सरिया: पूजेरीपाली में स्थित है 600 साल पूर्व का चमत्कारी शिवलिंग..कितना भी जल डालिए भरता नहीं शिवलिंग…भीषण गर्मी में भी कुआँ हमेशा रहता है भरा…

सारंगढ़:नगर पंचायत सरिया की सीमा पर स्थित ग्राम पुजेरीपाली और पंचधार आपस में हैं, जहां महादेव और माँ बोराइसेनी का मंदिर स्थित है। अनुसार पंचधार में इस मंदिर का कण एक ही रात में होना था। लेकिन केंवट जाति की एक महिला ब्रह्म में उठकर ढेंकी से अनाज कूटने लगी। उसकी आवाज शिल्पी विश्ककर्मा देव तक पहुंच गई और लोग जाग गए। गया। इसी कारण इस मंदिर को इसके चलते मंदिर का निर्माण अधूरा रहा केंवटिन देऊल महादेव मंदिर कहा जाता है। सावन के सोमवार को यहां जलाभिवेक के लिए भक्तों की भोड़ उमड़ती है। स्थानीय लोग इस मंदिर को पाताल से जुड़ा मानते हैं। पूजा विधान में शिवलिंग करते हुए जल भराव की कोशिश की जाते है, लेकिन आज तक शिवलिंग में जल भराव नहीं हो पाया है। मंदिर परिसर में स्थित एक कुआं गर्मी में भी नहीं सूखता मंदिर के पास बैठे लोगों ने बताया कि मंदिर का निर्माण एक ही रात में होना था, लेकिन की आवाज के कारण गुंबद का निर्माण अधूरा रहा गया। गांव वालों का कहना है कि खेतों को जुताई के दौरान सोने पुरातात्विक मुर्ति मिलती है जिन्हें भारत के संग्रहालय में रखा गया है। मंदिर के पुनारो अभिमन्यु गिरी गोस्वामी ने बताया कि इनकी तीसरी पीढ़ी इस मंदिर में सेवा देर रहे है। यह मंदिर भगवान विश्वकर्मा द्वारा एक रात में निर्मित है और गर्भगृह में भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग स्वयंभू है।जनश्रुति अंतिम में हुई स्वर्ण वर्षा का क्षेत्र जनश्रुति के अनुसार पुजारीपाली क्षेत्र में अंतिम में स्वर्ण वर्षा हुई थी यहां के नागरिकों को टिकरा क्षेत्र में उद्यान फसल उड़ान मूंगफली आदि की खुदाई के दौरान स्वर्ण के टुकड़े मिले हैं पुजारीपाली के लोग इस बात को स्वीकार करते हैं।
अधिष्ठान में खुर कुंभ क्लास पट्टी और कपोत से बने कई साचे केवटिन देऊल महादेव मंदिर पूर्व की ओर मुख वाला है इसमें चकोर का गर्भ ग्रह अंतराल और एक मुख मंडल है मुख मंडल आधुनिक निर्माण है मंदिर ईटों से बना है दरवाजा का फ्रेम छोड़कर इसका विवान पंचरत्न पैटर्न का अनुसरण करता है अधिष्ठान में खूर कुंभ कलश अंतर पट्टी और को कपोट से बनी आकृतियां है कुंभ सांचे पर चंद्र साल की आकृतियां है। कलश को पत्तों की आकृतियों से सजाया है जहां को दो स्तरों में विभाजित किया है जिन्हें मन सच द्वारा अलग किया है मुझे स्तर पर माला रात में गहरा अलग कंट्रास्ट पर अधूरे चंद्रशाला रूपांक है और प्रतीर्थों पर आयताकार उभार है कुछ स्थानों पर अगले और अन्य क्षेत्रों में अल्प विकसित डिजाइन देखे जा सकते हैं शिखर पर उड़ीसा के मंदिरों प्रभाव स्पष्ट है जो इस क्षेत्र की भौगोलिक निकटता के कारण स्वाभाविक है।


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