सारंगढ़ का गढ़विच्छेद उत्सव है पूरे प्रदेश में अनोखा….आखिर क्यों, कब और कैसे मनाया जाता है यह महोत्सव..क्या इस वर्ष मनाया जायेगा या लगेगी कोरोना गाइडलाइंस का ग्रहण…! पढ़िए अनोखी परम्परा के बारे में खास रिपोर्ट…

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जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़। छत्तीसगढ़ की प्राचीन संस्कृति में उपेक्षित सारंगढ़ अंचल में दशहरा उत्सव अनोखे ढंग से मनाया जाता है। यहां पर सियासत काल में ही विजयदशमी पर्व पर गढ़ विच्छेदन कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है। यह गढ़ उत्सव सैकड़ों साल पुराना है।

सूत्रों के अनुसार जानकारी प्राप्त हुई है कि इस वर्ष विजयादशमी के दिन गढ़ विच्छेदन का कार्यक्रम किया जाएगा विदित हो विगत वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते गढ़ विच्छेदन का कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया था

वही विगत दिनों सोशल मीडिया में बात पर बहस चल रहा था कि इस वर्ष गढ़ विच्छेदन उत्सव नहीं मनाया जाएगा, लेकिन नगर के खेल भाटा मैदान में मिट्टी के किले की मरम्मत को देखते हुए यह अंदेशा लगाया जा रहा है कि इस वर्ष विजयादशमी के दिन बड़े विच्छेदन उत्सव मनाया जाएगा, साथ ही रावण दहन भी किया जाएगा। इस पर अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नही हुवी है।

वही सारंगढ़ में आयोजित गढ़ विच्छेदन का महत्व पूरे छत्तीसगढ़ में हैं। क्योंकि यह अनोखा कार्यक्रम सिर्फ सारंगढ़ में ही होता है। जहां पर मिट्टी का टीला रुपिंदर बनाया जाता है , गढ़ के ऊपर सैनिक रक्षक रहते हैं, गढ़ के नीचे पानी भरा जाता है। नीचे गड्ढा होता है जहां प्रतिभागी मिट्टी के टीले को नुकीले औजार से खोदकर ऊपर चढ़ते हैं। जो प्रतिभागी सुरक्षा पहलुओं से जद्दोजहद कर गढ़ में चढने में सफल होता है उसे गढ़ विजेता की पदवी दी जाती है और वह उस दिन राजा का खास मेहमान बनता है। इस उत्सव को देखने के लिए आसपास के लगभग हजारों की संख्या में भीड़ जुड़ती है। उत्सव पर विशाल मेला भी लगता है । छत्तीसगढ़ में मनाये जाने वाले दशहरा उत्सव की विभिन्न परंपराओं के बीच सारंगढ़ अंचल का दशहरा अपनी अलग पहचान और गौरव समेटे हुए हैं। वहीं इस उत्सव का आयोजन सैकड़ों वर्षो से होता आ रहा है। इसका आयोजन आज भी राज परिवार गिरी विलास पैलेस में होता है। सारंगढ़ के प्रसिद्ध खेल भाटा स्टेडियम के पास गढ़ बना है, यह गढ़ लगभग 17 वर्ष पुराना मिट्टी का एक किला है। इसके सामने में 50 फीट ऊंचाई से मिट्टी का टीला कम होते होते आज लगभग 40 फीट ऊंचाई पर पहुंच गया है।

सैकड़ों वर्ष पुरानी है यह परंपरा-

सारंगढ़ शासन द्वारा आयोजित विजयदशमी पर कॉल उत्सव लगभग सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा है। जानकार बताते हैं की रियासत काल में सैनिकों को उत्साहित करने राज परिवार द्वारा सैनिकों के व्हिच इस प्रतियोगिता का आयोजन करते थे,जिसमें विजेता सैनिक को वीर की पदवी दी जाती थी, राज दरबार में उसे विशेष स्थान प्रदान किया जाता था। सैनिकों के बीच में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के रूप में इस गढ़ उत्सव का आयोजन किया जाता है।

गढ़ उत्सव को संरक्षित करना है जरूरी-

सारंगढ़ अंचल में मनाया जाने वाला कर उत्सव पूरे प्रदेश में अनोखा है। इस उत्सव को देखने सारंगढ़ अंचल के साथ सरसीवा, भटगांव, बिलाईगढ़ ,चंद्रपुर, सरिया,बरमकेला ,और कोसिर अंचल से भी काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस आयोजन को देखने के बाद घर पहुंचने वाले युवाओं की घर में पूजा अर्चना की जाती है। अतः इस पारंपरिक उत्सव को संरक्षित करना जरूरी है।

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