पुलिस कर्मी के खिलाफ झूठी शिकायत करने वाली महिला पर विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज..

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जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़-पुलिस विभाग में पदस्थ मुकेश त्रिपाठी के घर दिनदहाड़े घुसकर पति-पत्नी को जान से मारने की धमकी देने के मामले में पुलिस ने जांच पूरी कर माननीय सीजीएम न्यायालय में विचारण के लिए गुरुवार को चालान पेश कर दिया ।

बता दें कि मंजू अग्रवाल के विरुद्ध 452,294,323,506 के तहत कार्यवाही की गई थी। किंतु जांच के उपरांत मंजू अग्रवाल के द्वारा साक्ष्य छुपाने के कारण भादवि की धारा 201 भी जोड़ा गया है।

गौरतलब है कि मंजू अग्रवाल के द्वारा मुकेश त्रिपाठी और उसकी पत्नी के ख़िलाफ़ आधारहीन शिकायत कोतवाली और उच्च अधिकारियों के समक्ष प्रस्तुत किया गया था। पुलिस ने जांच के दौरान पूरी शिकायत को झूठा पाया।जिसमें पुलिस को झूठी शिक़ायत पत्र देने के कारण पुलिस ने मंजू अग्रवाल के विरुद्ध धारा 182,211 के तहत कार्यवाही की गई है। पुलिस द्वारा जल्द ही माननीय न्यायालय में इस प्रकरण का भी इस्तगासा पेश किया जाएगा।

यह सवाल उठता है कि पुलिसकर्मी मुकेश त्रिपाठी पर लगे आरोपों की गंभीरता से जांच करने के बाद उन्हें निर्दोष पाया गया और झूठी शिकायत करने वाली मंजू अग्रवाल के खिलाफ वैधानिक कार्यवाही की गई लेकिन मुकेश त्रिपाठी की जगह अगर कोई आम आदमी होता तो क्या उसे भी इसी तरह न्याय मिलता ?? यह प्रश्न उठना इसलिए लाजिमी है क्योंकि अनेक बार बेकसूर लोग झूठे आरोपों के चलते शारीरिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित होते हैं और उन्हें न्याय दिलाने की बजाए सलाखों के पीछे भेज दिया जाता है।

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