” 75 हेक्टेयर मे न्याय योजना के तहत लिया गया अवैध लाभ” ! बीज उत्पादक समिति साहित तीन उपार्जन केंद्रों में मिली इस भारी गड़बड़ी.. कृषि विभाग के रिपोर्ट पर भी क्यों कार्रवाई नही? गिरदावरी में भी फर्जी एंट्री करवाने वालों पर अब तक कार्रवाई नही ?

गिरदावरी में भी फर्जी एंट्री करवाने वालों पर अब तक कार्रवाई नही ?
रायगढ़: खरसिया में गिरदावरी में भी फर्जी एंट्री करवाने वालों पर अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी है। हैरानी इस बात की है कि कलेक्टर के आदेश पर जांच कमेटी भी बनाई गई लेकिन किसी ने जांच ही नहीं की। अब तक इसकी रिपोर्ट का कोई अता-पता नहीं है। पूर्व की कांग्रेस सरकार ने धान के बदले दूसरी फसल लेने पर दस हजार रुपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि देने योजना चलाई थी। दूसरी फसलों की सूची में सुगंधित धान को भी शामिल किया गया था। लेकिन खरसिया के हालाहुली, तुरेकेला और तिउर खरीदी केंद्र में ऐसे रकबे का सामान्य धान खरीदा गया जिसका पंजीयन सुगंधित धान के लिए किया गया था। गिरदावरी में भी सुगंधित धान की एंट्री की गई लेकिन मौके पर अंतर पाया गया। कृषि विभाग ने गिरदावरी के हिसाब से सत्यापन किया और रिपोर्ट दी।
बगडेबा, डेराडीह, ठुसेकेला, सरवानी, परसकोल, तिउर, घघरा, मकरी, नावापारा, महका, गोपीमहका, रतनमहका, खरसिया और बसनाझर के किसानों ने 103 हेक्टेयर का पंजीयन सुगंधित धान बीज के लिए किया था। जांच में केवल 28 हेक्टेयर ही रकबा मिला। मतलब 75 हेक्टेयर का अंतर आया। पूर्व कलेक्टर तारन प्रकाश सिन्हा ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच टीम में तहसीलदार खरसिया, एसएडीओ खरसिया, खाद्य निरीक्षक खरसिया, सहकारिता निरीक्षक, शाखा प्रबंधक अपेक्स बैंक और हलका पटवारी को शामिल किया गया था। जांच टीम ने रिपोर्ट ही नहीं दी। सुगंधित धान के नाम से पंजीयन तो कराया लेकिन फसल नहीं लगाई। उस रकबे पर न्याय योजना के तहत अवैध लाभ भी ले लिया गया। बाहर से बीज खरीदकर बीज प्रक्रिया केंद्र में बेच दिया गया।
इन गांवों में मिली थी गड़बड़ी
गिरदावरी के आंकड़ों में 14 गांवों के रकबे में 75 हेक्टेयर का अंतर पाया गया था। बगडेबा, डेराडीह, ठुसेकेला, सरवानी, परसकोल, तिउर, घघरा, मकरी, नावापारा, महका, गोपीमहका, रतनमहका, खरसिया और बसनाझर के कई किसानों ने 103 हेक्टेयर का पंजीयन सुगंधित धान के बीज उत्पादन के लिए किया। गिरदावरी में सुगंधित धान का रकबा दूसरी फसलों के रूप में दर्ज किया गया। जांच की गई तो इन 14 गांवों में केवल 28 हेक्टेयर ही रकबा मिला। मतलब 75 हेक्टेयर का अंतर आया। इस 75 हेक्टेयर पर सामान्य धान लगाया गया था। मतलब न्याय योजना का गलत लाभ लिया गया।
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