CG-Political Story : महिला वोटरों को लेकर ‘BJP-कांग्रेस’ में छिड़ी चुनावी जंग! इसके बड़े सियासी मायने…

लोकसभा चुनाव के समर में बीजेपी-कांग्रेस (BJP-Congress) का पूरा फोकस महिला वोटरों (Women voters) पर है। वैसे पहले ही बीजेपी ने महतारी वंदन योजना के जरिए महिलाओं का भरोसा जीत लिया है।
इन सबके बीच कांग्रेस की नारी न्याय योजना के जरिए महिला वोटरों को लुभाने की कोशिश जारी है। लेकिन पिछली भूपेश सरकार ने निराश्रित महिलाओं को प्रतिमाह पांच सौ रुपए पेंशन देने का वादा किया था, लेकिन सत्ता में आने के इस वादे भी मुकर गई। ऐसे में बीजेपी का कहना है छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश की महिलाओं को कांग्रेस पर भरोसा नहीं रह गया है। जबकि यहां छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव की सरकार ने महतारी वंदन योजना के तहत 1 हजार रुपए प्रतिमाह महिलाओं के खाते में देने वादा पूरा किया है।
इसके पीछे बीजेपी का तर्क है शक्ति का अपमान करने वाले, नारी शक्ति से झूठे वायदे करने वाली कांग्रेस आखिर किस मुंह से नारी शक्ति से समर्थन की उम्मीद कर रही हैं। इनकी नारी न्याय की गारंटी मात्र दिखावा और छलावा है ….?
कांग्रेस ने नारी न्याय गारंटी के तहत जो घोषणा की है। वह पूरी तरह से हास्यास्पद है। कहा कि देश का कुल बजट 45 लाख करोड़ का होता है और उनकी उस योजना में 50 लाख करोड़ बांटने की बात कह रहे हैं। इनके अलावा किसानों को जो एम एस पी देने वादा किया है उस पर भी 17 लाख करोड़ रुपए होते हैं। कुल मिलाकर देश के बजट से ज्यादा ये योजनाएं के लिए देने बोल रहे हैं यह समझ से परे हैं।
प्रदेश में वोटों के लिहाज से छत्तीसगढ़ में महिलाएं ही चुनाव का फैसला करेंगी. प्रदेश में वोटर्स की कूल संख्या 2 करोड़ 5 लाख 13 हजार 252 है । जिसमें पुरुष वोटर की संख्या 1 करोड़ 1 लाख 80 हजार 405 है और महिला वोटर की संख्या 1 करोड़ 3 लाख 32 हजार 315 है । पुरुष वोटर की तुलना में महिला वोटर 2 लाख ज्यादा हैं ।
डिप्टी सीएम विजय शर्मा बोले, अपने वादों को नहीं निभाया, इसलिए ही जनता ने उनको नकारा
बीजेपी की महतारी वंदन योजना महिलाओं को हर महीने 1 हजार रुपये और सलाना 12 हजार रुपये देती है । तो वहीं कांग्रेस की नारी न्याय गांरटी योजना में महिलाओं को सलाना 1 लाख रुपये देने का वादा किया गया है। यानी महिलाओं को हर महीने 8 हजार 333 रुपये मिलेंगे । मुद्दा बड़ा है तो सियासत भी जमकर हो रही है । प्रदेश के डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि बात विश्वनीयता पर है कि जनता का विश्वास किस पर है । कहना अलग बात होती है और करना अलग बात. पिछली बार इन्होंने अपने वादों को नहीं निभाया, इसलिए ही जनता ने उनको नकारा है। अभी 6 महीना भी नहीं बीता है, अगर फिर वो बातें करनी शुरू करेंगे तो कैसे उसे स्वीकारा जाएगा । 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने महिलाओं से शराबबंदी का वादा भी पूरा नहीं कर पाई। ऐसे में कांग्रेस के पूर्व में वादों को नहीं पूरा करने के घटनाक्रम से यह समझा जा सकता है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा। यह तो 4 जून को ही पता चल पाएगा कि आधी आबादी ने किस पर भरोसा किया है।
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