इस प्रथा मे शादी के बाद खुलेआम लगती है युवती की बोली…पंचायत तर करती है कीमत, फिर होता है ‘नातरा’….

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राजगढ़: मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में ऐसी कुप्रथा आज भी प्रचलित है, जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। इस प्रथा के तहत महिला का पहले तो शारीरिक और मानसिक शोषण होता है और उसके बाद पैसों की डिमांड की जाती है। इसके बाद उसकी कीमत खाप पंचायत में लगाई जाती है। ये तो प्रथा की सिर्फ शुरुआत की कहानी है, जैसे-जैसे आगे जानते जाएंगे खुद ही शर्मसार हो जाएंगे। तो चलिए जानते हैं कि क्या है ये प्रथा और कैसे होता है महिलाओं और बेटियों का शोषण।

दरअसल राजगढ़ समेत मप्र के कुछ जिलों में आज भी चोरी-छिपे बाल विवाह या बचपन में सगाई करने की कुप्रथा जारी है। लड़की जब जवान होती है तो बचपन की सगाई और शादी भूलकर अपने पसंद के लड़के से शादी कर लेती है। ऐसे में उसका दूसरा पति या पिता, पहले पति को अपनी पत्नी को छोड़ने के बदले में मुआवजा देता है। दूसरी शादी को नातरा कहा जाता है। वहीं पहले पति को मिलने वाली रकम को झगड़ा प्रथा कहा जाता है। खास बात ये सब खुलेआम होता है।

हाल ही में एक ऐसा ही एक मामला राजगढ़ थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां पंचायत ने समझौते की रकम 6 लाख रुपए तय की। मीडिया ने जब पीड़िता से बात की तो उसने बताया कि उसका पहला विवाह ग्राम कोलूखेड़ा निवासी जितेंद्र से हुआ था। शादी के बाद पता चला कि उसके पति जितेंद्र ने उससे पहले भी दो शादियां और कर रखी है! इसके बाद में पीड़िता ने अपने पति जितेंद्र से आपत्ति जताई तो खाप पंचायत ने पति को छोड़कर मायके लौट जाने का फरमान सुना डाला।

खाप पंचायत के फरमान को मानते हुए पीड़िता अपने मायके वापस लौट आ, जिसके बाद पीड़िता के पिता ने नातरा ( पुनर्विवाह ) सुल्तान सिंह ग्राम लालपुरा से कर दिया! लेकिन उसक पहला पति जितेंद्र उसके पिता और नए पति से झगड़ा 6 लाख रुपए मांग रहा है! वहीं, झगड़े की रकम नहीं देने पर दूसरे पति सुल्तान सिंह और पिता कंवरलाल के खेतों में आग लगा देने की धमकी दे रहा है। जितेंद्र ऐसा इसलिए करना चाहता है क्योंकि इस घटना के बाद खाप पंचायत बुलाई जाएगी और उसके मामले की भी सुनवाई की जाएगी।

राजगढ़ जिले में आग की तरह पनप चुकी इस प्रथा में पहले तो यह विवाद सिर्फ दो पक्षों के बीच रहा करता था लेकिन अब इस प्रथा की आग में इन दो पक्षों के अलावा पूरे गांव को भी अपनी चपेट में लेने लगी है। इस प्रथा में पहले पति के पक्ष के लोग लड़की के दूसरे पति या पिता के रिश्तेदारों, पड़ोसियों को रात में नुकसान पहुंचाकर भाग जाते हैं। कभी फसल काटकर ले जाते हैं, तो कभी घर में आग लगा देते हैं। घटनास्थल पर एक लेटर फेंका जाता है, जिसमें लड़की के पिता का नाम लिखने के साथ ही लिखा जाता है कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं। इससे नुकसान का कारण पता चल जाता है फिर जो भी नुकसान होता है वह लड़की के पिता को भरना होता है। आए दिन होने वाले नुकसानों से परेशान होकर समझौते के लिए पंचायत बैठाई जाती है। पंचायत दोनों गांव के बीचों बीच या फिर किसी मंदिर पर होती है, जिसमें दोनों गांव के करीब आधे-आधे लोग शामिल होते हैं।

हलाकि इस तरह की कुप्रथा से लड़ने के लिए राजगढ़ जिले में जिले की सामाजिक कार्यकर्ता मोना सुस्तानी ने संगठन तैयार किया जिसका नाम लाल चुनर समूह रखा और जिले भर में आसपास के जिलों में कहीं भी इस तरह की खाप पंचायत और इस तरह से महिलाओं को इस पता के नाम पर प्रताड़ित करने वाले लोगों के खिलाफ मोर्चा खोला। अब इस तरह की कुप्रथा से पीड़ित कोई भी महिला अपनी पीड़ा बताती है और उसका निराकरण भी इस लाल चुनर समूह द्वारा कराया जाता है। जिले में 4 साल से काम कर रही लाल चुनर समूह की संरक्षक मोना सुस्तानी बताती हैं कि 2019 से अब तक 1480 बेटियों ने मदद मांगी। इनमें से 714 को सामाजिक दलालों के चंगुल से मुक्त कराने के साथ ही 275 का पुनर्विवाह कराया गया हैं।

इस विषय पर पूर्व सीएम और राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा तक में इस मुद्दे को उठाते हुए कड़ा कानून बनाने की मांग की थी! लेकिन इस पर कोई भी विशेष कानून नहीं बन पाया है! पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार साल 2021 -2022 में नाथरा प्रथा के नाम पर अड़ी बाजी करने वालों के खिलाफ 450 से अधिक मामले दर्ज किए थे! और साल 2022 में राजगढ़ जिले में ही अभी तक 200 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं। बावजूद इसके राजगढ़ जिले में कुप्रथा के नाम पर जारी नातरा का यह नासूर मिटने का नाम नहीं ले रहा।

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