाना और पीना शुरू किया होगा. उसे अंदाज हो गया होगा कि सड़ रहा फल नशीला द्रव देता है. इसके बाद अनाजों का किण्वन शुरू हुआ होगा.

शराब सबसे पहले कहां बनी

शराब का सबसे पुराना प्रमाण 7000 और 6600 ईसा पूर्व के बीच चीन से मिलता है. मिस्र में वाडी कुब्बानिया पुरातात्विक स्थल पर आटा और पौधों के अवशेषों के मिश्रण से पता चलता है कि शराब बनाने का काम 18,000 साल पहले हुआ होगा. सभ्यता के विकास के साथ जब मनुष्य ने अनाज उगाना शुरू किया तो बीयर बनाना शुरू किया.

धरती पर अगर शराब खत्म हो जाए तो…

– शराब पीने की वजह से दिमाग के कॉर्टेक्स की बाहरी परत पतली हो जाती है. इसमें झुर्रियां आ जाती हैं. इससे लोगों के फ़ैसले लेने की ताकत कम हो जाती है. अमेरिका में हुई एक स्टडी के मुताबिक, अगर कोई शख़्स लगातार 7.3 महीने तक शराब पीना बंद कर दे, तो उसके दिमाग का कॉर्टेक्स ठीक होने लगता है.

– शराब सेहत के लिए अच्छी नहीं है. तमाम स्टडीज़ में ये निष्कर्ष सामने आ चुका है कि शराब की कोई भी मात्रा सेहत के लिए सही नहीं है.

– शराब और भोजन में संतुलन होना ज़रूरी है. अगर हमने कुछ नहीं खाया है, तो शराब पेट से होकर तेज़ी से छोटी आंत तक पहुंच जाती है. ऐसे में वो तेज़ी से खून में मिल जाती है.

– शराब पीने से आती-जाती काल्पनिक चीज़ें, भय और बेचैनी उत्पन्न करने वाला मतिभ्रम होने और काल्पनिक चीज़ें दिखने के साथ भटकाव की स्थिति होने की घटनाएं बढ़ सकती हैं.
– शराब पीने से लोगों का संतुलन बिगड़ जाता है, कभी-कभी उन्हें लगता है कि फ़र्श हिल रहा है, दीवारें गिर रही हैं या कमरा घूम रहा है.

– शराब पीने से ज़्यादातर लोग गंभीर रूप से सोचने-समझने की शक्ति गंवा देते हैं. अगर समय पर इलाज न किया जाए, तो डेलिरियम ट्रेमेंस जानलेवा हो सकता है.

– अगर दुनिया से शराब गायब हो जाए, तो मौतों और हिंसा में वैश्विक गिरावट आएगी. हालांकि, शराब की कमी शायद सभी समस्याओं का समाधान नहीं कर पाएगी.

नुकसान

– आमोद प्रमोद पर बहुत असर पड़ेगा.

– अल्कोहल का इस्तेमाल बहुत तरह की दवाओं में होता है उस पर असर पड़ेगा. इसमें बहुत सी दवाएं बहुत जरूरी भी होती हैं.

– तब लोग बेशुमार तौर पर दूसरी नशीली चीजों का सेवन शुरू कर देंगे, जिसका असर और भी खराब हो सकता है, ये बात बहुत से उन देशों में देखने में भी आती है, जहां शराबबंदी है. ऐसी जगहों पर दूसरे नशीलें द्रव्यों और ड्ग्स का सेवन बुरी तरह बढ़ गया है, जो स्वास्थ्य को लेकर ज्यादा गंभीर असर पैदा कर रही हैं और महंगी भी बहुत हैं.

– जाहिर सी बात है कि इससे दूसरे तरह के अपराध और माफिया में बढोतरी होगी.

– हमें इस तथ्य को भी ध्यान में रखना होगा कि शराब पानी, चीनी और खमीर से बनी होती है. यदि सारी शराब गायब हो गई, तो इसमें इस्तेमाल होने वाला कम से कम एक घटक भी गायब हो जाएगा. इस तरह से कोई और शराब नहीं बनाई जा सकेगी. इसका असर दूसरी तरह से लोगों पर होना शुरू हो जाएगा.

– जो लोग शराब के बुरी तरह आदी हो चुके हैं, उन्हें डील करने के लिए पूरा कार्यक्रम चलाना होगा और इससे जुड़े साइड इफेक्ट्स में भी बढोतरी हो सकती है.

– सबसे बड़ा असर दुनियाभर में इसके बहुत बड़े बिजनेस, अर्थतंत्र और राजस्व पर पडे़गा. दुनिया भर में अल्कोहल यानी शराब का कारोबार 1448.2 अरब डॉलर का है. साल 2022 से 2028 के बीच इसमें सालाना 10.3 फ़ीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है. साल 2025 तक यह 1976 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है. ये पूरा बिजनेस अगर धड़ाम हुआ तो विश्व की अर्थव्यवस्था पर तुरंत इसका असर देखने को मिलने लगेगा.

– दुनियाभर में बहुत सी सरकारों के कामकाज पर इसका बहुत असर होगा, क्योंकि शराब की बिक्री से दुनियाभर की सरकारें बडे़ पैमाने पर राजस्व वसूलती हैं और इससे इकट्ठा पैसा सरकार के कामकाज, खर्च और विकास कामों के साथ साथ सरकारी अमले को वेतन के फंड के लिए भी किया जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *