रायगढ़: काले हीरे के तस्करों को किसका मिल रहा संरक्षण? वर्ष मे 13 प्रकरण ,जिसमें आरोपियों पर कुल 5 लाख 23 हजार 570 रूपये मात्र जुर्माना…

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रायगढ़। प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध रायगढ़ जिला लोहा इस्पात और ऊर्जा उत्पादन के केंद्र के रूप में जाना जाता है। विगत 20 सालों से विकास की इस बहती धारा में बहुत से मगरमच्छ भी पैदा हो गए हैं जो काली कमाई पर फल फूल रहे हैं। लोहा इस्पात और ऊर्जा उत्पादन के लिए कोयला रायगढ़ जिले में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। अभी धरमजयगढ़ ,घरघोड़ा ,लैलूंगा और तमनार में कोयले की खदानें हैं। इन क्षेत्रों में कोयले का गोरखधंधा लम्बे समय से चल रहा है। जिले का खनिज विभाग समय -समय पर अपनी उपस्थिति जताने के लिए कार्रवाई करता है। इसकी बानगी है इस साल अवैध खनन के दर्ज किये गए 13 प्रकरण ,जिसमें आरोपियों पर कुल 5 लाख 23 हजार 570 रूपये मात्र जुरमाना लगाया गया। कोयले का अवैध उत्खनन और अवैध परिवहन का लगातार जारी रहना ,परन्तु नाम मात्र की कार्र्रवाई और नगण्य जुर्माना इस संदेह को बल देता है कि विभाग अपने काम को सही तरीके से अंजाम नहीं दे रहा है। इससे इस बात को भी बल मिलता है की सफेदपोशों का वरदहस्त इस काले कारोबार पर है। तभी तो उनके प्यादे कभी कभार आते हैं और वे भी नाम मात्र की राशि अदा कर फिर से उसी काम में लग जाते हैं। वन विभाग की भूमिका भी संदेह के घेरे से बाहर नहीं है क्योंकि अवैध माइनिंग जंगलों के भीतर ही हो रही है और वन विभाग इससे अनजान बना हुआ है। यहाँ यह बात गौरतलब है की वन विभाग ने जंगलों को अलग -अलग बीट में बाँट रखा है और कर्मचारियों के दायित्व बंटे हुए और परिभाषित हैं फिर भी अवैध माइनिंग का जारी रहना इस बात की तस्दीक करता है की हमाम में सभी नंगे हैं ।

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