प्रधानमंत्री के खान-पान पर एक रुपये भी खर्च नही होता सरकारी बजट, भोजन का खर्च स्वयं उठाते हैँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, RTI के जरिए हुवा खुलासा….

संसद पहुंचने वाले नेताओं को सरकार की ओर से बहुत सी सुविधाएं प्रदान की जाती हैंं। लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिलने वाली सभी सुविधाओं पर खर्च सरकारी बजट से नहीं होता है। प्रधानमंत्री के खान-पान पर एक रुपये भी सरकारी बजट से खर्च नहीं होता है।
भोजन का खर्च प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं उठाते हैं। इसकी जानकारी प्रधानमंत्री कार्यालय ने आरटीआइ (RTI) के जरिए पूछे गए सवाल पर दी है। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के केंद्रीय अवर सचिव बिनोद बिहारी सिंह ने आरटीआइ का जवाब देकर बताया है कि पीएम के भोजन में सरकारी बजट से एक रुपये भी नहीं खर्च होता है।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री के आवास (PM Awas) का संरक्षण केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के द्वारा किया जाता है। जबकि वाहनों का जिम्मा एसपीजी (SPG) के पास होता है। आरटीआइ में वेतन संबंधी जानकारी भी मांगी गई थी लेकिन, इस सवाल के जवाब में नियमावली का केवल हवाला देते हुए वेतनवृद्धि नियमानुसार किए जाने की जानकारी दी गई है।
संसद भवन की कैंटीन में पीएम ने किया था स्वयं भुगतान
साल 2014 में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने संसद में प्रवेश किया था। इसके बाद दो मार्च 2015 को बजट सत्र के दौरान संसद भवन की पहली मंजिल पर बनी कैंटीन (Parliament Canteen) में उन्होंने पहुंचकर सभी को चौका दिया था।
यह पहली बार था जब किसी प्रधानमंत्री ने संसद की कैंटीन में पहुंचकर भोजन किया था। पीएम ने इस दौरान शाकाहारी भोजन थाली के लिए स्वयं 29 रुपये का भुगतान किया था। हालांकि अब संसद भवन कैंटीन में शाकाहारी थाली की कीमत 100 रुपये है।
कैंटीन में खत्म की गई थी सांसदों की सब्सिडी
मौजूदा सरकार ने संसद में चलने वाली कैंटीन को लेकर कई सुधार किए गए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने 19 जनवरी 2021 को संसद की कैंटीन में सांसदों को मिलने वाली सब्सिडी समाप्त कर दी थी। साल 2021 के पहले तक संसद की कैंटीन में सब्सिडी पर 17 करोड़ रुपये खर्च किए जाते थे।
2015 में एक आरटीआइ के जरिए जानकारी मिली थी कि संसद की कैंटीन के खाने पर 80 फीसद सब्सिडी दी जाती है। उस दौरान बीजू जनता दल के सांसद बैजयंत पांडा ने तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को पत्र भेजकर सब्सिडी खत्म करने की मांग की थी। दिसंबर 2019 में कैंटीन की सब्सिडी पूरी तरह से खत्म कर दी गई थी।
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