कोलकाता

बिग ब्रेकिंग परीक्षा में नहीं हुए पास फिर भी कर रहे थे नौकरी,फर्जी शिक्षकों की सूची जारी,शिक्षा जगत में मचा हड़कंप….

पश्चिम बंगाल केंद्रीय स्कूल सेवा आयोग ने अपनी वेबसाइट पर उन 183 उम्मीदवारों की सूची डाली है, जो 2016 की परीक्षा में पास नहीं हो सके थे, लेकिन इसके बावजूद उनके नाम मेधा सूची में थे और उन्हें विभिन्न शिक्षण संस्थानों में नियुक्त किया गया था। आयोग द्वारा बृहस्पतिवार को जारी एक बयान में कहा गया कि नौवीं और दसवीं कक्षा के लिये सहायक शिक्षकों के पदों के वास्ते प्रथम राज्य स्तरीय चयन परीक्षा 2016 के सिलसिले में गलत रूप से अनुशंसित 183 उम्मीदवारों की सूची कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय के आदेश के अनुसार प्रकाशित की गई है।

इस बारे में टिप्पणी के लिये पश्चिम बंगाल केंद्रीय एसएससी का कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं हो सका। एसएससी ने यह कदम सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में अयोग्य उम्मीदवारों के काम करने संबंधी रिपोर्ट पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली के हैरानी जताने के बाद उठाया है। भाजपा और माकपा ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह तो महज झांकी है तथा इस संबंध में अभी और खुलासे होंगे।

भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने कहा, ‘‘एसएससी की कार्रवाई से साबित होता है कि पिछले कुछ वर्षों में स्कूलों में भर्ती में किस हद तक भ्रष्टाचार हुआ है। शिक्षा विभाग के निर्देश पर काम करने वाली राज्य की एजेंसी ने स्कूलों में काम कर रहे 183 अयोग्य उम्मीदवारों की भर्ती की बात कबूल करके रिकॉर्ड बनाया है। इस जघन्य अपराध के पीछे के सरगना के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिये।’’

माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा, ‘‘अपने कदम से एसएससी खुद ही स्वीकार कर रहा है कि उसने 183 उम्मीदवारों की अवैध नियुक्ति की, जो परीक्षा पास नहीं कर सके थे। वास्तविक संख्या इससे काफी अधिक है। यह भारत का सबसे बड़ा घोटाला है, जिसके बारे में मेरा मानना है कि इसने हाल में सीधे तौर पर आम आदमी को प्रभावित किया है।’’ इन आरोपों का खंडन करते हुए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि एसएससी पारदर्शी तरीके से काम कर रहा है और अगर कोई गड़बड़ी हुई है तो उसका समाधान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह प्रशासनिक मामला है तथा पार्टी को इस पर और कोई टिप्पणी नहीं करनी है।

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