रायगढ़: संवेदनशील एसपी के राज मे स्कूली छात्राओं के साथ अश्लील हरकत और किडनेपिंग की कोशिश? बच्चियों के परिजनों ने लगाया पुलिस पर गंभीर आरोप… श्रीमती रानू साहु लें जल्द संज्ञान तब होगा बाहुबलियों पर कार्यवाही…

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छत्तीसगढ़ मे विगत दिनों रायगढ़ पुलिस के अच्छी पुलिसिंग के चर्चे मिडिया की शुर्खियाँ बटोरी थी, लेकिन आज एक मामले ने फिर से सोचने पर विवश कर दिया है। स्कूली छात्रों और परिजनों के अनुसार बच्चों से गुंडों ने छेड़छाड़ और किडनेपिंग करने की नाकाम कोशिश की,और छात्राएं जब अपनी जान बचाकर शिकायत लेकर परिजनो के साथ थाने पहुंचे तो एफआईआर लिखने की बजाए उन्हें थाना प्रभारी द्वारा घुमाया जाने लगा।
उक्त मामला धरमजयगढ़ थाने का है। छात्राओं ने बताया की शिक्षक दिवस के दिन बच्चे स्कूल से वापस आ रहे थे इस दौरान बिट्टू सरकार और नरेंद्र मंडल अपनी कार में आए और बच्चियों से अभद्रता करने लगे। जब बच्चियों ने इसका विरोध किया तो उन्हें गाड़ी में जबरन बिठाने की कोशिश की गई, बच्चे किसी तरह जान बचाकर भागने लगे इसी बीच गनीमत से एक बच्चे का परिजन भी वहां पहुंच गये और उन्होंने बच्चियों की मदद करने की कोशिश की तो बदमाशो ने उनसे झड़प की, कॉलर पकड़कर जान से मारने की धमकी भी दी। बात यहीं खत्म नहीं हुई, बच्चों के परिजन किसी तरह हिम्मत जुटाकर धरमजयगढ़ थाने में पहुंचे, तो वहाँ भी उन्हे मदद के बजाए मामले को दबाने की

कोशिश की गयी । बच्चे के एक परिजन ने गंभीर आरोप लगाते हुवे कहा कि थाना प्रभारी नंदलाल पैंकरा ने पहले एफआईआर लिखने से मना कर दिया बाद में थाने में बच्चों को रात 12 बजे तक बिठाकर रखा। इसके बाद सिर्फ एक व्यक्ति की शिकायत लिखी गई। परिजन के अनुसार शिकायत भी गलत लिखी गई। अब दो दिनों से परिजन थाने के चक्कर काट रहे हैं।

75 किलोमीटर दूर सफर करने मजबूर बच्चियां –

बच्चों के परिजनों को पहले तो घुमाया गया। इसके बाद उन्हें घरघोडा जाने के लिए कहा गया। इसके बाद कहा गया की आप रायगढ़ जाइए। रायगढ़ में मजिस्ट्रेट के सामने बयान होगा। सुबह 6 बजे से बच्चों को थाने बुलाया गया। इसके बाद बच्चो को 75 किलोमीटर दूर रायगढ़ पुलिस जीप में लाया गया। अब रायगढ़ के थाने में सुबह से लेकर दोपहर 1.10 तक कोई कारवाई शुरू नहीं हुई थी। 1.20 में अजाक थाने में महिला अधिकारी सरस्वती महापत्रे बयान ने बयान लेना शुरू किया।

एक बच्चे की तबियत बिगड़ी थाने में हो गयी अचेत –

दो दिनों के आपाधापी में एक बच्ची की तबियत बिगड़ गई है। बच्ची उल्टी करते हुए रायगढ़ पहुंची। अब रायगढ़ के अजाक थाने में अचेत पड़ी हुई है। परिजन बताते हैं की बच्चे दो दिनों से सो नहीं पा रहे हैं। रह रह कर बच्चों को वह घटना याद आ रही है।

सीडब्ल्यूसी को सूचना तक नहीं

पुलिस का पूरे घटनाक्रम में यह कहना था कि धरमजयगढ़ में बयान लेने के लिए महिला अधिकारी नहीं है। लेकिन रायगढ़ से जानकारी लेने पर पता चला की एएसआई मंजू मिश्रा के पास धरमजयगढ़ का प्रभार है। ऐसे में जब रायगढ़ लाया भी गया तो सीडब्ल्यूसी को सूचना तक नहीं दी गई। हमने बाल संरक्षण अधिकारी दीपक डनसेना से बात की है। उन्होंने मामले में किसी तरह की कोई जानकारी नहीं होने की बात कही।

थाना प्रभारी का यह है पक्ष

इस संबंध में जब मिडिया ने धर्मजयगढ़ के थाना प्रभारी से उनका पक्ष भी जाना, उनके अनुसार पीड़ित बच्चियों को रात में थाने नहीं बुलाया गया था और उन्हें निजी वाहन से रायगढ़ भेजा गया है ताकि सीडब्ल्यूसी के समक्ष उनका बयान हो सके। सीडब्ल्यूसी के समक्ष उनके ब्यान के आधार पर अन्य धाराएं जोड़ी जाएगी और दोषियों पर कठोर कार्रवाई जाएगी।

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