“‘सारंगढ़ की जनता करे पुकार- नवगठित जिले मे “सारंग-महोत्सव” हो इस बार”‘… जनता की मांग – नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला में भी चक्रधर समारोह की तर्ज पर हो सांस्कृतिक समारोह का आयोजन….

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सारंगढ़। नवगठित सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में सास्कृतिक समारोह के लिये ‘सारंग महोत्सव’ का आयोजन की सभावना क्षेत्रवासियों के लिये काफी महत्वपूर्ण हो सकता है। पुराना जिला रायगढ़ में सास्कृतिक समारोह के लिये शासन स्तर से चक्रधर समारोह का आयोजन वर्षो से होते आ रहा है। नये जिले सारगढ-बिलाईगढ को भी नया पहचान दिलाने के लिये सास्कृतिक समारोह के लिये उचित मंच के लिये ‘सारंग महोत्सव’ एक शानदार आयोजन का स्वरूप धारण कर सकता है।

सारंगढ़ अचल की रियासतकालीन इतिहास काफी रोचक रही है किन्तु नई पीढी को इसकी कोई जानकारी नहीं हो पा रही है। साथ ही कला और साहित्य के क्षेत्र में सारंगढ़, बरमकेला, सरसिवा, बिलाईंगढ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। सास्कृतिक और साहित्यिक क्षेत्र के इन प्रतिभाओं को उचित मंच प्रदान करने के लिये नवीन जिला में सांस्कृतिक उत्सव के रूप में ‘सारंग म्होत्स्व’ मिल का पत्थर साबित हो सकता है। इस आयोजन के बहाने क्षेत्र के प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक आस्था के केंद्रों का व्यापक प्रसार प्रचार हो सकता है। यहा पर 277 वर्ग किलामीटर क्षेत्र में फैला गोमरडा अभ्यारण्य है तथा धार्मिक आस्था के कई केन्द्र है। वही गढ विच्छेद का अनोखा कार्यक्रम भी यहा पर होता है। तीन दिवसीय सास्कृतिक समारोह सारग-महोत्सव का आयाजन किया जा सकता है। यह महोत्सव प्रशासन अपने स्तर पर कभी भी करा सकती है जिसके लिए नवरात्रि भी सीजन बेहतर रहता, फिलहाल इस वर्ष की नवरात्रि तो 2 दिन पहले ही समाप्त हो चुकी है लेकिन आगामी समय मे प्रशासनिक सेटप पूर्ण होते ही इस पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि रायगढ़ की तरह ही हमारा सारंगढ़ भी देश स्तर मे अपनी सांस्कृतिक पहचान बना सके।देश के नामी कलाकारों के साथ साथ अन्चल के भी ख्यातिलब्ध कलाकारों को उचित मच प्रदान कर उनकी प्रतिभाओ का भी नया उत्साह यह महोत्सव प्रदान कर सकता है। हालांकि नया जिला बने अभी महज 1 माह हो हुआ है और अभी से इसकी आशा करना बेमानी होगी किन्तु इस दिशा में पहल करना भी आवश्यक होगा। अगला वर्ष चुनावों वर्ष होगा तथा अगले वर्ष के नवरात्र आयोजन तक हो सके तो चुनाव आचार संहिता लागू हा जाये रहेगा। किन्तु अभी से इस दिशा में प्रस्ताव बनाकर देने और सांस्कृतिक विभाग छत्तीसगढ़ शासन से इस दिशा में पहल करके अनुमति प्राप्त करने में जिला प्रशासन सक्रिय रहा तो जरूर इस दिशा में कामयाबी मिल सकता है। वही सारंगढ़ का प्रसिद्ध गढ़-उत्सव के बारे में जानकार बताते है कि 25 वर्ष पूर्व गढ-उत्सव के साथ ही कुछ और प्रतियोगिता का आयोजन खेलभांठा मैदान पर किया गया था जिसमे बैलागाड़ी का दौड़, कर्मा प्रतियागिता जैसे आयोजन रखे गये थे। ये सभी आयोजन को “सारंग महोत्सव” के तहत रखा जा सकता है। छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक धान का उत्पादन करने वाले जिला में शुमार होने वाला सारंगढ-बिलाईगढ़ जिला में .सारंग महोत्सव के रूप में सांस्कृतिक समारोह अंचल के लिये मिल का पत्थर साबित होगा। वही अंचल में नवरात्र को धूमधाम से मनाया जाता है तथा अष्टमी को नवाखाई का पर्व भी मनाया जाता है जिसमे शामिल होने के लिये सारंगढ़वासी अन्यत्र स्थानों से सारंगढ आते है। ऐसे में नवरात्र की पावन बेला और अनोखा गढ-विच्छेन की परंपरा के बीच ‘सारंग-महोत्सव’ सारंगढ़-बिलाईगढ़ अंचल की शान बन सकता है।

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