रायगढ़ टाईम्स विशेष

ओवरलोड गाड़ियां सड़कों की ले रहे जान…खनिज विभाग के अधिकारीयों को नही है संज्ञान….! क्रेशरों से मलाई खाके सो रहा खनिज विभाग..? अब पुलिसिया कार्यवाही की जरूरत..विवेक पाटले और अमित शुक्ला पर टिकी सबकी निगाहें..

जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़। पूरे छत्तीसगढ़ में रायगढ़ जिला उद्योग और खनिज संपदा के लिए जानी जाती है। खनिज संपदा /गौण खनिज के लिए प्रशिद्ध गुडेली-टीमरलगा और कटंगपाली क्षेत्र में बेतरबी से हो रहा खनन और अवैध परिवहन किसी से छिपी नही है।
ओड़िसा बॉर्डर और अन्य जिला की तटस्थ सीमा में लगे कटंगपाली/सारंगढ़ क्षेत्र में आम जनता का जीना मुहाल हो गया है। इस पर आज कुछ ग्रामीणों ने मीडिया के माध्यम से पुलिस को मौखिक शिकायत भी कराई है।

ओवरलोड गाड़ी से सड़कों का हालत पस्त, तेज रफ़्तार ले रही जान-

ओवरलोड गाड़ियों और उसमें तेज रफ्तार मानो नीम के ऊपर करेले का लेप के समान है। ओवरलोड गाड़ियों से जिस प्रकार से सड़क की दुर्दशा हो रही है उसके कहने ही क्या।

ऊपर से डंपर चालकों के तेज रफ्तार से आये दिन कोई न कोई नागरिक अकारण काल के गाल में समा जा रहा है। जिससे जनप्रतिनिधियों में रोष उतपन्न होना लाज़मी है, लेकिन पैसों के दम में सभी अधिकारियों के आंखों में पट्टी सी बांध दी गयी है। आम जनता की सुनता भी कौन है, पर्यावरण विभाग और खनिज विभाग को मलाई खाने से फुर्सत मिले तभी शासकीय सड़क और आम जनता की सुध लेने में इंटरेस्ट लेंगे..?

एक दो कार्यवाही करके खुद की तारीफें छपवाने में माहिर हैं खनिज विभाग के अधिकारी..!

सूत्रों की मानें तो रायगढ़ जिले में सबसे ज्यादा मलाई खनिज विभाग के हाथ मे ही होता है। इस विभाग में अधिकारी लाखो खर्च करके अपना तबादला रायगढ़ कराने की जुगाड़ में रहते हैं। एक दो कार्यवाही करके खुद को हीरो साबित करने में कोई कसर नही छोड़ने वाले खनिज विभाग के बारे एक कहावत पूरे क्षेत्र में प्रशिद्ध है की जिस क्रशर से मोटी चढ़ोत्तरी न मिले उस क्रशर को किसी भी प्रकार से कमी निकाल कर सील कर दिया जाये।

जब भेंट मन माफ़िक मिल जाये तो महज हफ्ता-पंद्रह दिन में तत्काल पुनः खोलने की स्वीकृति भी मिल जाती है। और जो क्रशर वाले खनिज विभाग के अधिकारियों की बात न मानें उन बेचारों का क्रशर तत्काल सील कर दिया जाता है, भले ही मापदंड में उनका क्रशर भेट चढ़ाने वाले खुले क्रशर से बेहतर क्यों न हो। इस बात में अगर थोड़ी भी सच्चाई है तो एक बार संवेदनशील कलेक्टर भीम सिंह को संज्ञान में लेकर जांच करनी चाहिए। अगर इस बात में सच्चाई सामने आती है तो ऐसे सरकारी नुमाइंदों पर तत्काल कड़ी से कड़ी कार्यवाही भी करनी चाहिये।

बड़े और राजनीतिक पकड़ वाले मालिकों की गाड़ी पर कार्यवाही में फूलते हैं हाथ-पांव..!

एक तरफ छोटे उद्योगों पर काल बनकर टूटने वाला खनिज विभाग जो गरीब किसान के रेत से भरे ट्रैक्टर को पकड़ कर पेपरबाजी कराकर खुद को सुपर-हीरो साबित करने में कोई कसर नही छोड़ता , वहीं जब बात पहुँचवालों की गाड़ियों पर कार्यवाही की होती है तो खनिज विभाग के अधिकारियों को मानो सांप-सूंघ जाता है।

इसके दो कारण जान पड़ते हैं-पहला या तो उन मालिको से उन्हें बकायदा चढ़ोत्तरी पहुंचती होगी या दूसरा राजनीतिक पहुंच पर कार्यवाही का भय होगा ? और भय हो भी क्यों न कौन खनिज अधिकारी भला रायगढ़ छोड़ना चाहे..?

किसी भी क्रशर को चाहें हम सील कर सकते हैं समझने वाले अधिकारियों को अब समझना होगा कि वो जनता हित मे कर्मचारी है, और जनता का नुकसान कराकर कुछ चहेतों को बेजा लाभ दिलाना उनके लिए हितकर नही होगा। क्यूंकि हर मीडिया एकतरफा न्यूज़ नही बनाता, कुछ सिक्के के दूसरे पहलू को भी उजागर करने में विश्वास रखते हैं।

तेज तर्रार विवेक पाटले और दबंग अमित शुक्ला उम्मीद की अंतिम किरण-

खनिज विभाग द्वारा हो रही पक्षपातपूर्ण कार्यवाही अब किसी से छिपी नही है। एक तरफ कुछ क्रशरों पर कार्यवाही तो दूजा कुछ को अभयदान मिल रहा है। लेकिन दोनों हालत में पीसा रहे हैं सड़क और आम नागरिक। सड़को की दुर्दशा और रफ़्तार के सौदागरों पर अब कानूनी शिकंजा की शख्त जरूरत आन पड़ी है।

अब टीआई विवेक पाटले और अमित शुक्ला को ओवरलोड,तेज रफ़्तार गाड़ियों और राजनीतिक पहुंच वाले अमानक क्रशरों पर कार्यवाही की जरूरत आन पड़ी है। सरिया थाना प्रभारी विवेक पाटले पाटले को अपने वर्तमान थानाक्षेत्र में वही पुलिसिया अंदाज में वापिस आना पड़ेगा जैसे उनको छाल और रायगढ़ में जाना जाता था। और अमित शुक्ला जी को भी शराब,जुआ के साथ अब सड़क और पर्यावरण के दुश्मनों को कानून की क-ख-ग सिखानी पड़ेगी।

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