रायपुर को पॉलीथिन मुक्त बनाने खुल रहे बर्तन बैंक,न्यूनतम किराये ही मिल रहे बर्तन,जोन कमिश्नर ने दिए 20 हजार,….

शहर को सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) मुक्त बनाने के लिए बर्तन बैंक खुल रहे हैं। नगर निगम के सभी 10 जोन में एक-एक बर्तन बैंक के साथ ही झोला बैंक खोले गए हैं।
जल्दी ही वार्ड स्तर पर भी बर्तन बैंक खोले जाएंगे, ताकि लोगों को परेश्ाानी न हो। हर जोन के सभी वार्डों में एक-एक बर्तन बैंक होंगे। बर्तन बैंक का संचालन महिला स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही हैं। यहां से लोगों को न्यूनतम दर पर किराए से बर्तन दिए जा रहे है। जोन स्तर पर बर्तन बैंक खोलने की योजना पर नगर निगम प्रशासन पिछले छह महीने से काम कर रहा है।
शहर के पर्यावरण प्रेमी भी एसयूपी का बेहतर विकल्प बर्तन, झोला और दोना पत्तल को ही मानते हैं, क्योंकि प्लास्टिक से जुड़ा सामान बाजार में नहीं था, तब पिकनिक या धार्मिक स्थल की यात्रा पर जाते समय पहले आमतौर पर सभी लोग अपने घर से गिलास या अन्य बर्तन साथ लेकर जाते थे।
राजधानी रायपुर को स्वच्छता सर्वेक्षण- 2022 में नंबर वन पर लाने की कवायद पिछले छह महीने से चल रही है। इसके लिए शहर को पालीथिन मुक्त बनाने के लिए एनजीओ की मदद से लगातार जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। एक जुलाई से एसयूपी प्रतिबंधित होने के बाद से शहर के प्रमुख बाजारों से झिल्लियां गायब हो चुकी हंै। शास्त्री बाजार, गोलबाजार के दुकानदार जुर्माने के डर से ग्राहकों को झिल्ली में किराना सामान, सब्जी आदि देने से मनाकर झोला खरीदने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि कुछ दुकानदार चोरी-चुपके झिल्ली में सामान दे रहे हैं।
न्यूनतम किराये पर बर्तन
लाखेनगर ढाल पर बर्तन और झोला बैंक का संचालन कर रहीं गोमती महिला स्वसहायता समूह लाखेनगर वार्ड की अमृता दीवान ने नईदुनिया को बताया कि जनवरी 2022 से समूह से जुड़ी 60 महिलाएं बर्तन और झोला बैंक का संचालन करती आ रही हैं। बर्तन बैंक में दो सौ थाली, गिलास, चम्मच, प्लेट, 11 बड़ी कड़ाही, धामा आदि बर्तन न्यूनतम किराये पर विभिन्ना आयोजनों के लिए जरूरतमंदों को दिए जा रहे हैं। हर महीने में 10 से 12 लोग किराये पर बर्तन पर लेकर जाते हैं। शादी-ब्याह सीजन में बर्तनों की मांग बढ़ती है।
जोन कमिश्नर ने दिए 20 हजार
जोन कमिश्नर महेंद्रनाथ पाठक ने अपनी पत्नी की स्मृति में बर्तन बैंक में बर्तन खरीदने के लिए समूह को 20 हजार रुपये दिए थे। इस पैसे से महिलाओं ने बर्तन खरीदा है। निगम की तरफ से 50 हजार रुपये देने की घोषणा की गई थी, लेकिन अब तक नहीं मिली।
बेच दिए दस हजार झोले
समूह की महिलाओं ने खुद के पैसे जमाकर 38 हजार रुपये से बर्तन के साथ किराया भंडार का सामान गद्दा, तकिया आदि खरीदकर किराये पर दे रही हंै। यही नहीं, महिलाओं ने पालीथिन मुक्त शहर बनाने के लिए कपड़े के झोले भी बना रही हैं। दुकानदार भी झोला बनवाने का आर्डर देने पहुंच रहे हैं। पिछले छह महीने में 10 हजार झोले बेच चुकी हैं।
हर जोन में बर्तन, झोला बैंक
शहर में जोन स्तर पर एक-एक बर्तन और झोला बैंक नगर निगम ने खोल रखा है। इसका संचालन स्वसहायता समूह की महिलाएं कर रही है। इसके अलावा शास्त्री बाजार चंगोराभाठा, ब्राह्मणपारा, खमतराई, डीडीनगर, फाफाडीह समेत अन्य स्थानों पर बर्तन और झोला बैंक संचालित हो रहे हैं।
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