रायगढ़ जिला जेल का हो रहा कायाकल्प ! पहली बार बना महिला बंदियों के लिए पृथक गेट….

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रायगढ़: एस पी कुर्रे के रायगढ़ जिला जेल का प्रभार संभालने के बाद जेल प्रशासन की इस बात के लिए सराहना करनी होगी कि रायगढ़ जिला जेल की संरचनात्मक कमियों को दूर करने का भरसक प्रयास किया गया, जिससे जेल को ओवर क्राउड की समस्या से जूझना नहीं पड़ा और इन सबसे बड़ी बात जिसका जेल के इतिहास में विशिष्ट स्थान होगा , वह यह कि अब रायगढ़ जिला जेल अनुचित , अस्वास्थ्यकर एवं सुरक्षा जोखिमों से परे बंदियों के लिए एक सुधारात्मक संस्थान में तब्दील हो गया है । एस पी कुर्रे ने रायगढ़ जिला जेल को बेहद कम बजटीय आबंटन में उच्च कार्यभार और प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों के साथ एक आदर्श केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना को सफलता की राह दिखलाई है । जेल के बंदियों के कौशल विकास के लिए जेलर कुर्रे ट्रेनिंग और शेड की व्यवस्था करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। बंदियों का आक्रामक व्यवहार कम होता जाए और वे भी समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सकें, इसके लिए जेलर योग और मेडिटेशन की कक्षाएं भी शुरू करने के लिए प्रयत्नशील हैं । बताया जा रहा है कि जेलर एस पी कुर्रे की मेहनत का ही प्रतिफल है कि आनेवाले दिनों में रायगढ़ जिला जेल को केंद्रीय जेल के रूप में विकसित करने की चर्चा हो रही है । रायगढ़ का जिला जेल एक ऐतिहासिक स्थान रखता है । 1912 में स्थापित इस जेल ने सफलतापूर्वक शतक पूरा कर लिया है । आपको बता दें कि आस पास के जिलों में ऐसी जेल नहीं है । वर्तमान जेलर एस पी कुर्रे के दिशा निर्देशन और कुशल संचालन की बदौलत रायगढ़ जिला जेल की कायापलट हो गई है । रायगढ़ जिला जेल की क्षमता कुल 705 बंदियों की है । इसमें दंडित बंदियों की संख्या 15 है । विचाराधीन पुरुष बंदी 648 और विचाराधीन महिला बंदियों की संख्या 47 है । दीवानी बंदी 02 हैं। इस प्रकार अभी कुल पुरुष बंदी 685 हैं और महिला बंदी 47 हैं । बच्चों की कुल संख्या 02 है । अभी हाल तक महिला बंदी बैरक की क्षमता मात्र 10 की थी , जिसमें करीब 40 -50 महिला बंदियों को रखा जाता था । वर्तमान जेलर एस पी कुर्रे ने इस अमानवीय स्थिति को अपने अथक प्रयासों से आपाद मस्तक परिवर्तित कर डाला । जेल में बंदियों के शिक्षण, पठन- पाठन और ट्रेनिंग की व्यवस्था है । इग्नू के माध्यम से जेल में विभिन्न कोर्स संचालित किये जा रहे हैं । शिक्षा के क्षेत्र में काफी बेहतर काम हो रहा है। जेलर एस पी कुर्रे ने बताया कि जेल में जेल स्तर पर , शासन के स्तर पर , न्यायिक विधिक प्राधिकरण और विभिन्न समितियां जैसे नालसा आदि की मदद से बंदियों की संख्या लगातार कम करने की कोशिशें की जाती हैं , जिससे जेल में ओवर क्राउड की समस्या निर्मित नहीं हो पाती है। मसलन छोटे अपराध वाले केस, समझौता हो पाने वाले जैसे केसों में न्यायिक क्षेत्राधिकार के अंतर्गत विशेष स्कीम चलाए जाते हैं जिससे ओवर क्राउड की समस्या शुरू होने से पहले ही समाप्त हो जाती है । जेलर एस पी कुर्रे के कुशल संचालन में रायगढ़ जिला जेल नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। यह रायगढ़ जिला जेल के लिए विशिष्ट उपलब्धि है और इस बात की पूरी संभावना है कि निकट भविष्य में यह सेंट्रल जेल के रूप में अपग्रेड हो जाए ।

महिला बंदियों के लिए बना पृथक गेट

दिनांक 27 नवम्बर 2022 से 20 महिला बंदियों की क्षमता वाले तीन नए बैरक प्रारंभ किए गए । इससे अब 60 महिला बंदियों के लिए सुविधाजनक और पृथक व्यवस्था हो गई है । विगत 100 सालों से चली आ रही पुरातन व्यवस्था को बदल कर एस पी कुर्रे ने एक मिसाल कायम कर दी । अभी तक महिला कैदियों के लिए पृथक रास्ते की व्यवस्था नहीं थी । अब महिला बंदियों और महिला प्रहरियों के लिए पुरुष बंदियों से अलग व्यवस्था की गई है । अभी तक महिला बंदियों और प्रहरियों को कई पुरूष बैरकों को पार करके आना जाना पड़ता था । इससे उन्हें निजात मिल गई । जेलर कुर्रे का कहना है कि डी जी, जेल और कलेक्टर के सहयोग से बेहतर काम हो पाया है।

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