राजनीति

5 न्याय, 25 गारंटी, 300 से ज्यादा वादे… 48 पन्नों के घोषणापत्र से कांग्रेस को मिलेगी चुनाव जीतने की ‘गारंटी’?

पहले चरण के मतदान में 14 दिन बचे हैं. देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने शुक्रवार को 48 पन्नों का अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया. नाम दिया गया है न्याय पत्र. नौकरी देने, किसानों की कर्जमाफी, खाली पद भरने, महिलाओं को भत्ता देने, एमएसपी की गारंटी देने जैसे तमाम वादे तो कांग्रेस पहले से करती आई है, लेकिन इस बार कांग्रेस के घोषणा पत्र में संवैधानिक न्याय का पन्ना भी जोड़ा गया है.

पांच न्याय में हिस्सेदारी न्याय, किसान न्याय, नारी न्याय, श्रमिक न्याय और युवा न्याय पर आधारित हैं.

गांरटी के इस सीजन में कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में 5 न्याय, 25 गारंटी, 300 से ज्यादा वादे किए हैं. कांग्रेस के घोषणा पत्र के 21वें पन्ने से असली खबर शुरू होती है, जहां नाम आता है संवैधानिक न्याय. जहां संविधान की प्रस्तावना के रूप को सामने रखकर कांग्रेस संसद, चुनाव आयोग, जांच एजेंसी, अदालत, मीडिया, चुनावी लोकतंत्र समेत हर उस जगह बदलाव के साथ न्याय की बात कह रही है.

इसे समझने के लिए इसके प्वाइंट को समझना जरूरी है-

1. कांग्रेस कहती है कि सत्ता मिली तो मानहानि के जुर्म को अपराधमुक्त कर देगी. राहुल गांधी मानहानि के मामले में ही दो साल की सजा मिलने पर कुछ दिन संसद सदस्यता से अयोग्य रहे.

2. कांग्रेस का वादा है कि इंटरनेट के मनमाने और अंधाधुंल सस्पेंशन को खत्म करेगी. क्योंकि देश में कई आंदोलनों के दौरान लंबे वक्त तक कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए इंटरनेट बंद किया जाता रहा है.

3. कांग्रेस ने वादा किया है कि शांतिपूर्वक एकत्र होने के अधिकार को बनाए रखेगी. किसान आंदोलन के दौरान दिल्ली तक जाने की इजाजत नहीं मिली था.

4. ये वादा भी किया है कि भोजन, पहनावे, प्यार, शादी में हस्तक्षेप नहीं करेंगे. कांग्रेस का निशाना लव जेहाद कानून और हिजाब पहनने से रोकने के नियम पर लगता है.

अब जरा 17वीं लोकसभा को याद करिए. जहां देश के इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा करने वाली लोकसभाओं में सबसे कम दिन की बैठक इसी पांच साल में हो पाई थी. तब दोनों सदनों से 206 बार सांसदों को निलंबित किया गया. अब कांग्रेस देश से ये वादा भी कर रही है कि अगर सत्ता में आए तो संसद की सदन साल में 100 दिन चलेगी. क्योंकि इस लोकसभा में औसत हर साल 55 दिन ही संसद चली. हफ्ते में एक दिन हर सदन में विपक्ष के बताए मुद्दे पर चर्चा होगी. ये वादा इसलिए क्योंकि विपक्ष अपने मुद्दों पर चर्चा ना होने का आरोप लगाकर हंगामा ही करता रह गया कि दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को राजनीतिक दल से संबंध तोड़ना होगा. लोकसभा स्पीकर और राज्यसभा के सभापति से कांग्रेस सांसदों की नोकझोंक होती रही.

कांग्रेस ने घोषणा पत्र में ये वादे भी

जहां बीजेपी कह रही है कि एक देश एक चुनाव कराएंगे तो वहीं कांग्रेस घोषणा पत्र में एक देश एक चुनाव का विरोध करती है. बीजेपी जीएसटी कानून लेकर आई. कांग्रेस कहती है कि जीएसटी में बदलाव करेंगे. बीजेपी कांग्रेस राज के योजना आयोग को खत्म करके नीति आयोग लाई. कांग्रेस कहती है कि हम वापस योजना आयोग को बहाल करेंगे. इन सबके बीच कांग्रेस एक वादा अपने उन नेताओं के खिलाफ लेकर आई है, जिन्हें ईडी-सीबीआई के डर से ही बीजेपी में चले जाने का आरोप कांग्रेस ही लगाती है.

नेताओं पर लगे आरोपों की जांच का वादा

बता दें कि कांग्रेस के इस चुनावी सीजन में करीब 48 नेता दल छोड़कर या तो बीजेपी में जा चुके हैं या फिरदूसरे दलों में जा चुके हैं. कांग्रेस आरोप लगाती रही है कि जिन्हें बीजेपी भ्रष्टाचारी कहती थी, वो बीजेपी की वॉशिंग मशीन में धुलकर क्लीन हो गए क्या? अब कांग्रेस के घोषणा पत्र के 25 नंबर पन्ने पर गौर करें तो यहां लिखा है कि बीजेपी एक विशाल वॉशिंग मशीन बन गई है. बीजेपी में शामिल होने वाले पंजीकृत मामलों के आरोपियों को कानून से बचने की अनुमति दी गई. ऐसे लोगों पर लगे आरोपों को फिर से प्रवर्तन करके जांच कराई जाएगी.

