सारंगढ़: श्रमिक कार्ड के पिछे अवैध रूप से 500 रूपये लेने के मामले ने पकड़ा तूल… झूठी शिकायत की बात कहकर सीएससी सेंटर के मालिक ने वकील के माध्यम से भेजा नोटिस…..

सारंगढ़: श्रमिक कार्ड बनाने के बदले 500 रुपये लेने की बात ने सारंगढ़ मे खलबली मचा दी थी, जिसपर एक शिकायत कर्ता ने कलेक्टर से भी शिकायत कर दिया था। जिसकी जानकारी प्राप्त होने पर मीडिया ने भी मामले की संवेदनशीलता समझकर इसे अपने समाचार मे स्थान दिया था उस पर एक नया मोड़ आने से मामला और भी दिलचस्प हो गया है। दूसरे पक्ष ने अपने वकील के माध्यम से शिकायत कर्ता को डाक पोस्ट के माध्यम से नोटिस भेजकर 7 दिवस के अंदर आपसी समझाईस अथवा कार्यवाही की बात कही है।
नोटिस के अनुसार –
वकील प्रकाश चौहान ने नोटिस मे लिखा है कि उसके पक्षकार अमित कुमार सारथी जो कि अनुसूची जाति का व्यक्ति है शासन की अनुमति से अपने परिवार के पालन पोषण करने हेतु रानी लक्ष्मीबाई कॉमप्लेक्स में लोक सेवा केन्द्र स्थापित किया है, जिसे स्थापित करने में उसे लाखों रूपये खर्च करना पढ़ा है, ईमानदारी पूर्वक कार्य कर लोगों की सेवा करते चला आ रहा है, जिसके अंतर्गत कई अन्य कर्मचारी भी हैं, जिनकी रोजी रोटी सेवा केन्द्र पर आश्रित है। पक्षकार अमित कुमार सारथी के वकील का यह भी कहना है शिकायत कर्ता ने उससे आर्थिक लाभ लेना चाहा एवं उनके कार्यो में विघ्न डाला। जिस पर क्रोधित हो बिना सबूत के आधार पर यह आरोप लगाते हुए की वह श्रमिक कार्ड के पिछे अवैध रूप से 500 रूपये लेता है, जिलाध्यक्ष सारंगढ़ बिलाईगढ़ के पास लिखित में शिकायत कर दी है तथा एवं सारंगढ़ के द्वारा प्रसारित समाचार पत्र में भी झूठा शिकायत का प्रकाशन करवा दिया है। जिस कारण अमित कुमार का आई डी बंद हो गया है व मेरे पक्षकार के व्यवसाय में बुरा असर पड़ा है। साथ ही मान प्रतिष्ठा पर भी आंच आया है, जिसे मेरा पक्षकार को अपमानित होना पड़ रहा है।
यह कि मेरे पक्षकार के विरूद्ध में आपके द्वारा शिकायत करना व पेपरबाजी करना सरासर झूठा तथ्य का सहारा लिया गया है। मेरा पक्षकार एक सीधासाधा व्यक्ति है जो कि किसी प्रकार के भष्टधारी से अछूता है, ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आपने उक्त हरकत करके कानूनी व व्यक्तिगत रूप से कार्य गलत किया है।
वकील श्री चौहान के अनुसार उसके पक्षकार अमित का कहना है कि वह इस डाक नोटिस के माध्यम से आपको समझाइश देना चाहता है कि आप समाचार पत्र के माध्यम से अपने कथनों का खण्डन करें अन्यथा मेरा पक्षकार आपके विरूद्ध मानहानि हेतु एवं उसको आई क्षति के लिए लगभग 3,00,000/-रू0 (तीन लाख रूपये) की क्षतिपूर्ति हेतु न्यायालय में दावा प्रस्तुत करेगा जिसकी भरपाई करना आपकी जिम्मेदारी होगी। साथ ही उक्त नोटिस का जवाब सात दिवस के भीतर देवें। जवाब नहीं देने की स्थिति में आपके अभिस्वीकृति मानी जावेगी।
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