सारंगढ़-सांसद पी ए के दम पर संचालित पी डी एस दुकान में चल रही मनमानी… संचालक द्वारा पत्रकारों को धौंस एवं राजनीतिक पहुंच की धमकी..

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जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़

सारंगढ़ में पीडीएस दुकान संचालन की स्थिति किसी से छुपी नही है। कहीं गाय-बैल को खिलाने योग्य पाखर चावल परोसा जा रहा है तो कहीं स्टॉक रिजिस्टर में भारी गड़बड़ी करके गरीबों का चावल हड़पा जा रहा है। कुछ पँचायत में बाहर मजदूरी कर रहे ग्रामीणों के राशन को संचालक गायब कर दे रहे हैं तो कहीं मृतकों के नाम से चावल शक्कर देने की खबर से सारंगढ अंचल बदनाम रहा है।

सरकार गरीबों के लिए मसीहा बनकर प्रत्येक योजना लाती है लेकिन कुछ लोग उस लर भी डाका डालने से नही हिचकते..!उसी का दूसरा रूप गाताडीह सार्वजनिक उचित मूल्य की दुकान में अपने नियम बनाते हुए हितग्राहियों को अपने हिसाब से चावल शक्कर व मिट्टी तेल वितरण करते हैं ऐसी शिकायत ग्रामीणों द्वारा मीडिया को दी गयी थी। छोटे से गांव गाताडीह में लोग सांसद पी.ए. के परिवार का है बोलकर कोई सवाल जवाब नहीं करते यहां तक के अगर कोई पत्रकार जनता के शिकायत को लेकर उचित मूल्य की दुकान पहुंचती है तो वहां के विक्रेता द्वारा अनुमति दिखाओ या फिर मेरे उचित मूल्य दुकान में किसी भी पत्रकार को कोई जानकारी नहीं देने को कहा गया है ऐसी बात सामने आती है। जो भी जांच करेंगे जो भी जानकारी मैं दूंगा वह सिर्फ और सिर्फ रवि राज को ही दूंगा क्योंकि रवि राज इस विभाग का अधिकारी हैं और उनके द्वारा सख्त निर्देश दिया गया कि खास करके किसी भी पत्रकार को उचित मूल्य से संबंधित आवक जावक की कोई भी जानकारी बिल्कुल नहीं देना है…! इस तरह की बात उन महोदय द्वारा दी जाती है,और उनका यह रवैया राजनीतिक पहुंच को दर्शाती है।

*क्या है पूरा मामला-*

दरअसल मामला सारंगढ़ ब्लाक के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत गाताडीह के उचित मूल्य की दुकान का है, ग्रामीणों की शिकायत पर पत्रकारों के पहुचते ही संचालक का दादागिरी भरा शब्द निकल पड़ा और और कहने न चुके की ” तुमलोग रिपोर्टर हो तुम्हारा पॉवर नही है कि तुम यहाँ आके हमारा पी डी एस दुकान चेक कर सको “, जब हमारे रिपोर्टर द्वारा नियमावली बताया गया तभी पीडिएस दुकान के अंदर घोषणा पत्र के अनुसार बचे हुए चावल , शक्कर, नमक को देखने पहुँचे तब घोषणा पत्र में बचे चावल शक्कर मिट्टीतेल देखा गया तब बचे हुए स्टाक एवं घोषणा पत्र लिखे हुए स्टाक में काफी अंतर पाया गया। उस पर पी डी एस संचालक गोलमोल जवाब देने लगे कि ” हम चावल दे चुके हैं नही दिए हैं” जिससे साफ प्रतीत होता है कि दाल में कुछ काला है। खुद को सांसद के पीए बताने वाले नेता जी के परिवार वाले अगर खुद साफ और निष्पक्ष न हों तो आम जनता से कैसे निष्पक्षता की उम्मीद की जा सकती है।

खाद्य अधिकारी रवि राज नही उठाते हैं फोन..

जब हमारे रिपोर्टर के माध्यम से उचित मूल्य की दुकान के संबंध में खाद्य अधिकारी को फ़ोन के माध्यम से सम्पर्क किया गया तब खाद्य अधिकारी फोन उठाना मुनासिब नही समझे। और सबसे बड़ी सोचने की बात है कि जनता को पाखर चावल परोसने वाले ये अधिकारी कैसे किसी पीडीएस संचालक को बोल सकते हैं कि किसी को भी स्टॉक पंजी न दिखाया जाये। आखिर पारदर्षिता के इस जमाने मे खाद्य अधिकारी और संचालक के बीच मे पक रही खिचड़ी की क्या विशेषता है ये मनन करने वाली बात है…

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