संविधान की दसवीं अनुसूची में संशोधन करेगी कांग्रेस

महाराष्ट्र में कांग्रेस गठबंधन की सत्ता चली गई. मध्य प्रदेश में पिछली बार सिंधिया सत्ता कांग्रेस की बीजेपी के पास लेकर चले गए. राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड में कई बार सत्ता के अलट-पलट की विधायकों की अदला-बदली से आशंका जगी. कांग्रेस इसे ऑपरेशन लोटस कहती है. दल-बदल की जली कांग्रेस अब चुनाव में वादे फूंक फूंककर इसीलिए कर रही है. कहा है कि अगर सत्ता मिली तो कांग्रेस संविधान की दसवीं अनुसूची में संशोधन करेगी और दल बदलने वाले को विधानसभा या संसद की सदस्यता से सीधे अयोग्य करेगी.

ईवीएम को लेकर कई चुनावों में सवाल विपक्ष उठाता रहा है. कांग्रेस भी उनमें से एक है. जैसे ईवीएम से चुनाव कोलेकर राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान बोले थे. राहुल गांधी ने कहा था कि EVM हटाओ. ये पूरा हिंदुस्तान कह रहा है कि EVM में कमी है. हम चुनाव आयोग के पास गए, वो सुनने को तैयार नहीं हैं. चुनाव से कुछ ही दिन पहले इलेक्शन कमीशन रिजाइन कर गया. कोई न कोई कारण तो होगा.

सरकार बनी तो ईवीएम से ही होगा चुनाव लेकिन…

अबकी बार कांग्रेस कह रही है कि सत्ता में आए तो वोटिंग तो ईवीएम के जरिए होगी. लेकिन मतदान के दौरान जो पर्ची अलग से मशीन में आती है. उस वीवीपैट पर्ची का मिलान ईवीएम के वोटों से कराया जाएगा. बीजेपी इस वादे पर पूछती है कि ईवीएम पर कांग्रेस कब तक मीटा मीठा गप गप करेगी. बीजेपी पूछने लगी है कि कांग्रेस घोषणा पत्र जनता के लिए लाई है या सिर्फ मोदी विरोध का पत्र लेकर राजनीति करने आई है? सवाल की वजह है, सत्ता में आने की स्थिति में उन मामलों की जांच का वादा करना, जहां कांग्रेस सीधे प्रधानमंत्री पर आरोप लगाती है.

पीएम मोदी पर निशाना साधता घोषणा पत्र?

राजस्थान के चूरू की रैली में प्रधानमंत्री जब बता रहे हैं कि अभी तो योजनाओं को पूरा करने में और करप्शन के खिलाफ एक्शन में जनता ने सिर्फ ट्रेलर देखा है. जब अभी तीसरा टर्म मिलने पर प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार के खिलाफ मशीन औऱ तेज चलने की बात कह रहे हैं. और तब कांग्रेस जो अपना न्याय पत्र के नाम से घोषणा पत्र लाती है, उन वादों को इसमें शामिल करती है, जिसमें करप्शन के मुद्दे पर प्रधानमंत्री की तरफ निशाना साधा जाता है. कांग्रेस कहती है कि अगर सत्ता मिली तो चुनावी बॉन्ड घोटाले की जांच कराएंगे. सर्वाजनिक संपत्तियों की अंधाधुंध बिक्री की जांच कराएंगे. पीएम केयर्स घोटाले की जांच कराएंगे. प्रमुख रक्षा सौदों में भ्रष्टाचार की जांच कराएंगे. नोटबंदी, राफेल सौदा, पेगासस की जांच कराएंगे. नीरव मोदी जैसे लोग किस हालत में देश छोड़कर गए, उसकी जांच कराएंगे.

क्या घोषणा पत्रों से चुनाव जीते जाते हैं?

घोषणा पत्र के वादों से क्या माहौल बनता है? क्या घोषणा पत्रों से चुनाव जीते जाते हैं? 2019 में एक्सिस माइ इंडिया का पोस्ट पोल सर्वे कहता है कि पीएम उम्मीदवार कौन है, इस चेहरे को देखकर सबसे ज्यादा वोट जनता ने दिया. फिर लोकल कैंडिडेट और फिर पार्टी के नाम पर वोट जनता ने डाला. घोषणा पत्र के नाम पर वोट देने की बात सिर्फ तीन फीसदी ने कही. ऐसी स्थिति में लोकतंत्र बचाने का चुनाव कहकर जब राहुल गांधी घोषणा पत्र जारी करते हैं तो दस्तक देता सवाल है कि क्या सच ये भी है कि पार्टी की सियासत बचाने का चुनाव कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों के लिए बना हुआ है?

कांग्रेस को मिलेगी जीत की गारंटी?

5 न्याय, 25 गारंटी, 300 से ज्यादा वादे. 48 पन्नों के घोषणापत्र के साथ क्या कांग्रेस को चुनाव जीतने की गारंटी मिल सकती है? जहां राहुल गांधी लोकतंत्र बचाने का चुनाव बताते आ रहे हैं. चुनाव लोकतंत्र बचाने का है या अपना अपना पार्टी तंत्र बचाने का चुनाव है? क्योंकि घोषणा पत्र में तो हर दल सुंदर सुनहरे वादे करते हैं, लेकिन घोषणा पत्र के वादों पर जनता कितना वोट देती है? रिसर्च कहती है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में 37 फीसदी वोटर ने पीएम दावेदार को देखकर वोट दिया. 22 फीसदी ने पार्टी देखकर वोट दिया. 25 फीसदी ने उम्मीदवार को देखकर वोट दिया. 13 फीसदी ने अन्य वजह वोट देने की बताई. 3 फीसदी ने कहा कि वोट घोषणा पत्र देखकर दिया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *