ज्वलंत मुद्दा: अपनी दुदर्शा पर कब तक आँसू बहायेगा हमारा सारंगढ़? सत्ता की मलाई खाने वाले बने गांधारी..! खुद के फर्स को संगमरमर और टाईल्स से चमकाने वाले नेताओं के भीड़ मे जनता का दर्द समझेगा कौन? पूछता है सारंगढ़…

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सारंगढ़: लोकसभा चुनाव को लेकर बिगुल बज चुका है तथा भाजपा और कांग्रेस ने अपने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दिया है। किन्तु इस बीच मे जो बड़ी समस्याएं क्षेत्र की है वह दब गई है। 10 वर्षो से संसदीय सीट पर भाजपा का सांसद विराजमान हे तथा केन्द्र मे भाजपा की सरकार रहने के बावजूद सबसे बड़ी मुलभुत सुविधा अच्छी सड़क के लिए सारंगढ़ की जनता तरस गई है।
सन 2002 में रायगढ़ सारंगढ़ सरायपाली के 90 किलोमीटर लंबी सडक को नेशनल हाईवे 216 तथा अब नेशनल हाईवे 153 का दर्जा मिलने के बाद और 2016 मे इसके लिये 396 करोड़ रूपये की स्वीकृति मिलने के बाद भी पचास फीसदी काम नही होना और रोड का आज भी जर्जर होना सारंगढ़ अंचल के लिए दुर्भाग्य ही है।

इसके अलावा भी सारंगढ़ शहर के चारो तरफ की सडको की स्थिति बद से बदत्तर हो गई है। सारंगढ़ से रायगढ़ रोड मे हरदी तक की 7 किलोमीटर लंबी सड़क पर एकांकी मार्ग पर आवागमन करना जैसा महसूस हो रहा है। वही यहा पर आज भी डामर की सड़क और बगल की पटरी के बीच गैप लगभग 2 फीट का हो गया है। वही सारंगढ़ से दानसरा रोड भी काफी जर्जर हो चुका है। यहा पर भी लगतार यातायात का दबाव है। सारंगढ़ से चंदाई तक की सड़क भी बद से बदत्तर हो गई है। ऐसे में लोकसभा चुनाव मे सड़क की बदहाली चुनावी मुददा बनना चाहिये किन्तु यहा पर सिर्फ और सिर्फ सत्ता और सत्ता की मलाई खाने वालों की भरमार है, ऐसे मे अब आम जनता को सड़क हेतु पहल करने की दरकार है।

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