अनुविभागीय कृषि अधिकारी आनंद सिंह पैकरा हुवे सेवानिवृत…कृषि विभाग के कर्मचारियों ने दी अश्रुपूरित विदाई…40 साल के नौकरी मे रहे बेदाग और निष्कलंक….

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जगन्नाथ बैरागी।

रायगढ़। हमारे जीवन में एक ऐसा समय जरूर आता है, जहां हमे किसी को अलविदा कहना पड़ता है। जब विदाई एक ऐसे कर्मचारी या अधिकारी का होता है जो ना सिर्फ एक अच्छा कर्मचारी होने के साथ अपने सहकर्मियों के हर दुख सुख मे खड़े होने वाला हो तो दुख होना लाजमी है। सारंगढ़ कृषि विभाग के एक ऐसे ही सज्जन कर्मचारी थे आनंद सिंह पैकरा….जशपुर जिले के पत्थलगांव के पास बटुराबहार गाँव बम किसान परिवार मे जन्मे “आनंद” का बचपन मे ही कृषि से विशेष रुचि रही थी।

अपने सेवाकाल की शुरुवात सर्वेयर के पद पर करते हुवे दर्जनों तालाब, डेम कार्य मे पारंगत होने के पश्चात कृषि विभाग मे एडीओ फिर सारंगढ़ मे विषय वस्तु विशेषज्ञ पद पर कार्य करते हुवे अपने विभाग मे सभी कर्मचारियों और अधिकारियों से आत्मिक संबंध रखने के कारण सारंगढ़ मे सबसे लोकप्रिय अधिकारियों मे श्री पैंकरा का नाम लिया जाता था।

अंतिम माह मे एसडीएओ पद पर हुवे सेवानृवित्त-

राज्य शासन के प्रमोशन लिस्ट मे आनंद सिंह पैकरा को अनुविभागीय कृषि अधिकारी के पद पर महासमुंद भेजा गया। मात्र एक माह की अवधि शेष रहते उन्होंने वहाँ भी अपने मधुर संबंध के बल पर सबका दिल जीता 31 मई 20200 को उन्हे भावभीनी विदाई दी गयी जिसमे सारंगढ़ से भी अधिकारी और कर्मचारी सम्मिलित हुवे।

आज तक ऐसे कर्मचारी नही देखा – अमृत लाल चौहान

श्री पैकरा सर के बारे मे आज तक कार्यालय के किसी भी व्यकती ने बुरा नहीं सोचा। क्योकि उनका व्यक्तित्व ही कुछ ऐसा था। चाहे कोई भी परिस्थिति हो या कितनी भी बड़ी समस्या हो, हमने कभी उनको तनाव में नहीं देखा। यही तो एक सफल इंसान की निशानी है। हर परिस्थिति में बिना तनाव के कैसे काम करना है, यह हमने आपसे सीखा है।

ऐसे अधिकारी के साथ काम करना सौभाग्य की बात – दौलत बरेठ

सारंगढ़ अनुविभागीय कृषि अधिकारी कार्यालय् के कर्मचारी दौलत बरेठ दी आनंद सिंह पैकरा के बारे मे कहा की हमेशा हमारी समस्याओं को सुनकर उसका हल निकालने की कोशिस की है। इसीलिए तो कार्यालय का हर कोई व्यक्ति पैकरा साहब के साथ काम करने की इच्छा रखता है। और एक विश्वसनीय, प्रतिभाशाली और ईमानदार इंसान के साथ कोन काम करना नहीं चाहेगा? पैकरा सर के हसमुख चेहरे को देख कर ही हमारे अंदर एक नयी ऊर्जा पेदा हो जाती थी।

पैकरा सर ने हार का जश्न मनाना सिखाया – विश्वनाथ बैरागी

विभागीय टारगे, लक्ष्यपूर्ति नही होने पर या अन्य व्यक्तिगत समय मे जब जब हम निराश हुवे श्री पैकरा सर ने मेरा हमेशा साथ दिया। सर मेरे गुरु,पिता,दोस्त सब थे। आपकी यह सीख भी हम कभी नहीं भूल सकते कि, अपनी हार का भी हमे जश्न मनाना चाहिए। क्योंकि इस से हमारी गलती याद रहेगी और हम दोबारा वह गलती नहीं करेंगे। सच में, आप हमारे लिए एक खुली किताब की तरह हो। हम सब आपसे वादा करते है कि, आपके जाने के बाद हम इस कार्यालय को नई ऊंचाईयों तक ले जाने की पूरी कोशिस करेंगे।

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