रायगढ़: शादी का झांसा देकर औरतों को धोखा देने वालो हो जाओ सावधान! दुष्कर्म के आरोपी को आजीवन कारावास व अर्थदंड की सजा…. विशेष न्यायालय रायगढ़ ने युवती से दुष्कर्म मामले में अधिरोपित दुष्कर्म और एट्रोसिटी एक्ट में आरोपी को दिया गया दंड…..

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रायगढ़ । दिनांक 08.07.2022 को विशेष न्यायालय (अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, रायगढ़ के न्यायालय में विशेष न्यायाधीश (एक्ट्रोसिटीज एक्ट) जितेंद्र कुमार जैन द्वारा थाना कापू के दुष्कर्म मामले में आरोपी विनोद साहू पिता ईश्वर साहू उम्र करीब 23 वर्ष निवासी ग्राम सकालो थाना कापू जिला रायगढ़ को मामले की पीड़िता को विशेष वर्ग की पीड़िता जानते हुए वर्ष 2019 से मई 2021 के बीच विवाह करने का प्रलोभन देकर उससे बार-बार लैंगिक संभोग बलात्संग कारित किया । आरोपी को दुष्कर्म एवं एट्रोसिटी एक्ट में दोषी पाकर दोष सिद्ध किया गया आरोपी को धारा 376(2)(ढ़) भादवि में 10 साल की सश्रम कारावास एवं ₹30,000 के अर्थदंड एवं एट्रोसिटी एक्ट 1989 की धारा 3(2)(v) में आजीवन कारावास एवं ₹30000 का अर्थदंड से दंडित किया गया है, आरोपी को दी गई दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी । माननीय न्यायालय द्वारा अर्थदंड राशि में से अपील अवधि के पश्चात पीड़िता को ₹50000 प्रति कर दिलाए जाने का आदेश दिया गया है । प्रकरण की विवेचना तत्कालीन थाना प्रभारी उपनिरीक्षक धनीराम राठौर थाना प्रभारी कापू द्वारा किया गया तथा मामले में राज्य की ओर से विशेष लोक अभियोजक श्री अनूप कुमार साहू द्वारा मामले की पैरवी की गई है ।

मामले का संक्षिप्त विवर

पीड़िता द्वारा दिनांक 04.07.2021 को थाना कापू में आरोपी के विरूद्ध शादी का प्रलोभन देकर शारीरिक शोषण की रिपोर्ट दर्ज कराया गया था, जिस पर अप.क्र.78/2021 धारा 376 IPC का अपराध तत्कालीन थाना प्रभारी कापू उप निरीक्षक धनीराम राठौर द्वारा पंजीबद्ध किया गया । मामले में महिला पुलिस अधिकारी निरीक्षक अंजना केरकेट्टा तत्कालीन थाना प्रभारी धरमजयगढ़ द्वारा पीड़िता का कथन लिया गया। उप निरीक्षक धनीराम राठौर द्वारा पीड़िता से सहमति लेकर उसका मेडिकल और न्यायालीन कथन धारा 164 CrPC के तहत कराया गया, विवेचनाक्रम में गवाहों का कथन, आरोपी की गिरफ्तारी, आरोपी का पुरूषत्व परीक्षण , आवश्यक दस्तावेजों की जप्ती विधिवत करते हुए धारा 376 भादवि एवं धारा 3(1) ब (1), 3(2)(5) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अंतर्गत चालान न्यायालय पेश किया गया था ।

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