सारंगढ़: पढ़ने की जिद और जुनून ऐसा कि जंगल के बीच लंबी दूरी तय कर विद्यालय आते हैं बच्चे… ग्राम पंचायत मल्दा ब के आश्रित गांव देवसर की कहानी, बच्चों की जुबानी..
सारंगढ़। जोश, जूनून, ज़िद और जज्बा हो तो इंसान लाख अड़चनों और बाधाओं के बावजूद अपनी मंजिल को पा ही लेता है।व्यक्ति अपने हौसलों को ही अपने पंख के तौर पर इस्तमाल कर अपनी उड़ान को पूरा करने की क्षमता रखता है। असल जिंदगी की कुछ कहानियां ऐसी होती है,जो हमें सपनो पर यकीन करना सिखाती है।जिंदगी की पथरीली सफर मे तमाम परेशानियों को परास्त कर आगे बढ़ना सिखाती है। हमारी आज की कहानी भी संघर्ष से टूटकर बिखरने के बजाय विषम परिस्थितियों से लड़कर निखरने की कहानी है।पढ़ने की जिद और जुनून जिसका ताना बाना शिद्दत और जज्बे से बुना गया है। जिला मुख्यालय से लगभग पंद्रह किमी की दूरी पर स्थित मल्दा ब के आश्रित ग्राम देवसर के नौनिहालों की है जिनकी पढ़ने की जिद और जूनून के साथ अदम्य साहस के आगे जंगल की पथरीली राह और दो किमी की दूरी भी कम लगती है।
जहां चाह वहां राह इसी कहावत को चरितार्थ कर रहे है सारंगढ़ विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत मल्दा ब के आश्रित ग्राम देवसर के ये जांबाज बच्चे ,जो रोजाना जंगल की पगडंडी पर चलकर विद्यालय की दहलीज तक पठन पाठन के लिए पहुंचते है। पढ़ लिखकर अपना और गांव,समाज तथा देश का नाम रोशन करने की चाह मे ये बच्चे जंगल की राह और दो किमी लंबी दूरी को चलकर रोजाना विद्यालय पहुंचते है। जंगल के बीच बसा गांव देवसर, जहां महज सात परिवार के पैंतीस चालीस लोग निवास करते हैं। वहां के नौनिहाल सुखद और सुरक्षित भविष्य के सपनों को साकार करने शिक्षा की मंदिर तक पहुंचते है। बुनियादी सुविधाओं के अभाव के बावजूद देवसर के ग्रामीणजन अपने बच्चों को पढ़ा लिखाकर कुछ बनाने की अभिलाषा मे बेहतर शिक्षा देने सरकार की सब पढ़े सब बढे की अवधारणा को साकार करने हरसंभव प्रयासरत है। विदित हो कि 1985 मे ग्राम पंचायत मल्दा के आश्रित ग्राम देवसर मे केडार के आसपास के गांव के चार पांच परिवार गोमर्डा अभ्यारण के बीच ग्राम देवसर मे आकर बस गए थे। गोमर्डा अभ्यारण के बसे यादव समुदाय मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन कर रहे है। तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद इस गांव मे ज्ञान की रोशनी पहुंचने लगी है। राज यादव कक्षा चौथी,राहुल यादव कक्षा दूसरी, यश यादव कक्षा तीसरी,रवि यादव कक्षा पांचवीं,लंकेश्वरी यादव कक्षा छठवीं मे पढ़ते हैं। इन बच्चों ने समवेत स्वर मे कहा कि उन्हें पढ़ने जाना अच्छा लगता है। अभिभावकों के साथ पारी पारी अक्सर पैदल कभी साइकिल से विद्यालय की दहलीज तक पहुंचते है। ये बच्चे दस बारह तक के पहाड़ा,सामान्य गणित एवम पठन लेखन कौशल मे निपुण हैं। प्राथमिक शाला मल्दा ब के प्रधान पाठिका श्रीमती मंजू पटेल ने बताया कि इन सभी बच्चों को सरकार के सभी कल्याणकारी योजनाओं के अंतर्गत निः शुल्क पुस्तक, गणवेश,मध्यान्ह भोजन आदि नियमित रूप से दिया जाता है। सभी बच्चे नियमित विद्यालय आते है और पढाई लिखाई मे रुचि रखते हैं। इसी प्रकार माध्यमिक शाला मल्दा ब के प्रभारी सुभाष पटेल ने बताया कि गुणवत्तायुक्त शिक्षा एवम पौष्टिक भोजन के साथ साथ पुस्तक,गणवेश आदि की सुविधाएं दी जाती है। बहरहाल,बच्चों की पढ़ने की जिद और जुनून और उनके अभिभावकों की जागरूकता शिक्षा के प्रति रुझान को दर्शाता है।