रायगढ़

शहर के नामी हॉस्पिटल पर महिला मरीज दम्पत्ति ने लगाये आरोप…नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर की वजह से दर्द से तड़पती रही महिला…! मरीजों की तकलीफ से नहीं है सरोकार..?

रायगढ़। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की जान से खिलवाड़ और अव्यवस्था को लेकर खबरें आती ही रहती है मगर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते अब निजी अस्पताल प्रबंधन और वहां उपलब्ध चिकित्सक भी मरीजों की जान से खिलवाड़ करने लगे हैं। आलम यह है कि आपातकालीन चिकित्सा के मरीजों को भी यहां ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिसके चलते आगामी दिनों में किसी मरीज की जान पर भी बन सकती है। ताजा मामला शहर के पुलिस पेट्रोल पंप के सामने स्थित आरएल अस्पताल का बताया जा रहा है। जहां दर्द से तड़प रही एक गर्भवती महिला को महज जांच के नाम पर चार से पांच घंटे तक बिठा दिया गया और इस बीच चिकित्सक ने उसका परीक्षण तक करने की जहमत नहीं उठाई।
इस संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक शहर के जगतपुर एकता कालोनी में निवासरत एक पीडि़त गर्भवती महिला मंगलवार की दोपहर लगभग 2 बजे तेज दर्द के चलते शहर के आरएल हास्पीटल में अपने जांच हेतु गई। महिला के पति द्वारा आकस्मिक जांच के नाम पर हास्पीटल में बकायदा पर्ची कटवाई गई और दंपत्ति डाक्टर का इंतजार करने लगे। इस दौरान ढाई घंटे बीत जाने के उपरांत भी डाक्टर द्वारा महिला को उपचार के लिए केबिन में नही बुलाया गया। परिजनों के द्वारा वहां उपस्थित नर्सो से देरी का कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि फाईल अंदर है मैडम बुलाएगीं। उसके पश्चात नर्सो द्वारा बाहर आकर कहा गया कि मैडम ने कहा है कि आप पहले सोनोग्राफी करा लें। इस तरह सोनोग्राफी के नाम पर भी पीडि़ता को करीब एक घंटे तक बिठा कर रखा गया। पीडि़ता के पति द्वारा लगातार देरी होने के कारण नाराजगी जाहिर करते हुए दूसरे जगह दिखाने की बात कहकर जब फाईल की मांग की गई तो उनसे यह कह दिया गया कि फाईल देने के लिए मना किया गया है और वे फाईल मैडम से ही मांग लें। जबकि डाक्टर मैडम पहले ही अस्पताल से रवानगी ले चुकीं थी। इस तरह से गर्भवती पीडि़ता बिना इलाज के इस निजी अस्पताल में घंटों तक तड़पती रही। बाद में पीडि़ता के पति ने अपनी एक निजी चिकित्सक को फोन कर उनसे प्रारंभिक उपचार का परामर्श लिया और तब जाकर महिला को पीड़ा से निजात मिल सकी।

सवाल यह उठता है कि इस तरह के इमरजेंसी केस में गायनिक पेसेंट को किसी महिला चिकित्सक के द्वारा यदि घंटो इंतजार कराया जाता है और उसका चिकित्सकीय परीक्षण भी नहीं किया जाता तो ऐसी स्थिति में कभी कोई गंभीर घटना भी घट सकती है जिसकी जिम्मेदारी आखिर किसकी होगी। जिला प्रशासन और खासकर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों को इस मामले में संज्ञान लेकर त्वरित कार्रवाई और सार्थक पहल करने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।

क्या कहते हैं सीएचएमओ …..

इस संबंध में जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एसएन केशरी से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि यह मामला उनकी जानकारी में नहीं है। चुकि मीडिया से उन्हें इस बात की जानकारी हुई है कि निजी अस्पताल में गर्भवती महिला के उपचार में लापरवाही हुई है तो वे मामले को संज्ञान में लेकर संबंधित अस्पताल प्रबंधन से मामले की पूरी जानकारी लेंगे और लापरवाही साबित होनें पर संबंधित प्रबंधन व चिकित्सक को नोटिस जारी कर जवाब मांगा जाएगा।

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