चक दे इंडिया: जर्मनी को हराकर भारत ने ख़तम किया 41 साल का सूखा…ब्रॉन्ज पर किया कब्जा….

नई दिल्ली: 41 साल…जी हां, 41 साल। जिस पल के लिए दशकों बीत गए, आखिरकार उसे मुकाम तक पहुंचाने के लिए भारत की मेहनत रंग लाई। जर्मनी को शिकस्त देकर भारतीय हॉकी टीम ने गुरुवार को इतिहास रचा। टोक्यो ओलंपिक्स में भारत ने ब्रॉन्ज मेडल के मुकाबले में जर्मनी को रौंद पदक पर कब्जा जमा लिया। इस तरह ओलंपिक्स में भारत के पदक जीतने का सपना 41 साल बाद पूरा हो गया।
भारतीय टीम 1980 मॉस्को में अंतिम बार गोल्ड मैडल जीती थी। इसके बाद से ही भारत के हाथ ओलंपिक्स पदक के लिए तरस रहे थे, लेकिन जिस तरह से भारतीय टीम ने धमाकेदार प्रदर्शन किया, उसने करोड़ों देशवासियों के रौंगटे खड़े कर दिए। ये भी सच है कि इस ऐतिहासिक पल का गवाह बनते-बनते प्रशंसक भाव विभोर हो गए।
कांटे का मुकाबला, इस तरह मिली जीत
जर्मनी ने अच्छी शुरुआत करते हुए पहले ही मिनट में गोल दाग दिया। पहले मिनट में जर्मनी के तिमुर ओरुज ने ओपनिंग गोल कर टीम को 1-0 से आगे कर दिया। इसके बाद भारत को पहला पेनल्टी कॉर्नर पांचवें मिनट में मिला, लेकिन रुपिंदर का ड्रैग फ्लिक गोल में तब्दील नहीं हो सका।
दसवें मिनट में जर्मनी के मैट्स ग्रैम्बश ने गोल करने का प्रयास किया लेकिन श्रीजेश ने अच्छा बचाव करते हुए इसे भारतीय गोलपोस्ट से दूर कर दिया। पहला क्वार्टर पूरा होने तक जर्मनी पूरी तरह से हावी रही और 1-0 की बढ़त बनाए रखी। हालांकि भारत ने बचाव जारी रखे और जर्मनी को दूसरा गोल करने का मौका नहीं दिया।
दूसरे क्वार्टर में भारत ने शानदार वापसी की और 17वें मिनट में सिमरनजीत सिंह ने गोल दाग स्कोर 1-1 से बराबर कर दिया। इसके बाद 24वें मिनट में जर्मनी के निकालस वेलेन ने दूसरा गोल दागकर टीम को 2-1 से आगे कर दिया। इसके कुछ ही देर बाद जर्मनी ने तीसरा गोल दागकर भारत पर 3-1 से बढ़त बना ली।
इस गोल के साथ ही भारत की चुनौती भी बढ़ गई, लेकिन टीम ने शानदार वापसी करते हुए 28वें मिनट में दूसरा गोल दागकर इस चुनौती को कम कर दिया। भारत के लिए हार्दिक सिंह ने दूसरा गोल किया। इसके एक मिनट के बाद ही 29वें मिनट में भारत की ओर से हरमनप्रीत सिंह ने तीसरा गोल कर टीम इंडिया की जबर्दस्त वापसी करा दी। दूसरे क्वार्टर में कांटे की टक्कर देखने को मिली।
तीसरे क्वार्टर की शुरुआत में भारत को पेनल्टी स्ट्रोक मिला। जिसे रुपिंदर पाल सिंह ने गोल में तब्दील कर भारत को 4-3 से अहम बढ़त दिला दी। इसके कुछ ही देर बाद भारत के लिए पांचवां गोल सिमरनजीत सिंह ने किया। सुमित मिडफील्ड से डी तक दौड़कर आए और फिर सिमरनजीत के पास गेंद जाते ही इसे शानदार गोल में तब्दील कर दिया गया। इस तरह भारत ने तीसरे क्वार्टर में 5-3 से अहम बढ़त बना ली।
चौथे और फाइनल क्वार्टर में जर्मनी ने चौथा गोलकर दागकर मुकाबले को रोमांचक बना दिया। चौथे क्वार्टर में मुकाबला कांटे का रहा। जर्मनी को आखिरी 7 सेकंड में पेनल्टी कॉर्नर मिला, लेकिन ये गोल में तब्दील नहीं हो सका। इस तरह भारत ने 41 साल बाद हॉकी में पदक पर कब्जा जमा लिया।
इतिहास रचने का मौका मिला
भले ही टीम इंडिया सेमिफाइनल मुकाबला नहीं जीत पाई हो, लेकिन ब्रॉन्ज मेडल की उम्मीदें बरकरार थीं। टोक्यो ओलंपिक्स में भारत की जीत के साथ ही पांचवां मेडल पक्का हो गया।
भारत की हॉकी टीम ओलंपिक में अब तक की सबसे सफल टीम है, जिसने ओलंपिक्स में 11 मैडल जीते हैं। खास बात ये है कि इसमें 8 स्वर्ण पदक शामिल हैं। भारत 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964, 1980 में खेलों में चैंपियन के रूप में उभरा और गोल्ड पर कब्जा जमाया।
1960 रोम में टीम को सिल्वर, 1968 मैक्सिको सिटी और 1972 म्यूनिख ओलंपिक्स में इसे ब्रॉन्ज मेडल प्राप्त हुआ। इसके बाद किसी भी ओलंपिक्स में भारतीय टीम को मेडल जीतने में सफलता नहीं मिल पाई, लेकिन गुरुवार 5 अगस्त को भारतीय हॉकी टीम ने वो कर दिखाया, जिसका इंतजार दशकों से चल रहा था।
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