फिल्मी नही रियल नायक थे डॉक्टर शक्राजीत…किसी दल नही बल्कि ख़ुद के नाम और काम की वजह से करते थे जनता के दिलों मे राज…पढ़िए एक संक्षिप्त परिचय…

जगन्नाथ बैरागी
रायगढ़-रायगढ़ के पूर्व विधायक व पूर्व सिंचाई मंत्री डॉ. शक्राजीत नायक का रायपुर में दुःखद निधन हो गया है। वे काफी दिनों से अस्वस्थ भी चल रहे थे।
डॉ. नायक सरिया व रायगढ़ से चार बार विधायक चुने गए थे। पहली दो बार भाजपा और फिर कांग्रेस से चुनाव लड़े। वे साल 2001 से 2003 तक अजीत जोगी सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। सही मायने में जनता का नायक वही होता है जिसे जनता किसी दल के चिन्ह से नही बल्कि दिल से चाहे यह सौभाग्य पूर्व विधायक डॉ शक्राजीत नायक की हासिल है। सारंगढ व रायगढ़ से लगा सरिया विधान सभा जहाँ सारंगढ पैलेस की तूती बोलती रही कांग्रेस के खिलाफ विरोध के स्वर गले मे ही दब के रह जाते थे । भाजपा के लिए कोई झंडा उठाने वाले कार्यकर्ता नही मिलते थे । राजनीति से दूर एक युवा नागपुर में प्रोफ़ेसर की डिग्री के लिए अध्ययन रत था और साथ मे कृषि के क्षेत्र में डॉक्टरेट की उपाधि हासिल करने वाले पहले व्यक्ति डॉ शक्रा जीत नायक ही थे। कांग्रेस के शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए उन्होंने भाजपा ज्वाइन की और अविभाजित मध्यप्रदेश में 1990 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने महल का प्रभाव इस सीट से खत्म किया और कमला देवी को पराजित कर पहली बार विधायक बनें। उनका मानना था कि यदि वे कांग्रेस ज्वाइन करते तो उन्हें कभी टिकट नहीं मिलता, क्योंकि महल में ही कमला देवी की बहनें कांग्रेस में टिकट की दावेदार थीं। 1993 में फिर विधानसभा चुनाव हुए, लेकिन इस बार वे कांग्रेस के जवाहर नायक से हार गए। 1998 के विधानसभा चुनाव में डाक्टर शक्राजीत दूसरी बार सरिया से ही विधायक बने और उन्होंने जवाहर नायक को हरा दिया।
2001 में ज्वाइन कर ली कांग्रेस
साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ का गठन हुआ और अजीत जोगी मुख्यमंत्री बने तो भाजपा के 12 विधायकों ने कांग्रेस ज्वाइन कर ली। इसमें डाॅक्टर शक्राजीत नायक भी शामिल थे। उन्होंने पार्टी बदली और जोगी सरकार में वे जल संसाधन मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्होंने रायगढ़ जिले में सिंचाई को लेकर कई महत्वपूर्ण योजनाओं पर काम शुरू कराया। इसी समय नए परिसीमन में सरिया विधानसभा सीट खत्म कर दी गई। साल 2003 में वे कांग्रेस की टिकट पर रायगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़े, लेकिन विजय अग्रवाल से हार गए।
भाजपा को जड़ो से मजबूत करने में डॉ का नाम सबसे ऊपर है लेकिन स्वर्गीय लखीराम से उनके रिश्ते सहज नही रहे । सरिया में उनकी काबलियत व योग्यता की अनदेखी नायक समर्थको को लंबे समय से साल रही थी। उन्होंने छग गठन के बाद भाजपा विधायक रहते उन्होंने पार्टी छोड़ कर कांग्रेस ज्वाइन की और केबिनेट दर्जा प्राप्त सिंचाई मंत्री बने। भाजपा छोड़ कर आये सभी विधायकों में कुछ लोगो को कांग्रेस ने टिकट दी लेकिन चुनाव डॉ नायक ही जीत पाए। डॉ नायक ऐसे नेता रहे जिन्होंने भाजपा व कांग्रेस दोनो दलों में रहते हुए जीत हासिल की। भाजपा सरकार की विधान सभा के उंन्हे सर्वश्रेष्ठ विधायक से नवाजा गया। परिसीमन के दौरान सरिया का आधा हिस्सा सारंगढ व आधा हिस्सा रायगढ में समाहित हो गया। छग में दूसरे चुनाव के दौरान कांग्रेस ने उन्हें रायगढ से टिकट दी उंन्होने भाजपा विधायक विजय अग्रवाल को बड़े अंतर से हराया। इस दौरान उनके राजनैतिक उत्तराधकारी प्रकाश नायक जिला पंचायत चुनाव जीत चुके थे और पिता की राजनैतिक विरासत का पाठ भली भाँति सिख रहे थे। 