रायगढ़ नगर निगम में चला हाईप्रोफाइल ड्रामा…..महापौर ने 3 MIC सदस्यों को हटाया, तो 4 ने खुद दिया इस्तीफा……

रायगढ़/शनिवार को शहर सरकार में उथलपुथल मच गई। महापौर ने शाम को अपने 3 एमआईसी सदस्यों को हटा कर दूसरे पार्षदों को मंत्री बनाया। लगभग डेढ़ घंटे बाद विरोध में चार अन्य एमआईसी सदस्यों ने भी इस्तीफा सौंप दिया। महापौर जानकी काटजू और सभापति जयंत ठेठवार के बीच शुरू से चल रहे शीतयुद्ध के बाद झगड़ा आखिरकार सड़क पर आ गया। इस फेरबदल से कांग्रेस के भीतर गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है।
शहर में एमआईसी सदस्यों की संख्या 10 है। सभापति जयंत ठेठवार के करीबी प्रभात साहू, लक्ष्मी साहू और रत्थु जायसवाल को एमआईसी सदस्य बनाया गया था। लगभग डेढ़ साल की खींचतान में कई बार जयंत के नजदीकी एमआईसी सदस्यों ने इस्तीफा देने की बात कही थी। शुक्रवार को ऑडिटोरियम में सामान्य सभा हुई, सब कुछ था। शनिवार को अचानक अनुपमा शाखा यादव, संजय चौहान और विनोद महेश को एमआईसी में शामिल कर प्रभात, लक्ष्मी और रत्थु को बाहर कर दिया गया। इसके बाद राजनीति गरमाई।
महापौर के विरोधी खेमे ने चर्चा की और विधायक या जिला कांग्रेस कमेटी से मशविरा किए बिना एमआईसी सदस्यों को हटाए जाने का विरोध किया गया। पूर्व सभापति और वरिष्ठतम पार्षद सलीम नियारिया के साथ शौकी बुटान, लक्ष्मीन मिरी और राकेश तालुकदार ने एमआईसी से इस्तीफा दे दिया। महापौर के करीबियों ने कहा, डेढ़ साल हो गए थे। कुछ अन्य पार्षदों को भी एमआईसी में जगह दी जानी जरूरी थी।
महापौर के मंत्रिमंडल में शुरुआत से खींचतान
जयंत ठेठवार, जानकी काटजू को महापौर बनाए जाने के खिलाफ रहे लेकिन विधायक प्रकाश नायक ने हस्तक्षेप कर सामंजस्य बनाया । नगर निगम में सड़क, नाली, अन्य निर्माण या दूसरे कामों की स्वीकृत में महापौर के फैसले पर एमआईसी के कुछ सदस्य ही आपत्ति जताते रहे। राजनीतिक गलियारों में इसे ठेके पर झगड़ा कहा जाता रहा।
संबलपुरी गौठान के काम में बिना दर स्वीकृति के काम कराने के आरोप लगे, महापौर ने इसकी शिकायत कलेक्टर से की। इसके बाद सभापति के गुट ने आरोप लगाया कि दबाव बनाकर 4 प्रतिशत बिलो को छोड़ 2 प्रतिशत बिलो पर रेट देने वाले ठेकेदार को काम दिलाया गया। सफाई ठेके से लेकर तमाम कामों पर कांग्रेसी पार्षद और एमआईसी सदस्य एक दूसरे से भिड़ते रहे। महापौर को लगता था कि मुखिया होने के बाद भी वे अपनी मर्जी नहीं चला पा रही हैं वहीं दूसरे पक्ष को लगता था कि उनका ध्यान नहीं रखा जा रहा है।
पुराने आयुक्त से झगड़े के बाद बढ़ी तल्खी
पूर्व आयुक्त आशुतोष पांडेय सेg सभापति जयंत ठेठवार के बीच झगड़ा हुआ। जयंत के करीबी माने जाने वाले ठेकेदारों के काम निरस्त किए गए । आयुक्त पांडेय ने आदेश दिया कि उनसे बिना पूछे कोई भी फाइल या दस्तावेज जनप्रतिनिधियों को न दिखाएं। जयंत ने समर्थकों के साथ रायपुर जाकर मुख्यमंत्री से तत्कालीन आयुक्त की शिकायत की थी ।
कुछ दिनों बाद महापौर की एक कथित चिट्ठी वायरल हुई, इसमें महापौर ने मुख्यमंत्री को आयुक्त पांडेय के कामकाज पर संतोष जाहिर करते हुए उन्हें बनाए रखने के लिए कहा था । सदन में बजट पेश हुआ तो वित्त प्रभारी एमआईसी सदस्य ने बजट पढ़ने से यह कहते हुए इनकार किया कि जब ड्राफ्ट नहीं दिखाया तो सदन में इसे पढ़ूं क्यों । दिलचस्प बात यह थी कि कांग्रेस के किसी बड़े नेता या संगठन ने दोनों पक्षों को बैठाकर सुलह कराने की कोशिश भी नहीं की।
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