सारंगढ़: मां चंद्रहासिनी क्रेशर उद्योग में नाम मात्र का खदान और हजारों टन निकाल चुका है रॉयल्टी….! रॉयल्टी चोर क्रशरो पर कब होगी कार्यवाही ? कलेक्टर डी राहुल वेंकट के उपर टिकी निगाहें….

सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले के खनिज ग्राम पंचायत गुडे़ली में स्थित मां चंद्रहासिनी क्रेशर उद्योग की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रहा है । यहाँ सिर्फ नाम मात्र का ही खदान है और रॉयल्टी पर्ची की भरमार है । वही रायगढ़ खनिज विभाग के तेज तर्रार खनिज अधिकारी योगेंद्र सिंह को यहाँ का प्रभार मिला हुआ है । इससे पहले तो कई अधिकारी रायगढ़ जिले में आए और उन्होंने रॉयल्टी पर्ची जारी कर दिए , लेकिन अब खनिज अधिकारी योगेंद्र सिंह की बारी है ।

इस क्रेशर में ना तो कोई खदान नजर आ रहा है और ना ही कोई गड्ढा दिख रहा है । अगर आपको रायल्टी पर्ची निकालना हो तो पहले अपने लीज क्षेत्र में खदान खुदाई कर पत्थर निकाला जाता है , उसके बाद रॉयल्टी पर्ची निकाल कर गाड़ी में लगाया जाता है , लेकिन माँ चंद्रहासिनी क्रेशर उद्योग में तो मामला उल्टा ही नजर आ रहा है । यहाँ नियमों को ताव में रखकर कार्य किया जा रहा है और रायगढ़ में आये नए अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं है । अगर खनिज विभाग इनको ऐसे रायल्टी पर्ची देते गए तो शासन को बहुत नुकसान होगा ।
यहां तो चर्चा का माहौल बना हुआ है कि चंद्रहासिनी क्रेशर उद्योग का कोई रसूखदार बिना खदान खोदे ही खनिज विभाग से रॉयल्टी पर्ची जारी करवा सकता है । अगर ऐसा हुआ तो अधिकारियों को यहां रहने का क्या मतलब हो रहा है जहाँ अपनी रसूखदारी दिखाते हुए बेधड़क होकर रॉयल्टी पर्ची निकाला जा रहा है , यह हम नहीं कह रहे हैं यहां चर्चा का माहौल बना हुआ है ।

अब रायगढ़ जिला से अलग होकर नया जिला गठित हुआ है सारंगढ़-बिलाईगढ़ जहाँ के कलेक्टर साहब तेज तर्रार अधिकारियों में माने जाते हैं । अब देखते हैं कि आगे इस क्रेशर पर बिना जांच किए ही खनिज विभाग रॉयल्टी पर्ची जारी कर देता है या फिर विभाग में आए नए खनिज अधिकारी योगेंद्र सिंह इन पर कहर बनकर बरसते हैं ।
नाम मात्र का खदान और हजारों टन निकाल चुका है रॉयल्टी –
वही प्राप्त जानकारी के अनुसार अगर माइनिंग विभाग इनकी खदान जाकर देखें तो पता चलेगा कि आज तक कितना खुदाई किया गया है । वैसे तो बता रहे हैं कि इनकी खदान की खुदाई ही नहीं हुई है और माइनिंग विभाग ने इनको रायल्टी पर्ची जारी कर दिया है , जिससे वह करोड़ों की कमाई कर लिया है इसलिए हम ऐसा कह रहे हैं । अगर माइनिंग विभाग से आपको रॉयल्टी निकालना हो तो प्रति टन लगभग 145₹ से 160₹ की खर्चा होनी है , लेकिन यहां तो रॉयल्टी निकालकर मार्केट में 220₹ बेचा जा रहा है , तो जरा सोचिए अगर प्रति टन पर 60₹ की बचत हो रही है तो हजारों टन रॉयल्टी बेचकर कितना मालामाल हुआ होगा जो शासन की होनी चाहिए थी , लेकिन यहां के ठेकेदार या कहें क्रेशर मालिक मनमानी कमाई कर रहे हैं और माइनिंग विभाग है कि आंख बंद कर बेधड़क होकर रॉयल्टी पर्ची निकाल कर दे रहा है । आखिर इसका जिम्मेदार कौन होगा ?
पर्यावरण विभाग के नियमों की उड़ा रहा धज्जियां –
पर्यावरण विभाग के अधिकारियों की तो बात ही निराली है । इस क्रेशर में पर्यावरण विभाग के अधिकारी कभी झांकने भी नहीं आए हैं जिसका खामियाजा यहां के ग्रामीण भुगत रहे हैं , क्योंकि अगर आपको क्रेशर चलाना हो तो पर्यावरण विभाग के नियमों का पालन करना अनिवार्य है । यहां तो जाली भी नहीं ढका हुआ है और खुले में बेधड़क होकर क्रेशर संचालित कर रहा है । आखिर इस पर इतनी मेहरबान क्यों हैं अधिकारी ? क्यों नहीं हो रही है इस क्रेशर में कार्यवाही ? ऐसे कई सवालों के घेरे में है मां चंद्रहासिनी क्रेशर उद्योग गुडे़ली ।

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