सीमेंट के बढ़ते जगलों के बीच गौरैया का घर बसाने कवायद मे जुटा एक पुलिस जवान….! जिसकी संवेदनशीलता अपने आप में है मिसाल …

रायगढ़..पुलिस की नौकरी में समय का अभाव किसी से छुपा नहीं है। एक पुलिस जवान अपनी दैनिक सेवा में बमुश्किल अपने परिवार के लिए समय निकाल पाता है।
कुछ इसी तरह की दिनचर्या के बीच रायगढ़ जिला पुलिस में पदस्थ पुलिस जवान प्रदीप ईजारदार अपने विशिष्ट कार्यशैली की वजह से अपने विभाग के अलावा समाज में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं।
प्रदीप इजारदार छ ग पुलिस में सेवा करने के अलावा एक स्पोर्ट्स मेन भी है। आपने अपनी अचूक निशानेबाजी के बदौलत पुलिस विभाग सहित अपने शहर और राज्य का नाम राष्ट्रीय स्तर में कई बार रौशन किया है।
वर्तमान में आप *मिशन गौरैया* का हिस्सा बनकर हमारे बीच तेजी से विलुप्त होती इस नन्ही पक्षी प्रजाति के पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आप अपने थोड़े से वेतन में अपने घर की जरूरतों और खेल गतिविधियों के खर्चे के अलावा मिट्टी से बना एक बसेरा लोगों को मुफ्त में वितरित कर रहे हैं। ताकि हमारे बीच गौरैया की घटती जनसंख्या को अविलंब रोका जा सके।
इस मुहिम के विषय में श्री इज़ारदार बताते है कि *मिशन गौरैया 2023,हमारा मकसद गौरैया को घर प्रदान करना है,ताकि उनकी विलुप्त होती प्रजाति को रोका जा सके और उनकी जनसंख्या बढ़ने में मदद की जा सके।* गौरैया एक ऐसी पक्षी है,जो इंसानों के करीब बने घरेलू प्राकृतिक वातावरण में रहना पसंद करती है। लेकिन हमारे अंधे विकास की दौड़ ने गौरेया और इस जैसी दूसरी घरेलू पक्षियों का प्राकृतिक आवास छीनना शुरू कर दिया। गांव और शहरों के आसपास तेजी बढ़ता औद्योगिक करण,नगरीकरण और अन्य दूसरे प्रकार के विकास कार्यों के लिए हमने बड़ी संख्या में जंगल और पेड़ पौधे काटे हैं। आबादी के बीच स्थित यही पेड़ गौरेया चिड़िया का सहज प्राकृतिक आवास हुआ करते थे। पेड़ों की जगह हमने सीमेंट के जंगल खड़े कर दिए। इससे गौरेया का घर उजड़ने लगा।
सच कहें तो हमने अपना पक्का घर बनाने के चक्कर में इनका घर उजाड़ दिया। जिससे उनकी संख्या में काफी गिरावट आई।
वही खेतो में इस्तेमाल हो रहे रासायनिक कीटनाशक दवा का इस्तेमाल भी गौरेया की घटती संख्या के लिए बड़ी जिम्मेदार रही है। इधर हम 2G se 5G me पहुंच गए है,हमें हमारी चाही सारी सुविधा प्राप्त भी हो रही है। तो क्या हम अपने घरों में थोड़ा सा जगह इस नन्ही सी प्यारी चिड़िया को नही दे सकते है??
हमने हमारी सुविधाओं के लिए बड़ी संख्या में पेड़ काटे है यही पेड़ वन्य जीव_जंतुओं और पक्षियों का प्राकृतिक आवास हुआ करते थे । हमारे द्वारा उन्हे बुरी तरीके से उजड़ा गया है,संभवत: वो उन्हे अब हम वापिस नही कर पाएंगे। मेरा मानना है कि इन सभी विषयों के लिए हम सरकार को एक तरफा दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। कुछ जिम्मेदारी हमे भी पूरी करनी होगी। आइए आप हम सभी *मिशन गौरेया मुहिम* का हिस्सा बने और एक बसेरा अपने घर में अवश्य लगाएं।
- निःशुल्क सी.टी.टी. (महिला नसबंदी) अभियान को मिली रफ्तार, जिला अस्पताल सारंगढ़ बना भरोसे का केंद्र… - December 19, 2025
- जनपद सदस्य हीरा भैरवनाथ ने समाज को जोड़ने का दिया संदेश ….मानदेय की 20 प्रतिशत दिया समाजदान.. - December 19, 2025
- रेखा वैष्णव के नेतृत्व मे छत्तीसगढ़ वैष्णव महासभा रायगढ़ की महत्वपूर्ण बैठक सम्पन्न..बैठक मे प्रांतीय उपाध्यक्ष लखन दास वैष्णव एवं प्रांतीय युवा अध्यक्ष विश्वनाथ बैरागी की उपस्थिति.. - December 18, 2025

