सारंगढ़ ब्रेकिंग: वाहन प्रदूषण जांच केंद्र के नाम पर ग्रामीण आम जनता से अवैध वसूली ! जिम्मेदार मौन..जांच के नाम पर ‘फर्जीवाड़ा’, नियमों का खुला उल्लंघन..

सारंगढ़-बिलाईगढ़: जिले के विकासखंड बिलाईगढ़ अंतर्गत कई ग्रामीण क्षेत्रों में वाहन प्रदूषण जांच केंद्र के नाम पर अवैध वसूली का बड़ा मामला सामने आया है। बिना वैध पंजीयन और बिना परिवहन विभाग की अधिमान्यता के एक फर्जी चलित वाहन केंद्र द्वारा ग्रामीणों से जबरन ₹100 ,50 की वसूली की जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, एक पुरानी ओमनी गाड़ी (क्रमांक CG 04 HD 0288) पर बैनर लगाकर खुद को छत्तीसगढ़ शासन द्वारा अधिकृत चलित प्रदूषण जांच केंद्र बताया जा रहा है। उस पर “छत्तीसगढ़ शासन, परिवहन विभाग द्वारा अधिकृत चलित वाहन प्रदूषण जांच केंद्र, जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़” और एक संदिग्ध कोड CG200915U000009+0000003 अंकित किया गया है।
इस कथित केंद्र के द्वारा ग्रामीण इलाकों में मोटरसाइकिल, स्कूटी, लूना जैसे वाहनों को जबरदस्ती रोककर बिना किसी तकनीकी जांच के केवल एक पीली पर्ची पर “प्रदूषण प्रमाणपत्र” जारी कर दिया जाता है, जिस पर लिखा होता है –
“DEVISHI MOBILE PUC TESTING CENTER, KOOWAN”
सूत्रों की माने तो यह प्रमाणपत्र पूरी तरह फर्जी है और इसे तकनीकी जांच या वैध प्रक्रिया के बिना ही काटा जा रहा है।
जैतपुर,जोरापाली, भिनोदी, गाताडीह, नारबंद, परसदा सहित दर्जनों गांव प्रभावित –
ग्रामीणों ने बताया कि 4-5 लोगों की टीम गांवों में भ्रमण कर रही है जो रास्ते में किसी भी वाहन चालक को रोककर डराते हैं और बिना किसी पूछताछ के ₹100 लेकर एक पीली पर्ची थमा देते हैं। वाहन जांच के नाम पर ना कोई मशीन काम करती है और ना ही प्रदूषण मापन होता है।
-क्या कहता है नियम?
दोपहिया वाहनों के लिए अधिकृत प्रदूषण जांच शुल्क केवल ₹60 (GST सहित) निर्धारित है।
प्रमाणपत्र केवल ऑनलाइन पोर्टल से जनरेट कर मान्य QR कोड सहित दिया जाना अनिवार्य है। वाहन को जबरदस्ती रोकना गैरकानूनी है, प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाना वाहन स्वामी की स्वेच्छा पर आधारित होता है।
पेट्रोल-चालित वाहनों के लिए अलग तकनीकी मशीनें होती हैं, जिनसे प्रदूषण की मात्रा मापी जाती है — जो इस केंद्र में अनुपस्थित हैं।
जांच के नाम पर ‘फर्जीवाड़ा’, नियमों का खुला उल्लंघन
बताया जा रहा है कि यह टीम विभागीय आदेशों को भी धता बता रही है। बलौदाबाजार जिले के जिला परिवहन अधिकारी द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि प्रदूषण जांच केंद्र केवल स्थायी जगहों पर, चॉइस सेंटर की तरह संचालित किए जाएं और केवल जरूरतमंद लोगों को प्रमाणपत्र दें।
पत्रकारों ने उठाई आवाज
इस अवैध वसूली की शिकायत स्थानीय पत्रकारों द्वारा दिनांक 3 जुलाई को जिला परिवहन अधिकारी बलौदाबाजार को दी गई है, लेकिन अब तक कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं हुई है।
जब जिला परिवहन अधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा “हमें शिकायत प्राप्त हुई है, हम मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करेंगे।”
मांग: सख्त कार्रवाई हो –
ग्रामीणों ने मांग की है कि इस तरह के फर्जी चलित प्रदूषण जांच केंद्र पर तत्काल रोक लगे।
दोषियों पर FIR दर्ज हो और वाहन को जब्त कर जांच की जाए –
भविष्य में किसी भी जांच केंद्र को बिना वैधता के संचालन की अनुमति न दी जाए।

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