गेहूं के खेत में रातों-रात निकल आया ये पहाड़, छिपाना चाहा, पर ऐसे खुला राज़!

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आपने ऐसी बहुत सी चीज़ों के बारे में सुना होगा, जो लोगों से छिपाकर रखी जाती हैं. वहीं कुछ ऐसी चीज़ें भी हैं, जो छिपाकर तो रखी जाती हैं लेकिन सामने आ ही जाती हैं. कई बार ये कोई खज़ाना या कोई प्राचीन महत्व वाली चीज़ होती है लेकिन शायद ही आपने कभी किसी प्राकृतिक चीज़ को छिपाने की घटना के बारे में सुना हो.
इतिहास के पर्दों में छिपी ऐसी कई घटनाएं हैं, जिनके बारे में सुनकर आपको अजीब लगेगा. एक ऐसी ही घटना है, जिसमें एक पहाड़ को छिपाने की कोशिश की गई, लेकिन वो सबकी नज़रों के सामने आ गया. होकाइडु द्वीप में मौजूद Shikotsu-Toya National Park में ये पहाड़ आज भी मौजूद है, जिसे शोवा शिंज़ान कहा जाता है.

अचानक सामने आ गया पहाड़!
जापान में 28 दिसंबर 1943 को एक गेहूं के खेत में अजीबोगरीब पहाड़ बन गया. जो धीरे-धीरे बढ़ने लगा. Shōwa-shinzan नाम का ये ज्वालामुखी करीब 400 मीटर ऊंचा है. पहले तो जापानी अधिकारियों ने इसे छिपाने की कोशिश की क्योंकि ये दूसरे विश्वयुद्ध के बीच का वक्त था. वे नहीं चाहते थे कि ये बात फैले या इस पर कोई अंधविश्वास से जुड़ी मान्यता मान ली जाए. हालांकि मसाओ मिमात्सु नाम के एक पोस्टमास्टर ने इसे नोटिस कर लिया और इस पर गहन अध्ययन भी किया और उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेश किया और ये पहाड़ सबकी नज़र में आ गया.

दिलचस्प है ये कहानी …
शोवा शिंज़ान नाम के इस पहाड़ को जब मसाओ मिमात्सु ने देखा, तो उन्होंने इसका बाकायदा एक चार्ट बनाया और पहाड़ के बढ़ने की गति को उसमें लिखा. उसने सिर्फ स्केच के ज़रिये पहाड़ के बनने की प्रक्रिया दिखाई और वर्ल्ड वॉल्कैनो कॉन्फ्रेंस में 1948 में पेश किया. उसके पेपर्स को यहां मिमात्सु डायग्राम कहा गया और उसे इसके लिए अवॉर्ड भी दिया गया. मिमात्सु ने सिर्फ रिसर्च के लिए अपनी सारी पूंजी लगाकर इस जगह को खरीदा और वो इसका मालिक बन गया. बाद में जापान की सरकार ने इसे कुदरती स्मारक घोषित कर दिया और यहां मिमात्सु का स्टैचू भी बनाया गया.

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