नई दिल्ली

भारत का ऐसा किला जहां शाम होते ही मंडराने लगता है मौत का साया, सूरज ढलने से पहले नहीं लौटे तो…..

दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं जो किसी अजूबे से कम नहीं हैं। कुछ जगहें ऐसी हैं जहां आज भी रहस्य बना हुआ है। कुछ जगहों पर लोग डर के कारण नहीं जाते हैं. ऐसी ही एक जगह है महाराष्ट्र के माथेरान और पनवेल के बीच स्थित प्रबलगढ़ किला।

आज भी लोग शाम के बाद इस किले पर जाने से डरते हैं।

शाम होते ही प्रबलगढ़ किले पर मौत का साया छा जाता है। प्रबलगढ़ किले को कलावंती किला भी कहा जाता है। यह किला भारत के सबसे खतरनाक किलों में गिना जाता है। प्रबलगढ़ किला 2300 फीट ऊंची खड़ी पहाड़ी पर बना है। इस कारण किले में बहुत कम लोग आते हैं और जो आते हैं वे सूर्यास्त से पहले लौट जाते हैं।

ऊंची पहाड़ी होने के कारण यहां शाम होते ही डर लगने लगता है। ढलान के कारण यहां इंसान ज्यादा देर तक नहीं रुक सकता। यहां न तो बिजली है और न ही पानी की व्यवस्था. सूरज ढलते ही यहां मीलों तक सन्नाटा पसर जाता है। यह किला अपनी खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है, लेकिन इसे बेहद खतरनाक भी कहा जाता है।

किले को बनाने वाले राजा ने किले तक पहुँचने के लिए चट्टानों को काटकर कई सीढ़ियाँ कटवाईं, हालाँकि इन सीढ़ियों में न तो रस्सियाँ थीं और न ही रेलिंग। इन सीढ़ियों पर चढ़ने में व्यक्ति की हालत खराब हो जाती है। अगर आपने यहां जरा सी भी गलती की तो आप सीधे 2300 फीट नीचे खाई में गिर जाएंगे। जिसके कारण लोग अंधेरे में भी यहां आने से डरते हैं।

इस किले से गिरकर अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। इस किले का नाम पहले मुरंजन किला था, लेकिन छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल के दौरान, उनकी रानी कलावंती के नाम पर इसका नाम बदलकर कलावंती कर दिया गया।

इस ऊंचे किले से आप चंदेरी, माथेरान, करनाल और इरशाल किला देख सकते हैं। इस किले पर चढ़ने के बाद मुंबई का कुछ हिस्सा भी दिखाई देता है। अक्टूबर से मई तक यहां बहुत से लोग आते हैं। बरसात के दिनों में यहां चढ़ना बहुत खतरनाक होता है, इसलिए लोग बरसात के दौरान यहां आना बंद कर देते हैं।

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