Exit Poll 2024: क्या होता है एग्जिट पोल, यह Opinion Poll से कैसे होता है अलग, मतगणना से पहले कैसे पता चलता है किसकी बन सकती है सरकार, यहां जानिए हर सवालों के जवाब..

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के सातवें और आखिरी चरण का मतदान 1 जून को है. इस फेज में 7 राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश को मिलाकर कुल 57 सीटों पर मतदान होना है.
वोटिंग खत्म होते ही सभी लोगों की निगाहें चुनाव के नतीजों को जानने पर होगी. लोकसभा की 543 सीटों में से 542 के रिजल्ट 4 जून 2024 को घोषित किए जाएंगे. गुजरात के सुरत लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार मुकेश दलाल पहले ही निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं.
हालांकि रिजल्ट से पहले अलग-अलग मीडिया चैनलों और सर्वे एजेंसियों की तरफ से एग्जिट पोल (Exit Poll) निकाले जाते हैं. इस पोल के जरिए यह अनुमान लगाया जाता है कि किस पार्टी की सरकार बन सकती है, किस दल को कितनी सीटें मिल सकती हैं? अधिकतर बार एग्जिट पोल का रिजल्ट और असली रिजल्ट काफी हद तक एक जैसा होता है. एग्जिट पोल की तरह ही ओपिनियन पोल भी निकाला जाता है. आज आइए जानते हैं ये दोनों कैसे एक-दूसरे से अलग होते हैं और मतगणना से पहले ही ये सरकार बनने और बिगड़ने का दावा कैसे कर देते हैं?
क्या होता है एग्जिट पोल
एक तरह का चुनावी सर्वे एग्जिट पोल होता है. मतदान वाले दिन पोलिंग बूथों के बाहर अलग-अलग सर्वे एजेंसियां और न्यूज चैनलों के कर्मचारी मौजूद होते हैं. ये मतदान केंद्रों से अपना मत देकर बाहर निकलने वाले मतदाताओं से वोटिंग को लेकर सवाल पूछते हैं. इसमें उनसे पूछते हैं कि उन्होंने किसको वोट दिया है? इस तरह से हर विधानसभा या लोकसभा के अलग-अलग पोलिंग बूथों से वोटर्स से सवाल पूछे जाते हैं. मतदान खत्म होने तक ऐसे सवालों के बड़ी संख्या में आंकड़े एकत्र हो जाते हैं. इन आंकड़ों को जुटाकर और उनके उत्तर के हिसाब से अंदाजा लगाया जाता है कि जनता का मूड इस बार चुनाव में किस ओर है.
मतदान खत्म होने के बाद ही किया जाता है प्रसारण
मैथमेटिकल मॉडल के आधार पर ये निकाला जाता है कि कौन सी पार्टी को कितनी सीटें मिल सकती हैं. इसका प्रसारण मतदान खत्म होने के बाद ही किया जाता है. एग्जिट पोल कराने के लिए सर्वे एजेंसी या न्यूज चैनल का रिपोर्टर अचानक से किसी बूथ पर जाकर वोट देकर बाहर आ रहे लोगों से सवाल करते हैं. इसमें पहले से तय नहीं होता है कि वह किससे सवाल करेंगे.
आमतौर पर मजबूत एग्जिट पोल के लिए 30-35 हजार से लेकर एक लाख वोटर्स तक से बातचीत होती है. इसमें क्षेत्रवार हर वर्ग के लोगों को शामिल किया जाता है. किस पार्टी की सरकार बन रही है? किस पार्टी को कितनी सीटें मिलेंगी? इसका अनुमान एग्जिट पोल के जरिए लगाया जाता है. एग्जिट पोल में केवल मतदाताओं को ही शामिल किया जाता है.
ये एजेंसी और चैनल कराते हैं सर्वे
1. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया
2. टुडे चाणक्य
3. एबीपी-सी वोटर
4. न्यूजएक्स-नेता
5. सीएसडीएस
6. रिपब्लिक-जन की बात
7. टाइम्स नाउ-सीएनएक्स
8. न्यूज 18-आईपीएसओएस
कब जारी होंगे इस बार एग्जिट पोल
चुनाव आयोग ने जानकारी दी थी कि 19 अप्रैल 2024 को सुबह सुबह 7.00 बजे से 1 जून 2024 को शाम 6.30 बजे तक एग्जिट पोल पर प्रतिबंध रहेगा. इसके मुताबिक 1 जून को शाम 6:30 बजे के बाद ही एग्जिट पोल जारी किए जाएंगे. लोकसभा चुनाव 2024 के साथ ही चार राज्यों आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभा के चुनाव भी हो रहे हैं. इन राज्यों के एग्जिट पोल भी 1 जून को आएंगे. सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में मतदान हो चुका है. इन दोनों राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 जून को आ जाएंगे जबकि आंध्र प्रदेश और ओडिशा विधानसभा चुनाव के नतीजे 4 जून 2024 को आएंगे.
क्या होता है ओपिनियन पोल
ओपिनियन पोल चुनाव से पहले कराए जाते हैं. सर्वे एजेंसियां और न्यूज चैनल के कर्मचारी ओपिनियन पोल में सभी लोगों से बातचीत करते हैं. भले ही वो वोटर हों या नहीं हों. ओपिनियन पोल के नतीजे के लिए चुनावी दृष्टि से अलग-अलग क्षेत्रों के अहम मुद्दों पर जनता की नब्ज को टटोलने की कोशिश की जाती है. इसके तहत हर क्षेत्र में यह जानने का प्रयास किया जाता है कि सरकार के प्रति जनता की नाराजगी है या फिर उसके काम से संतुष्ट हैं.
एग्जिट पोल को लेकर क्या है गाइडलाइंस
हमारे देश में एग्जिट पोल की शुरुआत इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ पब्लिक ओपिनियन (आईआईपीयू) के प्रमुख एरिक डी कोस्टा ने की थी. एग्जिट पोल को लेकर हमारे देश में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थी. चुनाव आयोग ने आर्टिकल 324 के तहत 14 फरवरी 1998 की शाम 5 बजे से 7 मार्च 1998 की शाम 5 बजे तक एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के नतीजों को टीवी और अखबारों में छापने या दिखाने पर रोक लगा दी थी. 1998 के आम चुनाव का पहला चरण 16 फरवरी को और आखिरी चरण 7 मार्च को हुआ था.
1998 में पहली बार टीवी पर एग्जिट पोल का प्रसारण किया गया था. इसके बाद समय-समय पर चुनाव आयोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को लेकर गाइडलाइंस जारी करता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं. कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
दुनिया में सबसे पहला कहां कराया गया था एग्जिट पोल
दुनिया में सबसे पहले एग्जिट पोल अमेरिका में कराया गया था. यह 1936 में हुआ था. जॉर्ज गैलप और क्लॉड रोबिंसन ने किया था. इसके बाद ब्रिटेन में पहला एग्जिट पोल 1937 में कराया गया था. फ्रांस में पहला एग्जिट पोल 1938 में हुआ था. जर्मनी, डेनमार्क, बेल्जियम और आयरलैंड में चुनाव पूर्व सर्वे कराए गए.
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