सारंगढ़ में गणगौर का विसर्जन बाजें गाजे के साथ हुआ सम्पन…
सारंगढ़ । भारत विविध त्योहारों का देश है। इसमें विभिन्न राज्यों और उनकी संस्कृति के रंग भरे हुए हैं। एक कहावत है सात वार और नौ त्यौहार अर्थात सप्ताह में केवल 7 दिन होते हैं लेकिन त्यौहार नौ होते हैं। गणगौर या गौरी तृतीया एक जीवंत धार्मिक त्योहार है जो देवी पार्वती और भगवान शिव के दिव्य प्रेम का जश्न मनाता है। गणगौर होली के बाद मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर आधार पें चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रंगों का त्योहार। गणगौर या गौर माता एक स्थानीय देवी और भगवान शिव की पत्नी देवी पार्वती का एक रूप हैं। सीता केजरीवाल ने बताया कि – मारवाड़ी लोग सोलह दिनों तक गणगौर की पूजा करते हैं । गणगौर त्योहार विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है क्योंकि वें अपने पतियों के स्वस्थ जीवन और स्वस्थ वैवाहिक संबंधों के लिए देवी पार्वती की पूजा करती हैं। भगवान शिव जैसा समझदार और सबसे अच्छा पति पाने के लिए कुंवारी लड़कियां भी पूजा और गणगौर उत्सव में भाग लेती हैं।
गणगौर विसर्जन करने जा रही मधु केजरीवाल ने बताया कि – गणगौर पूजा शुरू करने के लिए सबसे पहले एक बर्तन स्थापित किया जाता है और उस पर एक साथिया (एक पवित्र चिन्ह) बनाया जाता है। इसके बाद एक कलश रखा जाता है, जिसमें पानी भरा होता है, जिसके किनारों पर पांच पान के पत्ते होते हैं और उसके बीच में कलश की तरह नारियल रखा होता है। इसे स्टूल के दाहिनी ओर रखा जाता है। अब बर्तन में सवा रुपये रखे जाते हैं और एक सुपारी को भगवान गणेश के रूप में पूजा जाता है। होली की राख और काली मिट्टी से सोलह छोटे-छोटे गोले बना कर चौकीपर रखें। इसके बाद जल, कुमकुम , चावल के बीज छिड़ककर पूजा पूरी की जाती है। दीवार पर एक कागज लगाया जाता है और विवाहित लड़की सोलह – सोलह टिक्कियाँ लगाती है और अविवाहित लड़की क्रमशः कुमकुम, हल्दी, मेंहदी और काजल की आठ-आठ टिक्कियाँ लगाती है। इसके बाद सभी महिलाएं मिलकर ढोलक बजाते हुए सोलह बार गणगौर गीत गाती हैं।
शाम के समय गाजे-बाजे के साथ गणगौर को पानी में विसर्जित करने जा रहें शशि कला अग्रवाल ने बताया कि – गणगौर के विसर्जन के बाद सभी लोग वाद्ययंत्रों के साथ नाचते-गाते घर आते हैं ।
गणगौर शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है गुण का अर्थ है शिव और गौर का अर्थ है गौरी मां पार्वती। यह त्यौहार भगवान शिव , देवी पार्वती के प्रेम और विवाह को समर्पित है। गणगौर एक ऐसा त्योहार है जिसे लड़की हो या महिला हर कोई मनाता है। त्योहार के दौरान अविवाहित लड़कियां और विवाहित महिलाएं दोनों ही पूरे रीति-रिवाजों और रीति-रिवाजों के साथ भगवान शिव और माता पार्वती के एक रूप गणगौर की पूजा करती हैं। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करती हैं जबकि अविवाहित लड़कियां भगवान शिव जैसा अच्छा पति पाने के लिए प्रार्थना करती हैं। यह त्यौहार महिला के साधारण दैनिक जीवन को एक अलग रंग और जीवंतता देता है।