छत्तीसगढ़ का चमत्कारी मंदिर – मां चंद्रहासिनी – चंद्रपुर जहाँ नवरात्र में होती है हर मनोकामना पुरी !चैत्र नवरात्र में मां चंद्रहासिनी के दरबार में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़.. अपनी मनोकामना हेतु जमीन पर लोटते (कर नापते ) दर्शन को मंदिर पहुंचते है भक्तगण… मंदिर के आसपास सफाई, पेयजल, cctv कैमरे, स्वास्थ्य, पार्किंग, सुरक्षा आदि की व्यवस्था दुरुस्त…

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चंद्रपुर। नवगठित सक्ती जिले के चंद्रपुर में स्थित चंद्रहासिनी देवी मंदिर में मां चन्द्रहासिनी :बाराही: रूप में पूजी जाती है। इस संदर्भ में पुराणों में कथा है कि महाराज दक्ष के यज्ञ में भगवान शंकर के अपमान से कुपित देवी सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर अपनी जान दे दी। जिसके पश्चात उस बिछोह से व्यथित भगवान शंकर देवी सती के निष्प्राण शरीर को कंधे पे ले भटकने लगे जिसे भगवान विष्णु ने चक्र से विच्छेद कर दिया । जिस क्रम में देवी सती के शरीर का जो अंग जिस जगह गिरा वहा शक्ति पीठ की स्थापना हुई। मान्यता है कि देवी सती का अधोदन्त (दाढ़) चंद्रपुर में गिरा जिस से यह स्थान भी शक्ति पीठ के रूप में मान्य है। : दसनामी साधु परम्परा के श्री करपात्री जी महाराज: ने भी इस बात की पुष्टि ओर इस प्रसंग का वर्णनन कल्याण पत्रिका में अपने एक आलेख में किया है। वही उनके रचित भक्ति सुधा ग्रंथ में भी इस का उल्लेख मिलता है।

उन्होंने अपने चन्द्रपुर
प्रवास के दोरान भी इस विषय की जानकारी भक्त जनो को अपने सम्बोधन के द्वारा दी। चंद्रपुर स्थिति देवी मंदिर में प्रत्येक वर्ष देवी के पावन चेत्र नवरात्र के समीप आते ही भक्तो का तांता मंदिर दर्शन को लगने लगता है। लोगों की आवाजाही और भीड़ को मंदिर के मुख्य द्वार, नगर की गली, सड़को पर देखा जाने लगता हे। ऐसे में आने वाले दर्शनार्थियों को ध्यान में रख मंदिर की साफ सफाई व दर्शनार्थियों की सुविधा की दृष्टि से मंदिर परिसर के साथ मंदिर के आसपास में पेयजल, cctv कैमरे, स्वास्थ्य, पार्किंग, सुरक्षा आदि की व्यवस्था दुरुस्त की जाती है। वही मंदिर प्रशासन स्थानीय प्रशासन डर पुलिस, राजस्व, नगर निकाय, बिजली, स्वास्थ्य विभाग के साथ तालमेल कर दर्शनार्थियों की सुरक्षा सुविधा को भी उचित व्यवस्था करते है। इस वर्ष चैत्र नवरात्र पर आस्था के जोत रूपी लगभग 6000 से अधिक तेल ज्योत कलश जलने की संभावना है। इस वर्ष चेत्र नवरात्र 9 अप्रेल को नवरात्र पर्व के प्रथम दिवस प्रातः 8 बजे भव्य कलश यात्रा ढोल बाजे के के साथ निकाल कर विधिवत पुजा अर्चना कर नवरात्र पे देवी आराधना आरम्भ की जायेगी। जैसा की नवरात्र पर्व के पहले दिन से ही भारी संख्या में दर्शनार्थी पहुचने लगते है जो नवरात्र के अंतिम दिनों में प्रती दिवस लाखो की संख्या में रहती है। दिनों दिन दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ती रहतीं है, यह संख्या शासकीय छुट्टी होने वाले दिवस में दर्शनार्थियों की संख्या में और भी बढ़ोतरी होने की संभावना है। यहां नवरात्रि के साथ वर्ष भर सुदूर क्षेत्रों से अधिकारियो, नेताओं समेत आमजन का दर्शन लाभ को आना होता है। साथ ही हजारों की संख्या में पदयात्री समिति के लोग डभरा, सक्ती, रायगढ़ से यहा पहुंचते है। लोग अपनी मनोकामना हेतु जमीन पर लोटते (कर नापते ) दर्शन को मंदिर पहुंचते है।

दर्शनार्थियों की सुविधा और सुरक्षा के
साथ उनकी धार्मिक आस्था और रूचि को ध्यान में रख समय समय पर मंदिर व्यवस्था में आवश्यक बदलाव व्‌ सुविधाओं को लागू किया जाता है। विगत कई वर्षो से मंदिर परिसर में प्रसाद रूपी साफ सुथरा भोजन व लड्डू आदि प्रसाद भी निश्चित सहयोग शुल्क पर उपलब्ध रहता है। वही मंदिर परिसर में साफ सफाई संग पेयजल व्यवस्था भी बेहतर करने हर संभव प्रयास हो रहे है । मंदिर में जोत जलवाने वाले श्रद्धालुओ को नवरात्रि पश्चात विशेष प्रसाद भी दिया जाता है। मंदिर न्यास ने आमजन कि सुरक्षा के उद्देश्य से मंदिर परिसर व आसपास को सीसीटीवी कैमरे (तीसरी आंख) की निगरानी में रखा है, ताकि अप्रिय घटना की स्थिति में नियंत्रण व निगरानी की जा सके। वही मेला व्यवस्था में तैनात पुलिस बल को आवश्यकतानुसार छोटी छोटी टुकड़ियों में बांट कर मंदिर आसपास व नगर में तगड़ी सुरक्षा व्यवस्था अपनायी जाती है।

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