रायगढ़

सारंगढ़/बरमकेला न्यूज़: “प्रबंधक बोला है किसानों से 200-300 ग्राम प्रति बोरी एक्स्ट्रा तौलो,जो मना करे उस किसान का धान मत तौलो..!” इस सेवा सहकारी समिति में अन्नदाताओं से की जा रही खुलेआम लूट..?

जगन्नाथ बैरागी

रायगढ़। किसान के लिए फसल उसकी संतान के समान होती है। लेकिन कुछ लोगो को किसानों कक दुख दिखाई नही देता। बरमकेला अन्तर्गत आने वाले सेवा सहकारी समिति साल्हेओना धान मंडी में प्रबंधक के दिशानिर्देश पर प्रति बोरी तौल पर किसानों से 200 ग्राम से 300 ग्राम धान अधिक मात्रा में लिया जा रहा है। तथा वहीं प्रबंधक की लापरवाही से किसानों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हमाल द्वारा मीडिया को बेझिझक बताया गया कि हमे प्रबंधक ने जिंदा तौलने (अधिक धान तौलने) का निर्देश फ़िया है और हम उन्ही के कहने पर किसानों से अधिक मात्रा में धान तौल रहे हैं। साल्हेओना में कुछ दबंग किसान तो प्रबंधक के चहेते बने हुए हैं, लेकिन गरीबो के दुख को सुनने वाला कोई नही ऐसा जान पड़ता है। शासन की निर्धारित नियमों को दरकिनार कर अव्यवस्था का आलम सर चढ़कर बोल रहा है लेकिन जिला के उच्च अधिकारियों और विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उदासीनता व निष्क्रियता के कारण अव्यवस्था फैला हुआ है? क्योंकि किसान अपनी खून पसीने की कमाई की धान बेचने के लिए खरीदी केंद्र साल्हेओना में पहुंच रहे हैं तो भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, उनसे अधिक मात्रा में धान देने को मजबूर किया जा रहा है। वहीं रशुखदार बड़े किसानों द्वारा अमानक धान प्रबंधकों से सांठगांठ कर खपाया जा रहा है।

खरीदी केंद्रों में निर्धारित मानकों को दरकिनार कर सांठगांठ के जरिए धान खरीदी का जीता-जागता उदाहरण सेवा सहकारी समिति साल्हेओना में देखने को मिला, क्योंकि
निर्धारित मानकों पर यहाँ धान खरीदी नहीं किया जा रहा बल्कि प्रबंधक की मनमानी कर धान खरीदी की जा रही वहीं प्रबंधक द्वारा अपने चहेतों के दम पर मंडी मेरा है और धान की क्वालिटी से आप लोगो को क्या करना है हमारे मंडी में मेरे हिसाब से धान ख़रीदा जाता और आप लोगो को जो करना है कर लेना इस तरह मिडिया को बोला गया है। इससे आप समझ सकते हैं की यहां किस तरह से भ्रटाचार किया जा रहा है।

प्रबंधक ने कबूला-

प्रबंधक कन्हैया लाल ने कबुला की उन्होंने ने ही 100-200 ग्राम अधिक तौलाई करने को कहा था।

डी आर सुरेंद्र गौड़ मीडिया का नही उठाते फोन,तो किसानों की सुनेगा कौन-

उप पंजीयक सुरेंद्र गौड़ को शायद इस बात की जानकारी मिल गयी थी, इसलिए उन्होंने फोन ही रिसीव नही किया। जबकि उनका दायित्व बनता है कि ऐसे मौके में वे संवेदनशीलता का परिचय दें।
शायद प्रबंधकों का मनोबल भी उच्चाधिक्कारी बढाने में कोई कसर नही छोड़ रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *