नंदकुमार चौबे: रायगढ़ जिले के एक ऐसे एसडीएम,जो कहलाते हैं जीवनदाता… एक दो नही बल्कि 28 बार से ज्यादा कर चुके हैं जीवनदायिनी काम…

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जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़। एसडीएम एक प्रशासनिक अधिकारी का पद है परतुं इनके कुछ न्यायिक और कार्य भी होते हैं जो बहुत कम लोग कर पाते हैं।
एसडीएम एक लोकसेवक होते हैं जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रमुख स्तंभ माने जाते हैं। लोकतंत्र की सफलता एवं असफलता इसी बात पर निर्भर करती है कि प्रशासन की व्यवस्था कितनी मजबूत है और सारंगढ़ वासियों को इस बात पर गर्व होनी चाहिए कि उनके पास एक ऐसे एसडीएम मौजूद हैं जो प्रशासनिक कसावट के साथ समाजसेवी

मानसिकता में धनी भी हैं। एसडीएम शब्द अंग्रेजी के सब डिविजनल मजिस्ट्रेट का संक्षिप्त रूप है इसे हिंदी में उप प्रभागीय न्यायाधीश कहते हैं यह एक उच्च पदाधिकारी होता है जो अनुविभाग के अंर्तगत प्रमुख पद होता है जिसे कुछ पदाधिकारी पचा नही पाते या यूं कहें जनता के बीच अपनी पहचान नही बना पाते लेकिन युवा नंदकुमार चौबे की बात ही अलग है। जब से सारंगढ़ में पदस्त है अपने प्रशानिक दायित्यों के अलावा सामाजिक दतित्व और आमजन की सेवाओं में अनवरत लगे हैं। कोई भी आम जन आज बेधड़क होकर एसडीएम के समक्ष अपने समस्याओं को यथावत रखने में आज खुद को सरल और सहज महसूस कर रहा है तो इसका सबसे बड़ा कारण युवा एसडीएम नंद कुमार चौबे हैं।

हर तीन महीने में करते हैं स्वैक्षिक रक्तदान-

नंद कुमार चौबे जरूरतमंदों के लिए स्वैक्षिक रक्तदान करते हैं, औऱ ये रक्तदान वो हर 3 महीने में करते हैं। विदित हो एसडीएम नंदकुमार चौबे अब तलक तकरीबन 26 बार से ऊपर रक्तदान कर चुके हैं।रक्तदान के लिए धन या ताकत की जरूरत नहीं होती हैं,रक्तदान के लिए तो एक बड़ा दिल और मुक्त मन की जरूरत होती हैं जो एसडीएम नंदकुमार चौबे में है।बीमार के लिए रक्तदान नए जीवन की आशा है और ऐसे अनजान मरीजों के लिए श्री चौबे जैसे लोग एक जीवन दाता हैं। क्योंकि कहा जाता है जो अन्न दे वह अन्नदाता,
जो धन दे वह धनदाता,
जो विद्या दे वह विद्यादाता,
लेकिन जो रक्त दे वह जीवनदाता होता है। और सारंगढ़ को गर्व होनी चाहिए जो ऐसे सोच वाले एसडीएम उनके समक्ष उपस्थित हैं। क्योंकि एसडीएम चौबे ने शनिवार को अपने जीवन काल का 28वां रक्तदान किया जो कि अपने आप मे एक बड़ी उपलब्धि है ।

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