बिग ब्रेकिंग-महिला सरपँच ने लगाया सचिव पर भ्रस्टाचार का आरोप..! बिना जानकारी डी ए सी अपने कब्जे में रख सचिव करता है लाखों का हेरफेर…!

जगन्नाथ बैरागी
जशपुर/बगीचा:- प्रदेश के जशपुर जिले में इन दिनों भर्राशाही के साथ में घोटाला और भ्रष्टाचार अब चरम पर है। कभी स्वास्थ्य विभाग का करोड़ों का घोटाला तो कभी मनरेगा के कार्यों में करोड़ो का भ्रष्टाचार लागातार उजागर हो रहा है। वहीं अब एक ऐसा बड़ा घोटाला का मामला फिर से जिले के बगीचा ब्लाक के डोभ ग्राम पंचायत से सामने आया है, जहां लाखों रुपये का घोटाला का आरोप इस बार ग्राम पंचायत के ही सचिव के ऊपर लगाया गया है। खास बात यह है कि यह आरोप किसी और ने नही बल्कि उसी ग्राम पंचायत के सरपंच ने लगाया है। ग्राम पंचायत डोभ के महिला सरपंच सस्ती नागदेव ने सचिव पर कई गम्भीर आरोप लगाये हैं।आदिवासी महिला सरपंच ने बगीचा जनपद के सीईओ से लिखित शिकायत करते हुए पूरे मामले का खुलासा किया है।
लिखित शिकायत करते हुए सरपंच ने बताया कि मैं अनुसूचित जनजाति नगेसिया की सदस्य होकर गरीब महिला सरपंच हूँ। यह कि मुझे सचिव रामश्रवन यादव के द्वारा कोई जानकारी दिये ही मेरा डी.ए.सी.(डिजिटल साइन) लगभग एक वर्ष पूर्व से अपने कब्जे में रखा है। तथा सभी मदों की राशि मेरी जानकारी के बगैर स्वयं आहरित कर रहा है। उक्त सम्बन्ध में संदेह होने पर जब मैं बगीचा कार्यालय में पता की तो पता चला की सचिव के द्वारा मुझे जानकारी दिये बगैर 13वें एवं 14 वें वित्त की राशि लगभग 21 लाख रुपये आहरित कर चुका है।उक्त संबंध में जब ग्राम पंचायत की बैठक कर सचिव से जानकारी मांगी गयी तब वह जानकारी देने से अनाकानी कर रहा है। सरपंच ने कहा कि मैं एक आदिवासी महिला सरपंच हूँ। सचिव के द्वारा बगैर कोई जानकारी दिये पैसों का आहरण किया जा रहा है। जिसमें में अत्यन्त दुःखी हूँ, सचिव के द्वारा किसी योजना की कोई जानकारी मुझे नहीं देने से मैं अपने पंचायत के नागरिको को पंचायत की योजना बताने में भी असमर्थ हूँ। छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा 10 वर्ष से अधिक एक ही स्थान पर पदस्थ सचिवों को स्थानांतरित करने की योजना बनाई गई है।जिससे बचने के लिए भी सचिव के द्वारा अन्य पंचों के साथ मिलकर स्थानान्तरण रुकवाने का प्रयास किया जा है। सरपंच सस्ती नागदेव ने मांग की है कि सचिव रामश्रवन यादव से मेरा डी.एस.सी मुझे वापस करवाने तथा मेरी जानकारी के बगैर सचिव द्वारा आहरित 21 लाख की राशि के सबंध में स्पष्टिकरण देने तथा 10 वर्ष से अधिक समय से पदस्थ उक्त सचिव का स्थानान्तरण करने हेतु आवश्यक पहल करें। मामले ल पड़ताल में यह बात सामने आई है कि सचिव के द्वारा आहरित 21 लाख में से दो स्थानों पर लगभग छह, सात लाख के कार्य हुए हैं, जिसमें गुणवत्ता का अभाव है, बाकी शेष राशि सचिव के द्वारा बंदरबांट कर ली गई है।
बताया जा रहा है कि इतनी बड़ी राशि के बंदरबांट में सचिव अकेले ही नहीं बल्कि विकासखंड के कुछ अधिकारियों की भी संलिप्तता है। वही सचिव को बचाने के लिए जशपुर जिले के बड़े जनप्रतिनिधि भी संरक्षण दे रहे हैं जिस कारण अब तक सचिव के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं हुई है। जिसके कारण सब सरपंच के द्वारा राज्य सरकार व अनुसूचित जाति जनजाति आयोग में मामले की जांच के लिए दरवाजा खटखटाने की बात कही गई है।
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