सारंगढ़

सारंगढ़ में कब तक बांटोगे पाखड़ चावल साहेब..? पाखड़ चावल खाके कोरोना से कैसे लड़ेगा गरीब..! खाद्य अधिकारी पर भी लगा गंभीर आरोप….

जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़/सारंगढ़

रायगढ़ जिले में सारंगढ़ तहसील वर्तमान चर्चा का मुख्य केंद्र रहा है। चर्चा सिर्फ दो कारणों से हो रही है,पहला कोरोना के बढ़ते मरीज और दूजा गरीबों को बांटा जा रहा पाखड़ चावल…!
सरकार बार-बार लोगों को कोविड गाइडलाइंस का पालन करने और कोरोना से लड़ने की बात कहती आई है। लोगों को सुरक्षित रहने एवं भुखमरी से लड़ने के लिए 2 माह का मुफ्त राशन देने की बात कह रही है, तथा इस महामारी में घर बैठे जनता को आपदा को अवसर में बदलने की प्रेरणा दे रही है। मगर सरकार के इस प्रेरणा को कुछ राइसमिलर खुद के फायदे के लिए अवसर ढूंढने में कोई कसर नही छोड़ रहे। अपना कमाई बनता, भाड़ में जाये जनता इनका व्यापारिक नारा बन गया है। और इनके इस कार्य मे कदम से कदम साथ निभा रहे हैं कुछ सरकारी नुमाइंदे क्योंकि ये भी उस नारा को भली भांति समझ बैठे हैं कि इस आपदा को पैसे कमाने के लिए मिले अवसर के रूप में बदलना है। मोटी रकम लेके धृतराष्ट्र बनकर राज करने की इस होड़ में कोई गरीब भले ही बीमार पड़े या मरे इनको कोई सरोकार नही..!
बीते दिनों पाखड़ चावल के खौफ से अंचल उबरा ही नही था कि आज की घटना ने ग्रामीणों में गुस्से की लहर को उफान में ला दिया है।

ताज़ातरीन घटना ग्रामपंचायत अमलीपाली(ब) का है जहां आज पीडीएस का चावल वितरण होना था। गरीबी और भूख की मार झेल रहे ग्रामीण जब अपने और अपने बच्चों के भरण-पोषण के लिए पीडीएस भवन गये एवं घर लाकर चावल को देखे तो उनकी खुशी पल भर में उड़ गयी..! चावल के नाम पर मिला था पाखड़ सोचे की शायद गलती से उनके हिस्से में ये बोरी आ गयी हो, लेकिन पीडीएस भवन जाने के पश्चात पता चला की ये एक व्यक्ति के साथ नही अपितु सबके बोरी में चावल के नाम पर पाखड़ ही दिया गया है। ऐसे महामारी में गरीब जनता अगर पाखड़ चावल खाएगा तो उनकी इम्युनिटी सिस्टम का क्या होगा इसे आसानी से समझा जा सकता है। जब इसकी जानकारी ग्रामीणों ने मीडिया को दी तो मीडियाकर्मी ने जाकर देखा तो स्थिति सही में गम्भीर थी। कार्डधारकों को वितरित चावल पाखड़ था जो खाने योग्य नही था।

फ़ूड इंस्पेक्टर को किया था सूचित- पीडीएस संचालक साहू

जब इस मामले में अमलीपाली (ब) के पीडीएस संचालक साहू से बात की गयी तो उन्होंने मीडिया को बताया की चावल आते ही मेरे द्वारा निरीक्षण किया गया तो चावल में लालपन था। मैंने इस मामले को लेकर खाद्य निरीक्षक पटेल को अवगत कराया तो बोले कि सब जगह ऐसा ही चावल आ रहा है रख लो। तो मैंने चावल रखकर हितग्राहियों को वितरण कर दिया। चावल में लालपन है जो पाखड़ की श्रेणी में आता है। संचालक ने बताया कि ये चावल सिर्फ हमारे पास ही नही अपितु लगभग आसपास के सभी पीडीएस दुकानों को मिला है।

जब इस गम्भीर मामले में फ़ूड इंस्पेक्टर को उनके फोन में सम्पर्क किया गया तो मोबाईल बंद बताया फोन चालू होने के पश्चात भी मीडिया का फोन जानकर उनके द्वारा फोन नही उठाया गया। शायद मामले की जानकारी साहब के पास पहुंच चुकी होगी।

जांच करने के पश्चात कार्यवाही होगी- (नंदकुमार चौबे एसडीएम सारंगढ़)

पाखड़ चावल वितरण की जानकारी सारंगढ़ एसडीएम को दी गयी तो उनका कहना है कि मैं जांच कराऊंगा
अगर पाखड़ चावल होगा तो वितरण नही कराया जायेगा। जब खाद्य निरीक्षक पटेल की बात कही गयी तो उनके मामले में भी जांच कराने की बात मीडिया को कही गयी।

सोचने वाली बात-

इस कोरोनकाल मे लोगों को इम्युनिटी सिस्टम मजबूत करने की बात सरकार द्वारा कही जा रही है। पर कुछ राइसमिलर गरीब जनता को पाखड़ चावल की सौगात दी रहे हैं। क्या यह कारनामा किसी उच्च नेता या अधिकारी के संरक्षण पर किया जा रहा है। अगर पीडीएस संचालक द्वारा एक खाद्य अधिकारी को फोन कर मामले की जानकारी दी जाती है तो अधिकारी जांच कर कार्यवाही करने की बजाय राइसमिलर को बचाने हेतु सभी जगह ऐसा चावल आ रहा है रख लो कहकर आदेशित करता है। यह गरीबों के साथ अन्याय ही नही बल्कि उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ नही तो क्या है। और संवेदनशील एसडीएम नंदकुमार चौबे के कार्यकाल में पाखड़ चावल का प्रकरण दूसरी बार दोहराया जाना भी लोगों को पच नही पा रहा है। गरीब मजदूर शिकायत करें भी तो किससे? उच्चाधिकारियों तक बात रखना मीडिया का दायित्व है अब देखना है गरीबो के किस्मत में क्या आता है न्याय या फिर पाखड़ चावल…!

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