छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ चुनाव 2023: छत्तीसगढ़ में इलेक्शन का इतिहास, कब-कब किस पार्टी ने किया शासन, पढ़िए पुरी जानकारी…

छत्तीसगढ़ में इलेक्शन का इतिहास, कब-कब किस पार्टी ने किया शासन, पढ़िए पुरी जानकारी…

छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद यहां अब तक चार बार चुनाव हो चुके हैं. तीन बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को बहुमत के साथ सरकार बनाने का मौका मिला, तो दो बार यहां कांग्रेस की सरकार रही.
वर्ष 2018 में पहली बार कांग्रेस की निर्वाचित सरकार यहां सत्ता में आई. अजित जोगी के बाद भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के दूसरे कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने. अजित जोगी का कार्यकाल तीन साल का ही रहा. इसके बाद कांग्रेस पार्टी 15 साल तक यहां सत्ता में नहीं लौटी. बीजेपी के डॉ रमन सिंह के नेतृत्व में यहां 15 साल तक सरकार चली. वर्ष 2018 में कांग्रेस प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई. अब छत्तीसगढ़ इलेक्शन 2023 में दोनों पार्टियों ने पूरा जोर लगा दिया है. दोनों पार्टियां चाहतीं हैं कि उनकी ही सरकार बने. आइए, आपको छत्तीसगढ़ का चुनावी इतिहास बताते हैं.

2003 में बीजेपी ने 50, बीएसपी ने जीतीं दो सीटें

छत्तीसगढ़ में वर्ष 2003 में मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी को दो सीटों पर जीत मिली थी. इस साल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 50 सीटें जीतीं. कांग्रेस को 37 सीटों पर जीत मिली, जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के टिकट पर चुनाव लड़ने वाले एक व्यक्ति को विधानसभा में इंट्री मिली.

बीजेपी ने इस बार पहले से ज्यादा सीटें जीतीं

वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में बसपा ने फिर दो सीट पर जीत दर्ज की. बीजेपी ने 50 सीटें जीतीं और कांग्रेस के हिस्से में 38 सीटें आयीं. इस बार एनसीपी खाली हाथ रही. अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़-जोगी (जेसीसी-जे) का भी खाता नहीं खुला.

2013 में थोड़ा गड़बड़ाया बीजेपी का प्रदर्शन

वर्ष 2013 में बीजेपी की एक सीट घट गयी. बसपा की भी एक सीट घटी. इस बार छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बसपा को एक और बीजेपी को 49 सीटों पर जीत मिली. कांग्रेस के 39 उम्मीदवार जीते और विधानसभा पहुंचे. इसी साल पहली बार जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ का खाता खुला. यानी उसका एक उम्मीदवार जीता.

2018 में भूपेश बघेल का चला जादू, बदल गई सरकार

वर्ष 2018 के चुनाव में बड़ा उलटफेर हुआ. कांग्रेस की सीटें डबल हो गयीं. यानी उसे 68 सीट पर जीत मिली. बीजेपी 15 सीट पर सिमट गयी. बसपा को दो सीटों पर जीत मिली और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ को पांच सीट पर विजयश्री मिली.

पहली विधानसभा में थे कांग्रेस के 48 सदस्य

वर्ष 2000 में जब प्रथम विधानसभा का गठन हुआ था, तब विधानसभा में कांग्रेस के 48 और बीजेपी के 36 विधायक थे. बसपा के तीन, निर्दलीय दो, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के एक विधायक सदन में थे. जब सदन का विघटन हुआ, तब कांग्रेस के पास 62, बीजेपी के पास 22, बसपा के पास 2, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के एक सदस्य सदन में थे. एक असंबद्ध और एक नामित सदस्य भी विधानसभा में थे.

दूसरी विधानसभा में 50 सीटें जीतकर बीजेपी ने बनाई सरकार

द्वितीय विधानसभा में बीजेपी के 50 विधायक जीतकर आये, कांग्रेस के 37, बसपा के दो, एनसीपी के एक उम्मीदवार जीतकर विधानसभा पहुंचे. जब सदन का विघटन हुआ, उस वक्त बीजेपी के 52 विधायक थे. कांग्रेस के 34, बसपा के एक, एनसीपी के एक, मनोनीत एक विधायक थे. दो सीट उस वक्त रिक्त थी.

तृतीय विधानसभा में कांग्रेस को मिली 38 सीटें

तृतीय विधानसभा में भी बीजेपी के 50 विधायक थे. कांग्रेस के 38 और बसपा के दो विधायक चुनकर आये थे. जब छत्तीसगढ़ विधानसभा का विघटन हुआ, तब बीजेपी के सदस्यों की संख्या घटकर 49 हो गयी. कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 38 पर यथावत बनी रही. बसपा के दो, एक निर्दलीय और एक मनोनीत विधायक थे.

चौथी विधानसभा में थे बीजेपी के 49 सदस्य

चतुर्थ विधानसभा के गठन के समय बीजेपी के सदस्यों की संख्या 49 थी, जबकि कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 38. बसपा, निर्दलीय, मनोनीत एक-एक विधायक सदन में थे. एक सीट रिक्त रह गयी थी.

2018 में कांग्रेस ने जीती 68 सीटें

पंचम विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 68 सीटें जीतीं थीं. बीजेपी ने 15, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने पांच और बसपा ने दो सीटों पर जीत दर्ज की थी. इस वक्त विधानसभा में कांग्रेस के 71 सदस्य हैं, जबकि बीजेपी के सदस्यों की संख्या घटकर 13 रह गयी है. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के भी विधायकों की संख्या घटकर तीन हो गयी. बसपा के दो विधायक कायम हैं. एक सीट अभी भी रिक्त है।

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