छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार की चेतावनी: गरीबों के लिए घर बनाने में पिछड़ रहे छत्तीसगढ़ को केंद्र सरकार ने फंड रोकने का दिया अल्टीमेटम…

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नई दिल्ली। कई राज्यों के ढीले रवैये के चलते गरीबों के लिए घर बनाने में प्रधानमंत्री आवास योजना अपने लक्ष्य से पिछड़ गई है। इस योजना को पूरा करने के लिए दो वर्ष का विस्तार दिया गया है।

गरीबों के लिए घर बनाने में छत्तीसगढ़ और बंगाल जैसी सरकारें बहुत पीछे हैं। केंद्र इन राज्यों के खराब प्रदर्शन से त्रस्त है। इसे लेकर उन्हें कई बार चेतावनी और अल्टीमेटम जारी किया जा चुका है।

छत्तीसगढ़ योजना में अपना हिस्सा जारी नहीं कर रहा, जिससे गरीबों के पक्के घर बनने तो दूर कई जगहों पर काम ही शुरू नहीं हो पा रहा है। बंगाल में योजना के प्रारूप को ही बदलने का प्रयास किया जा रहा है। केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखकर प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी व ग्रामीण) के खराब प्रदर्शन पर चिंता जताई है।

केंद्र ने अपने पत्र में पिछले साल 17 जून, 15 सितंबर और 17 नवंबर को लिखे पत्रों का हवाला देते हुए राज्य सरकार की हीलाहवाली पर नाराजगी जाहिर की है। इसमें योजना के मद में राज्यों की हिस्सेदारी वाली धनराशि जारी करने में हो देरी पर फटकार लगाई गई है।

हाल के पत्र में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण गरीबों के लिए वर्ष 2021-22 में 7.82 लाख आवास का निर्माण किया जाना था, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अपने हिस्से की धनराशि जारी न करने से गरीबों के मकान नहीं बनाए जा सके। इस संबंध में केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारियों की कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है।

गरीबी उन्मूलन के लिहाज से पीएमएवाई को बेहद अहम योजना माना जाता है, लेकिन राज्य सरकारों की लापरवाही से इसे निर्धारित समय में पूरा नहीं किया जा सका। इसी कारण केंद्र ने योजना पूरा होने का समय मार्च 2024 कर दिया गया है।

छत्तीसगढ़ में योजना वर्षों से लंबित
छत्तीसगढ़ में योजना पिछले तीन चार वर्षों से लंबित चल रही है। प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना में राज्य के लिए 2.66 लाख मकान मंजूर किए गए थे। इनमें से 2.21 लाख मकानों का निर्माण चालू हुआ। इनमें से 1.16 लाख मकान तैयार हो गए जिनका आवंटन भी लाभार्थियों को कर दिया गया। इस योजना के लिए केंद्र ने 3996 करोड़ रुपए मंजूर कर 2227 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए लेकिन राज्य ने अपना पूरा हिस्सा समय पर जारी नहीं किया। इसी कारण इस राज्य के गरीबों के मकान सपना पूरा नहीं हो पाया।

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