सारंगढ़! “जोन बनाही रोड,हमन जियत भर देबो वोट”…..चाउर-समान बेच के सरकार ला देथन पैसा, फिर भी हमर संग सौतेला व्यौहार काबर करथा..? सारंगढ़ के जनप्रतिनिधियों से हज़ारों ने की विनम्र अपील…!

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जगन्नाथ बैरागी

(व्यंग्य)

पचपेड़ी – झरियापारा – सारंगढ़ बाज़ार पहुंच मार्ग की कच्ची और उबड़-खाबड़ सड़क से शराबी भाइयों मे बेहद नाराजगी…आस पास के ग्रामीण शराबी भाइयों का भी मिल रहा अपार समर्थन..!

रायगढ़। जहाँ जानवर नही जाते वहां पक्की सड़क और जो खुन पसीना के गाढ़ी कमाई सरकार के झोली मे भरता हो उनके साथ बेहद नाइंसाफी क्यों? सारंगढ़ शराब भट्ठी से दारु लेकर आते व्यक्ति ने झरियापारा – बाज़ार रोड पर कच्ची सड़क की वजह से पव्वा गिरने पर कहा। संयोगवश उसी समय हमारी मीडिया टीम फिल्ड करके पचपेड़ी से सारंगढ़ की ओर आ रहे थे। लम्बी दूरी तय करने की अपेक्षा शॉर्टकट पकड़ने जब हमने झरियापारा के रास्ते सारंगढ़ बाज़ार मार्ग होते तहसील ऑफिस जाने की सोची तो रास्ते मे एक शराबी भाई को गुस्से मे बडबडाते देखा, भाई का सायकल सड़क मे और भाई जमीन पर लेटे-लेटे ही उपर लिखित वाक्य बड़बड़ा रहा था। फिर क्या हमने तहसील की ओर रुख़ करने की बजाय अपनी बाइक उधर मोड़ी जहा राज्य के कर्णधारो की भीड़ थी अर्थात शराब भट्टी और चखना दुकानों की ओर।

अलग अविष्वसनीय नज़ारा –

वहाँ का नजारा ही अलग था, अहसास हुवा देश मे दो तरह के लोग समाज मे रहते हैँ। एक तरफ तथाकथित सभ्य कहे जाने वाले समाज जहाँ जात-पात,छुवा-छूत, ऊंच -नीच, पड़ोसियों मे जलन, परिवार मे झगड़ा… वही यहां एक और दुनिया थी जहाँ सब के चेहरे पर खुशी था, लोग दूर से ही किसी परिचित को जोर आवाज मे पुकार रहे थे,(हमे भी आमंत्रित किया गया पत्रकार साहब चलथे का कहकर), कोई किसी को जबरजस्ती थोड़ा और पी कहकर प्यार जता रहा था, तो कोई पैसा मै दूंगा कहकर प्यार भरी गुस्सा दिखा रहा था, तो कोई गाडी आज तेरा भाई चलाएगा कहकर जबरजस्ती चाबी छीन रहा था। ना अमीरों-गरीबों मे फर्क था। अंतर था तो बस ये की कोई प्लेन, कोई मशाला, कोई बीयर,कोई विस्की, कोई वोडका,कोई रम पी रहे थे, लेकिन सब मे एक समानता थी सब शराब के ही अलग अलग नाम थे।

कौन कहता है देश मे धर्म के नाम पर झगड़ा होता है कभी आइये भट्टी के चखना दुकानों मे जब सौरभ और इरफ़ान आपको साथ बैठकर प्यार झलकाते मिलेंगे, जब अंशु और रहमान एक दूसरे के जूठे पैमाने अपने होठों से लगाते फिरेंगे, जब मार्टिन और वीरा एक ही थाली मे खाते मिलेंगे तब लगता है की “बाकी दुनिया है बेमानी पी ले पी ले ओ मोर जानी”…!

सबकी समस्या अधूरे कच्ची रोड –

यूँ तो भट्ठी जाने के कई रास्ते हैँ, कुशल नगर, पचपेड़ी लेकिन दोनो रास्ते मे घुमाव ज्यादा पड़ता है और चिन परिचितों के देखने का डर सो अलग, जिससे हमारे हज़ारों मदिरा प्रेमियो को समय और पैसा अधिक व्यय करना पड़ता है। झरियापारा बाज़ार चौक मार्ग कुछ दूरी तक बेहद खराब है जिससे उच्च कोटी के शराबी भाइयों का कार नही चल पाता, सिर्फ उच्च कोटी ही नही हमारे मेहनतकश लेकिन फिर भी गाढ़ी कमाई से सरकार को गुप्त दान करने वाले सायकल मे गतिशील भाइयों की शीशी भी फुट जाती या, या छलक जाती है। जिससे उन्हे गुस्सा आना स्वाभाविक है। गुस्सा क्यों भी ना आये जब बेचारे देखते देखते 50 रुपये का प्लेन 80 मे ले रहा हो…जबकि हर सरकारी समाग्री वोट बैंक के लिए मुफ्त या कम दाम मे मिल रहा या, तो शराब जब प्राइवेट हाथो मे थी तब सस्ती अब सरकार के हाथों मे है तो महंगी क्यों? खैर इन्हे इस बात से भी सिकवा-गिला नही है। लेकिन सारंगढ़ के जनप्रतिनिधियों को आधा किलोमीटर कच्ची सड़क को पक्का या सीसी रोड बनवाने मे क्या अड़चन है ? शराबी भाइयों को समझ नही आ रहा।

रोड नही बना तो सरकारी शराब पीना कर देंगे बंद!-

कुछ शराबी भाइयों का मीडिया को कहना था की एक तरफ शराब महंगी, उपर से रोड खराब साथ ही महुवा शराब पीने और बेचने पर मनाही ऐसे मे हम करें तो करें क्या? अगर जल्द झरियापारा से बाज़ार रोड तक अधूरी सड़क नही बनी तो हमे मजबूरन शराब पीना बंद करना पड़ेगा। और फिर सरकार के राजस्व मे जो नुकसान होगा उसके लिए सरकार के जनप्रतिनिधि ही जिम्मेदार होंगे

नोट- ज्ञात हो छत्तीसगढ़ में शराब दुकानों का संचालन छत्तीसगढ़ सरकार का आबकारी विभाग ही करता है, सारंगढ़ और बरमकेला के शराब दुकानों मे मिलावट का खेल के पर्दा भी खुल चुके हैँ।

जनप्रतिनिधियो से विनम्र अपील –

सारंगढ़ के सभी जनप्रतिनिधियो से अपील की गयी है की आधे अधूरे सड़क को जल्द पूर्ण करने की कृपा करें ताकि आगामी विधानसभा चुनाव आने से पहले सभी मदिराप्रेमियों का आशीर्वाद और वोट प्राप्त हो सके…

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