2008 का चुनाव जितने के बाद पार्टी ने उन्हें 2013 में अपना उम्मीदवार बनाया लेकिन इस बार उनके जीत के क्रम को भाजपा के स्वर्गीय रोशन लाल ने तोड़ा। उनकी हार के बाद स्वास्थ्य गत कारणों की वजह से उनकी राजनीति में सक्रियता कम हुई लेकिन उनके बेटे प्रकाश नायक ने यह दायित्व बखूबी से संभाला और 2018 के दौरान प्रकाश नायक को पार्टी ने टिकट दिया उंन्होने अपने पिता की हार का बदला स्वर्गीय रोशन लाल को परास्त कर लिया। शक्राजीत नायक जन नेता रहे और जिस पार्टी में रहे उसके लिए समर्पित रहे। उनकी विद्वता का लोहा विपक्षी भी मानते रहे । सत्ता हो या न हो उंन्होने जनता से सीधा संवाद रखा चुनाव जीतने के बाद कार्य के मामले में भाजपाइयों को भी निराश नही किया सही मायने वे जनता के नायक रहे।
*उनके जीवन पर एक नजर-*
डॉ. शक्राजीत नायक का जन्म 25 मई 1946 को सरिया बरमकेला क्षेत्र के नवापाली में हुआ था उनके पिता जी का नाम स्व. श्री लालमन नायक है। और उनका विवाह 08 जून,1966 को श्रीमती जानकी नायक के साथ हुआ था। उनके दो पुत्र रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक व जिला पंचायत सदस्य कैलाश नायक और 3 पुत्रियां है वे एम. एस-सी., पी-एच.डी. कीट विज्ञान किया है। वे वर्तमान में गजानंदंद पुरुरम,कोतेरा रायगढ़ में रहते थे। उन्हे कृषि तकनीक का प्रचार-प्रसार उत्कृष्ट विधायक पुरस्कार 2007-08 में छत्तीसगढ़ की द्वितीय विधान सभा में मिला था। उनकी विशेष उपलब्धियाँ: एम.एस-सी. (प्राणी शास्त्र) में मेरिट में प्रथम स्थान प्राप्त।
एक नज़र राजनीतिक जीवन पर
1969 – प्राध्यापक (प्राणी शास्त्र विभाग), नागपुर विश्वविद्यालय.
1978 – प्राचार्य, गुरूनानक महाविद्यालय, बल्लारपुर, सेवा का त्यागकर कृषि व सामाजिक कार्य में संलग्न.
1980 – जनता पार्टी में प्रवेश तथा महामंत्री, जनता पार्टी, जिला-रायगढ़
1986,1989 – अध्यक्ष, भाजपा, जिला-रायगढ़.(दो बार निर्वाचित)
1990 – प्रथम बार निर्वाचित तदन्तर 1998, 2003 तथा चौथी बार 2008 में विधान सभा हेतु निर्वाचित.
2000 – उपाध्यक्ष, छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा.
– सदस्य, लोक लेखा समिति, सदन समिति, छ.ग. विधान सभा.
2001 – राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), जल संसाधन विभाग, छ.ग. शासन.
2004 – सदस्य, लोक लेखा समिति, प्रत्यायुक्त विधान समिति, छत्तीसगढ़ विधान सभा
2008 – राजीव गांधी पंचायती राज संगठन-कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी द्वारा छत्तीसगढ़ हेतु चेयर पर्सन नियुक्त
2009 – सदस्य, विशेषाधिकार समिति, सामान्य प्रयोजन समिति, सदस्य सुविधा एवं सम्मान समितिछत्तीसगढ़ विधानसभा
2010 – सदस्य, विशेषाधिकार समिति, सामान्य प्रयोजनसमिति, छत्तीसगढ़ विधानसभा
2011 – सदस्य, कार्यमंत्रणा समिति, प्राक्कलन समिति,सामान्य प्रयोजन समिति, छत्तीसगढ़ विधानसभा निर्वार्चर्चचन क्षेत्र – रायगढ़
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