राजनीति

“आम प्रवेश वर्जित” वाला राजमहल या अतिथि देवो भवः वाला आम कार्यकर्ता ! किसे चुनेगी इस लोकसभा में जनता..? जनता और पत्रकारों की नाराजगी किसको पड़ेगा भारी?

सारंगढ़: छत्तीसगढ़ में सारंगढ़ को अबूझ राजनीति का गढ़ कहा जाता है अर्थात यहाँ की राजनीति कब और किस करवट बैठेगी इसका कोई आकलन नही किया जा सकता। सारंगढ़ में पनवारी की दुकान से लेकर चाय पे चर्चा भी राजनितिक मुद्दों पर होती है। बाल काटता नाई या सब्जी बेचता हटवारी भी राज्य और देश की राजनैतिक घटनाक्रम की जानकारी रखता है। एक ऐसा शहर जिसे पान ,पानी और पालगी का नगर कहा जाता है, वहाँ इस बार चर्चा वर्तमान लोकसभा चुनाव की हो रही है। वर्षो बाद सारंगढ़ को लोकसभा प्रत्याशी मिलने पर भी जनता खुश क्यों नज़र नही आ रही समझ से परे है! जो कलमकार विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में खड़े दिखे एकाएक खिलाफ़ नजर क्यों आने लगे? वर्षो सारंगढ़ को नेतृत्व दिलाने की मांग करते नगरवासी क्यों व्हाट्सअप ग्रुप में स्थानीय प्रत्याशी को वोट ना देने की अपील करने लगे? मामला गंभीर है लेकिन चुनाव के अंतिम समय में भी कांग्रेस के सिपह सलाहकार इस खाई को पाटने में विफल प्रतीत हो रहे हैँ!

अब सारंगढ लोकसभा चुनाव के लिए अंतिम चरण के लिए वोटिंग की तिथि नजदीक आ रही है जिसमें रायगढ लोकसभा भी शामिल है तथा डाक मतपत्र से वोटिंग 26 अप्रैल से शुरू हुआ है जिसमें पत्रकारों को भी अनिवार्य सेवा के तहत लिए जाने के कारण अधिमान्य पत्रकार दीपक थवाईत ने डाक मतपत्र से मतदान भी किया । वहीं बात अगर रायगढ लोकसभा की करें तो इस बार कांग्रेस ने सारंगढ राजपरिवार की मेनका सिंह को टिकट दिया है जिसके सम्बंध में नगर और क्षेत्र में तरह तरह की चर्चाओं का दौर जारी है जिसमें कुछ नागरिकों ने मेला विरोधी की बात कहते हुए वोट ना देने तक की अपील तक सारंगढ के प्रमुख वाट्सएप ग्रुपों में कर दिया।वहीं टिकट घोषित होने के बाद पहली बार राजमहल में आयोजित प्रेसवार्ता में कुछ पत्रकारों ने महल में मिलने आने पर लगने वाले समय व दरवाजे में लगने वाले आम प्रवेश वर्जित के बोर्ड पर भी प्रश्न किया था जिसके उत्तर में राजपरिवार के सदस्यों ने जवाब दिया था कि महल में परिवार रहता है जिसमें कई बार महिलाएं अकेले रहती हैं इसी कारण ऐसी व्यवस्था करनी पडी है वहीं सूत्रों की माने तो एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता की सलाह पर वर्तमान में आम प्रवेश वर्जित के बोर्ड को हटा लिया गया है।
बहरहाल वर्तमान में यह मुकाबला मोदी की गारंटी पर आश्रित एक आम आदमी वर्सेज एक वीआईपी का मुकाबला नजर आता है तथा वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी के आदिवासी कोटे से टिकट मिलने फर भाजपा के मंत्री रामविचार नेताम ने प्रश्न उठाया था जिसका राजपरिवार ने खण्डन करते हुए कहा था कि ये मूलतः आदिवासी परिवार की बेटी हैं।बहरहाल देखना यही बाकी है कि क्षेत्र की जनता किस पर भरोसा करती है और किसे रायगढ लोकसभा का ताज सौंपती है।

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