“गुरु वो शिल्पकार है जो पत्थर को तराश कर उसे मुर्ति का आकार देता है” सरस्वती शिशु मंदिर बरमकेला में गरिमापूर्ण तरीके से मनाया गया शिक्षक दिवस…
बरमकेला: सर्वपल्ली डॉ राधाकष्णन के जन्म दिवस के पावन अवसर पर सरस्वती शिश॒ मंदिर बरमकेला मैं आज शिक्षक दिवस मनाया गया। सर्वप्रथम मातत्रय चित्र के समक्ष प्रबंध कारिणी समिति के अध्यक्ष व्यवस्थापक व प्राचार्य सहित अन्य सदस्यों दवारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शरुआत की गई।परंपरा अनसार विद्यालय समिति ने विगत कई वर्षो की भाँति इस वर्ष भी आचार्यो को गणवेश श्री फल वितरण कर उन्हें सम्मानित किया साथ ही विद्यालय के भैया बहिनों ने भी गुरुओं के सम्मान में उपहार भेंट किए तदोपरांत विदयालय के सदस्य जगत राम नायक सेवानिवत्त शिक्षक ने अपने संकल्प अनुसार प्रत्येक वर्ष की भांति आचार्यो के वरीयता क्रम में श्री अशोक कुमार जी को साल श्रीफल और गणवेश से सम्मानित किया और अपने उद्बोधन में बताया कि ज्ञान को एक आत्मा से दूसरे आत्मा मे संचारित करने वाले को ही गुरु और संचरितआत्मिक परुष को शिष्य कहते हैं। गौरतलब हो कि शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर शिक्षकों की महत्ता का बखान किया जाता है जिसमें ज्ञान ही इंसान को जीने योग्य जीवन की दिशा में ले जाता है जिस तरह से एक शिल्पकार पत्थर को तराश कर उसे मर्ति का आकार देता है और कम्हार कच्ची मिट॒टी को तपा कर उसके विकारों को दूर करता है । ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक भी छात्रों के अवगुणों को दूर कर सफल जीवन जीने के काबिल बनाता है। इसी अवसर पर बहनों के अनेकों कार्यक्रमों ने सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम में नवीन ऊर्जा का संचार तब हआ जब आचार्य अशोक कमार जी ने अपने ओजस्वी वक्तव्य से कार्यक्रम में जान डाल दी। अंत में विद्यालय के प्राचार्य सन्यास चरण पाणिग्राही ने भैया बहनों के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं वह उपस्थित समिति के समस्त सदस्यों को आभार व्यक्त करते हुए कहा की शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठंसे बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल के चनौतियों के लिए तैयार करें | जिंदगी के इम्तिहान में शिक्षकों के सिखाए गए सबक ही सफलता की बलंदियों पर ले जाते हैं | तत्पश्चात शांति मंत्र के बाद प्रसाद वितरण कर कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई । उक्त बातें प्रचार प्रसार प्रमुख आचार्य गोविंद राम जी ने दी।