प्राइवेट पार्ट पर चोट… दांत से काटा, गर्म चिमटे से भी दागा; मां बेटी ने मासूम से की बर्बरता की हदें पार…

गोरखपुर के शाहपुर क्षेत्र में मासूम के साथ मारपीट, गर्म चिमटे से शरीर दागने, नाजुक अंगों पर हमला करने के मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर आरोपी मां-बेटी को गिरफ्तार कर लिया है। शुक्रवार को क्षेत्र से गिरफ्तार आरोपी मां को पुलिस ने जेल भिजवा दिया।
वहीं, आरोपी उसकी बेटी को बाल सुधार गृह मिर्जापुर भेजा गया। इधर, पीड़ित मासूम का इलाज बीआरडी मेडिकल कॉलेज में चल रहा है। चिलुआताल थाना क्षेत्र की रहने वाली महिला ने अपनी बेटी को मामा के घर शाहपुर थाना क्षेत्र में भेजा था।
वहां से एक रिश्तेदार महिला (चचेरी बहन) मासूम को घूमाने के लिए अपने घर ले गई। पीड़ित मासूम की मां ने पुलिस को बताया कि रिश्तेदार महिला ने बेटी के सड़क पर गिरकर घायल होने और मीठा खाने से तबीयत बिगड़ने की सूचना दी।
बताया कि उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। मेडिकल कॉलेज पहुंची तो देखा कि पुत्री को काफी चोटें लगी हैं। डॉक्टर से बात करने पर पता चला कि पुत्री के नाजुक अंग भी जख्मी हैं। डॉक्टर ने बच्ची के साथ दुष्कर्म होने की आशंका भी जाहिर की।
बेटी ने बताया कि उसे दीदी (आरोपी किशोरी) और उनकी मां ने मिलकर बहुत मारा पीटा। दांत से काटा और शरीर पर कई जगह चिमटा गरम करके जला दिया। इसके बाद मां ने आरोपी मां-बेटी के खिलाफ तहरीर दी।
एसपी सिटी अभिनव त्यागी ने बताया कि शाहपुर पुलिस ने पीड़िता की मां की तहरीर के आधार पर केस दर्ज कर लिया है। आरोपी मां को जेल व बेटी को बाल सुधार गृह भेजा गया है। घटना की जांच की जा रही है।
बालमन की सनक को हवा दे रहीं रील्स और वेब सीरीज
आपाधापी भरी जिंदगी में आजकल मां-बाप छोटे बच्चों को स्मार्टफोन पकड़ा दे रहे हैं। बच्चे पढ़ाई की जगह रील्स और वेब सीरीज की दुनिया में ही खोए रहते हैं। अपराध के क्रूर कथानक पर बन रहीं वेब सीरीज तुनक मिजाज और गुस्सैल बच्चों की सनक को और हवा दे रहीं हैं। और ये बच्चे मामूली बातों पर हिंसक होकर खून-खराबा कर रहे हैं।
गोरखपुर में पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए जिनमें किशोर-किशोरियों ने दिल दहला देने वाली वारदात को अंजाम दिया। बृहस्पतिवार को शाहपुर क्षेत्र में सात वर्षीय बच्ची के साथ रिश्तेदार की बेटी ने ही हैवानियत की। कुछ माह पहले कुशीनगर में फुफेरी बहन ने मासूम को पानी से भरी टंकी में डालकर ढक्कन बंद कर दिया था। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण सोशल मीडिया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बच्चे अच्छी-बुरी चीजें देख और सीख रहे हैं।
केस 1
चिमटा गरम कर बच्ची को जला दिया
चिलुआताल थाना क्षेत्र की रहने वाली एक महिला ने अपनी बेटी को मामा के घर शाहपुर थाना क्षेत्र में भेजा था। वहां से एक रिश्तेदार महिला मासूम को अपने घर ले गई। रिश्तेदार महिला ने बेटी के सड़क पर गिरकर घायल होने और मीठा खाने से तबीयत बिगड़ने की सूचना दी और बताया कि उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। मां मेडिकल कॉलेज पहुंची तो देखा कि बेटी को काफी चोट लगी है। डॉक्टर ने बच्ची के साथ दुष्कर्म की आशंका जाहिर की। बेटी ने बताया कि उसे दीदी (आरोपी किशोरी) और उनकी मां ने मिलकर बहुत पीटा, दांत से काटा और चिमटा गरम करके शरीर पर कई जगह जला दिया।
क्राइम आधारित सीरियल देख मासूम की ले ली जान
दिसंबर 2024 में कुशीनगर के तमकुहीराज इलाके के करनपट्टी में दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई थी। 12 साल की फुफेरी बहन ने मासूम को पानी से भरी टंकी में डालकर ढक्कन बंद कर दिया था। बच्ची को पानी की टंकी में डालने का ख्याल उसे टीवी पर आने वाले अपराध आधारित धारावाहिक देखकर आया था। पुलिस का कहना था कि बालिका से जब-जब पूछताछ की गई तो वह हर बार अलग-अलग कहानी सुनाती रही। उसके चेहरे पर न तो अपराधबोध दिखा और न ही किसी तरह का पछतावा।
दो किशोरों का काट दिया था गला
सहजनवा क्षेत्र के भक्सा गांव में बीती 24 जनवरी की शाम अभिषेक नाम का बच्चा अपने ममेरे भाई प्रिंस के साथ साइकिल से निकला था। 12-13 साल की उम्र के दोनों बच्चे जब वापस नहीं लौटे तो खोजबीन शुरू हो गई। अगली सुबह गांव से बाहर खेत में दोनों के शव मिले। दोनों के हाथ और पैर बांधकर मुंह में कपड़ा ठूंसने के बाद गला काट दिया गया था। आरोपी की उम्र 17 साल थी और वह इससे पहले भी यौन शोषण के केस में बाल सुधार गृह भेजा जा चुका था। आरोप है कि इसी मामले में कुकर्मी कहकर चिढ़ाने पर नाबालिग आरोपी ने अपने साथी के साथ मिलकर वारदात को अंजाम दिया था।
विशेषज्ञ की राय
बच्चों को समझाएं सामाजिक मूल्य
आजकल ज्यादा बच्चे एकल परिवार में रहते हैं। माता-पिता ड्यूटी करते हैं और बच्चा घर में अकेला रहता है। ऐसा बच्चा सोशल मीडिया, टीवी, इंटरनेट आदि पर ऐसी चीज देखता है जो उसे अपराध की तरफ खींचता है। बच्चों को अपराध से दूर रखने के लिए सबसे पहले उन्हें सामाजिक मूल्य समझाने की आवश्यकता है। उनको बताना होगा कि अच्छा-बुरा क्या है। समाज के लोग और गैर सरकारी संस्थाएं भी इस दिशा में अच्छी नीयत से काम करें तब कुछ बदलाव हो सकता है। किशोरावस्था में बच्चों को अच्छे- बुरे की समझ नहीं होती। इसलिए परिजनों को बच्चों की हर गतिविधि पर नजर रखनी चाहिए।- डॉ. आकृति पांडेय, मनोवैज्ञानिक
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