रायगढ़: सट्टे पर सत्ता भारी! चंद रुपयों की प्रिंटेड भविष्य का सट्टा पर्चा बिक रहा हजारों में…

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रायगढ़ – सट्टा जो कभी चोरी-छिपे छिपकर चलता था अब “सैया भए कोतवाल तो डर कहे का” की तर्ज पर शहर के कुख्यात खाईवाल अपने गुर्गो के द्वारा सट्टा मटका का अवैध कारोबार खुलेआम संचालित कर रहे हैं। लगभग दो दशक पहले गिने चुने लोग इस जरायम पेशा को लुक चुप कर संचालित करते थे जिनके वर्तमान में राजनीतिक कद इतने बढ़ गए हैं कि अब वह खुलेआम सड़कों के किनारे पान ठेला सब्जी की दुकान अन्य गुमटीओ की आड़ में सट्टा खेलते देखा जाने लगा है। समय के साथ साथ शहर के नामचीन सटोरिए अपनी राजनीतिक कद को भी ऊंचा कर चुके हैं जबकि इनका जरायम पेशा बदस्तूर जारी है कुछ तो समाज को खोखला करने वाले यह जनप्रतिनिधि का चोला उड़ चुके हैं। बकायदा सब कुछ जानते हुए कुछ बेईमान अधिकारियों के बीच सटोरिए गुलदस्ता भेंट मुलाकात की तस्वीरें अक्सर देखने को मिलते रहती है। इतना ही नहीं कई थानों में तो सटोरिए और सटोरियों के गुर्गे अधिकारी के चेंबर में अक्सर बैठे दिखते हैं। कुछ दलाल नुमा सटोरियों के गुर्गे सट्टे के साथ-साथ दलाली में ही अपने घर का रोटी दाल चलाते हैं तथा थाने में आए पीड़ित और आरोपी दोनों से दलाली करते जाने जाते हैं। कुछ ग्रामीण क्षेत्रों से आए लोग तो दलाल को ही प्रभारी समझ बैठते हैं। शिकायत और खबर प्रकाशन होने के बाद किरकिरी होने पर पुलिस जनाक्रोश न हो इसलिए इक्का दुक्का बलि के मरियल बकरों पर कार्यवाही कर इस मामले को इतिश्री कर दिया जाता है।

लेकिन एक कहावत है…

सैयां भए कोतवाल , तो डर काहे का।

जिले में कुछ ऐसा ही चल रहा है, सट्टा मटका के बाजार में बड़े ही ताम झाम के साथ खुलेआम धड़ल्ले से संचालित हो रहा है। शिकायत और खबर लगने पर 2-4 पिद्दो को पकड़कर खुद का गुणगान करती है लेकिन गुर्गों के सरगना के गिरेबान पर हाथ डालने में पता नहीं क्यों हाथ कांपते हैं। कोई एकाध इमानदार पुलिसवाला अगर जोर लगा कर सरगना के दरवाजा पीटने लगे तो कुछ ही समय में ईमानदार पुलिस वाले की मोबाइल पर फोन की घंटियां खनखनाने लगती है और ईमानदार पुलिस वाले को हासिल तो कुछ नहीं होता अलबत्ता जब पुलिस विभाग के आला अधिकारियों का दरवाजा सत्ता द्वारा खटखटाने के बाद फिर से सट्टा खाईवाल को अभयदान प्राप्त हो जाता है।।
चंद रुपयों की प्रिंटेड भविष्य का सट्टा पर्चा बेच रहे हजारों में…

रेलवे बंगला पारा में सटोरियों को लुभाने के लिए एक निश्चित मोटी रकम लेकर आगामी दिनों में आने वाली सट्टा अंकों की लिखी हुई ( भविष्य का लक्की नं ) सट्टा चार्ट उपलब्ध कराई जाती है। जानकार बताते हैं कि शहर में यह चंद रुपयों की प्रिंटेड सट्टा पर्चा हजारों में बेचने का काला कारोबार कई लोगो द्वारा लंबे समय से जारी है जिसमे रेल्वे बांग्लापारा मुख्य स्थान है।।

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