रायगढ़

सोनी अजय बंजारे हुवे “करमा-पूजा” में शामिल..अजय बंजारे को अपने समक्ष उपस्थित पाकर गदगद हुवे मोहल्लेवासी…

जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़। सारंगढ़ के सामाजिक कार्यकर्ता और पार्षद प्रतिनिधि अजय बंजारे की समाजिक सम्मेलनों में हमेशा भागीदारी रही है। इसी तारतम्य में कल सारंगढ़ अंचल में करमा पूजा धूमधाम से मनाया गया, जहां अंचल के सामाजिक कार्यकर्ता अजय बंजारे ने आतिथ्य स्वीकार किया। रेंजर पार, सारथी मोहल्ला समेत जहाँ भी निमंत्रण दिया गया था अजय बंजारे ने श्रदापूर्वक करमापुजा में सम्मिलित होकर भगवान और बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद ग्रहण किये। इस अवसर पर कुछ मोहल्लों में मांदर(छत्तीसगढ़ी वाद्य यंत्र), प्रसाद एवं यथा सहयोग दान भी दिये।
विदित हो कि कोरोनकाल में जब आर्थिक रूप से अशक्षम लोगों के सामने भुखमरी की नौबत आन पड़ी थी उस दौर में भोजन, सब्जी,राशन एवं दिल खोलकर आर्थिक सहायता करने वाले अजय बंजारे की पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता की हुवी थी।
अब कोरोना से बहुत हद तक सारंगढ़ उबर रहा है तो अपने बुरे वक्त में सहारा बने अजय बंजारे को अपने बीच पाकर उत्साहित थे।

क्या है करमापुजा-

भाई-बहनों के प्रेम का मानक पर्व होता है करमा पूजा, इसकी पूजा के लिए सुहागिन बहनें अपने-अपने मायके भी पहुंचने लगी है। ये करमों की पूजा का पर्व है, जिसे भाई-बहन मिलकर करते हैं। ये पर्व भाद्रपद की एकादशी को मनाया जाता है।
इस दौरान भाई-बहन करम के पौधे की पूजा करने के बाद ढोल-नगाड़ों पर नाचते और गाते भी हैं। इस पर्व में महिलाएं पूजा से पहले ‘निर्जला उपवास’ भी रखती हैं और आंगन में करम पौधे की डाली गाड़कर पूजा करने के बाद पानी पीती हैं। ये पर्व तीन दिनों तक चलता है, पहले दिन भाई-बहन करम पौधे की डाल को लाकर घर में रोपते हैं, फिर दूसरे दिन बहनें निर्जला रहकर इसकी पूजा करती हैं और शाम को पानी पीकर उपवास खोलती हैं और फिर अगले दिन गीतों के साथ करम के पौधे को नदी या तालाब में प्रवाहित किया जाता है। इन तीन दिनों में घर में जश्न का माहौल रहता है,घर में काफी पकवान बनते हैं।

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