फैमिली न्यूज़

केवल इस उम्र तक बच्चों को अपने पास सुलाएं मां-बाप, वर्ना हो सकते हैं गम्भीर नुकसान…

को माता-पिता से दूर या अलग बिस्तर सुलाया जाना चाहिए। आइए जानें क्या है बच्चों को अलग बिस्तर पर सुलाने की सही उम्र।
शिशुओं और बहुत छोटे बच्चों को पेरेंट्स अपने साथ ही सुलाते हैं।
वहीं, कुछ बच्चे 8-10 साल की उम्र होने तक भी अपने माता-पिता के साथ ही सोते हैं। यह माता-पिता और बच्चे की पसंद के ऊपर निर्भर करता है कि वे एक ही बेड में सोएं। इसीलिए, कई बार टीनएज के बाद ही बच्चों को अलग बिस्तर पर सुलाया जाता है। हालांकि, यह सवाल भी अक्सर पूछा जाता है कि बच्चों को अलग बेड पर या अलग रूम में सुलाने का काम किस उम्र से करना चाहिए। क्योंकि,कुछ लोगों के अनुसार छोटी उम्र में ही अगर बच्चों को माता-पिता से दूर या अलग बिस्तर सुलाया जाना चाहिए। एक उम्र के बाद बच्चे को मां-बाप के साथ सुलाना नुकसानदायक साबित हो सकता है। इससे बच्चे की मानसिक ग्रोथ पर भी असर पड़ता है। आइए जानें किस उम्र के बाद बच्चे को अलग बिस्तर पर सुलाना शुरू कर देना चाहिए।

क्या हैं बच्चों को साथ सुलाने के फायदे-नुकसान

छोटे बच्चों का अपने मां-बाप के साथ उनकी सुरक्षा और मेंटल हेल्थ के लिहाज से अच्छा होता है। क्योंकि छोटे बच्चे रात में कई बार जागते हैं। ऐसे में उनके मन से डर निकालने के लिए उन्हें साथ सुलाना जरूरी है। वहीं, शिशुओं को मां-बाप के साथ सुलाना उनकी ग्रोथ के लिए जरूरी बताया जाता है। लेकिन, कुछ समय बाद बच्चे को अलग बिस्तर पर सुलाने की आदत डाल देनी चाहिए। एक स्टडी में कहा गया कि 3-4 साल तक की उम्र तक बच्चों का उनके माता-पिता के साथ सोना (sleeping with parents side effects) उनकी मेंटल हेल्थ के लिए अच्छा होता है। क्योंकि, ऐसा करने से उनका कन्फिडेंस बढ़ता है। इससे बच्चे के मन से डर कम होता है और बच्चों को मेंटल हेल्थ से जुड़ी समस्याएं भी कम ही हैं।

इस उम्र से सुलाएं बच्चों को अलग बिस्तर पर

एक्सपर्ट्स के अनुसार 4-5 साल की उम्र के बाद पेरेंट्स को बच्चों को अलग जगह सुलाना शुरू करना जाए। इसी तरह टीनएज के आसपास जब बच्चा प्यूबर्टी (puberty) की ओर बढ़ता है तब उन्हें अलग सुलाना उसके लिए ठीक होता है। इससे बच्चे को अपनी स्पेस मिलती है और इससे उसे अपने शरीर में हो रहे बदलावों को समझने में भी आसानी होती है।

स्टडीज की मानें तो बड़े हो रहे बच्चों को अलग ना सुलाने से उनकी मेंटल और फिजिकल ग्रोथ से जुड़ी कुछ समस्याएं भी हो सकती हैं जैसे-

इससे बच्चो की ग्रोथ धीमी हो सकती है।
बच्चे की मेमरी कमजोर हो सकती है।
बच्चे में डिप्रेशन बढ़ सकता है।
बच्चे में मोटापा, थकान और सुस्ती जैसी समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *