फैक्ट चेक: कर्नाटक में हुए पुलिस लाठीचार्ज का वीडियो छत्तीसगढ़ में चल रहे आदिवासियों के प्रदर्शन का बताकर किया गया था वायरल…..

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छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य के जगलों को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ का आदिवासी समुदाय काफी समय से प्रदर्शन कर रहा है. लोगों का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार बनते ही अडानी समूह ने कोयला खनन के लिए जंगल में तेजी से पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है.

कांग्रेस ने दावा किया है कि अब तक 50 हजार से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं.

इस बीच, सोशल मीडिया पर एक
छत्तीसगढ़ में जब तक भूपेश थे जब टेक भरोसा था आज भूपेश नहीं है अड़ानी की सरकार है और महिला को पीटा जा रहा है 🔥#हसदेव_जंगल_बचाओ#AdaniGroup#हसदेव_जंगलhttps://t.co/UO2cZuOJWS pic.twitter.com/aYfPY9QftK

— A.K. Stalin (@iamAKstalin) January 5, 2024
तेजी से वायरल हो रहा है जिसमें एक जंगल जैसी दिख रही जगह पर जमा हुई भीड़ खाकी वर्दी पहने कुछ लोगों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. वर्दीधारी लोग प्रदर्शनकारियों को पीछे धकेलने की कोशिश करते दिखाई देते हैं. इस दौरान एक महिला नीचे जमीन पर गिर जाती है.

वीडियो को शेयर करने वालों की मानें तो ये वीडियो छत्तीसगढ़ में चल रहे हसदेव जंगल की कटाई के विरोध प्रदर्शन का है. एक यूजर ने लिखा है, “छत्तीसगढ़ में जब तक भूपेश थे जब तक भरोसा था आज भूपेश नहीं है अड़ानी की सरकार है और महिला को पीटा जा रहा है.” ऐसे ही एक पोस्ट का आर्काइव्ड वर्जन यहां देखा जा सकता है.

क्या था ट्वीटर मे

छत्तीसगढ़ में जब तक भूपेश थे जब टेक भरोसा था आज भूपेश नहीं है अड़ानी की सरकार है और महिला को पीटा जा रहा है 🔥#हसदेव_जंगल_बचाओ#AdaniGroup#हसदेव_जंगलhttps://t.co/UO2cZuOJWS pic.twitter.com/aYfPY9QftK

— A.K. Stalin (@iamAKstalin) January 5, 2024

आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि वायरल वीडियो छत्तीसगढ़ में चल रहे आदिवासियों के प्रदर्शन का नहीं है. ये कर्नाटक के एक प्रसिद्ध हाथी अर्जुना की मौत के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों का वीडियो है.

कैसे पता लगाई सच्चाई?

वीडियो को ध्यान से देखने पर हमें नीचे टाइमस्टैम्प के पास ‘यसलूर’ लिखा दिखाई दिया. गूगल करने पर हमें पता चला कि ये कर्नाटक के हसन जिले में स्थित एक गांव है.

इस जानकारी की मदद से कीवर्ड सर्च करने पर हमें ‘पब्लिक टीवी’ नाम के एक यूट्यूब चैनल पर इससे मिलता-जुलता वीडियो मिला, जिसे 5 दिसंबर को अपलोड किया गया था. वीडियो के साथ दी गई जानकारी में बताया गया है कि जिस जगह अर्जुना हाथी को दफनाया गया था, उधर प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया. वायरल वीडियो की तरह, इस रिपोर्ट में भी पीछे जमीन पर गिरने वाली महिला दिख रही है.

अर्जुना हाथी को लेकर हुए प्रदर्शन के बारे में जब हमने और खोजा तो हमें 6 दिसंबर की ‘द न्यू इंडियन एक्स्प्रेस’ की एक रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रसिद्ध दशहरा हाथी अर्जुना (64) की मौत पर स्थानीय लोगों ने सवाल उठाए थे.

अर्जुना के महावत और गांववालों ने आरोप लगाया था कि वन अधिकारियों और पशु चिकित्सकों ने एक जंगली हाथी के बजाय अर्जुना को गोली मार दी. इसे लेकर गुस्साए स्थानीय लोगों ने वन अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए घटनास्थल पर विरोध प्रदर्शन भी किया. उनकी मांग थी कि ‘अर्जुना’ का अंतिम संस्कार मैसूर में किया जाए, क्योंकि उसने वहां के दशहरा त्योहार पर होने वाली मशहूर शोभायात्रा में आठ साल तक स्वर्णिम हौदा उठाया था.

हालांकि, इस मांग को नजरंदाज करते हुए वन अधिकारियों ने अर्जुना की मौत वाली जगह पर ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इसे लेकर वहां एकत्रित भीड़ उत्तेजित हो गई, जिसे तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्का लाठीचार्ज करना पड़ा.

पुलिस के मुताबिक, अर्जुना की मौत जंगली हाथी के साथ लड़ाई के बाद हुई. उस समय जंगली हाथी को पकड़ने के लिए वन विभाग के अधिकारी सर्च ऑपरेशन चला रहे थे. इसी दौरान जंगली हाथी ने अर्जुना के ऊपर हमला कर दिया जिससे उसके पेट में काफी चोट आईं और उसकी मौत हो गई. लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि अर्जुना के पैर पर गोली के निशान थे, जो वन विभाग की तरफ से चलाई गई थी.

साफ है, कर्नाटक में एक हाथी की मौत को लेकर हुए प्रदर्शन के वीडियो को छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य में हो रहे विरोध प्रदर्शन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है.

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