सारंगढ़

बाबा डॉ भीमराव अंबेडकर की 132 वां जयंती धूमधाम से संपन्न…स्वतंत्रता दान में मिलने वाली वस्तु नहीं है इसके लिए हमें संघर्ष करना पड़ेगा – उत्तरी….

सारंगढ़ । डॉ,.भीमराव अंबेडकर प्रतिमा स्थापना समिति और क्रांतिकारी शिक्षक संघ के बेनरतले नगर के जनपद पंचायत कार्यालय के प्रांगण में आदमकद बाबा डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित की गई । माल्यार्पण के दरमियान लोकप्रिय विधायक श्रीमती उत्तरी गनपत जांगड़े, जनपद पंचायत अध्यक्ष श्रीमती मंजू मालाकार , नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती सोनी अजय बंजारे, जिला शिक्षाधिकारी डेज़ी रानी जांगड़े, गणपत जांगड़ें प्रदेश, जिला कांग्रेस अध्यक्ष अरुण मालाकार, प्रदेशाध्यक्ष क्रांतिकारी शिक्षक संघ लैलुन भारद्वाज, जिला पंचायत सभापति विलास तिहारु सारथी, जिला पंचायत सभापति अनिका विनोद भारद्वाज, जिला पंचायत सभापति श्रीमती लहरें अन्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि की उपस्थिति में डा. अंबेडकर के आदम कद प्रतिमा में माल्यार्पण का कार्यक्रम संपन्न हुआ ।

कार्यक्रम के द्वितीय दौर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्रीमती उत्तरी गनपत जांगड़े विधायक सारंगढ़ कार्यक्रम की अध्यक्षता लैलुन भारद्वाज एवं विशिष्ट अतिथियों का पुष्पमाला एवं पुष्पगुच्छ से आत्मीय स्वागत किया गया ।स्वागत का यह कार्यक्रम काफी लंबा रहा । तत्पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति छात्राओं के द्वारा दी गई । इस दौरान बाबासाहेब अंबेडकर अमर रहे , जय भीम के नारों से परिसर गुंजायमान हुआ । अरुण मालाकार ने कहा कि – डॉ. अंबेडकर के विचारों को जन जन तक पहुंचाने और देश के संविधान को सांप्रदायिक , फासिस्ट ताकतों से बचाने और उसकी रक्षा करने का युवा संगठन को संकल्प लेने की बात कही । श्रीमती मंजू मालाकार ने कहा कि – छुआ छूत जैसी कुरीति को मिटाने में डां.भीमराव अंबेडकर की भूमिका महत्वपूर्ण रही ।डॉक्टर अंबेडकर का जन्म मध्यप्रदेश के महू नगर में 14 अप्रैल 1891 को महार परिवार में हुआ । उनके पिताजी का नाम रामजी और मां भीमाबाई थी जो उस वक्त दुनिया छोड़ गई । जब अंबेडकर 5 वर्ष के थे चाची मीराबाई ने उनकी परवरिश की । अंबेडकर बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के बालक थे ।

श्रीमती सोनी अजय बंजारे ने मंच को संबोधित करते हुए कहा 1907 में अंबेडकर ने मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने पर बड़ौदा के महाराज सयाजी राव गायकवाड ने प्रसन्न होकर ₹25 मासिक छात्रवृत्ति देना प्रारंभ किया । वर्ष 1912 में बीए पास करने पर बड़ौदा महाराजा ने अपनी फौज में लेफ्टिनेंट पर नियुक्त किया । बड़ौदा महाराज के यहां से नौकरी के दरमियान अचानक पिताजी की मृत्यु हो गई तो उन्होंने अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर महाराजा के छात्र वृत्ति से अमेरिका चले गए और वहां उन्होंने 1915 एमए की परीक्षा पास कियें । 1916 में पीएचडी की डिग्री प्राप्त की । 1930 में लंदन पहुंचकर डीएससी और बार एट ला की उपाधि प्राप्त की । लंदन में रहकर डॉक्टर अंबेडकर ने ब्रिटेन के संसदात्मक ,जनतंत्र स्वतंत्रता और उदारवादीता के मूल्यों का गहन अध्ययन कियें । श्रीमती अनिका विनोद भारद्वाज ने कहा कि – 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होते ही पंडित जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में बनी सरकार में स्वतंत्र भारत के प्रथम कानून मंत्री का पद संभाला । उन्होंने अपने समय में भारत के पुराने कानूनों में संशोधन करना चाहा , परंतु पंडित नेहरू से इस संबंध में मतभेद हो जाने के कारण वर्ष 1951 में ही अपने पद से त्यागपत्र दे दिए । आगे चल कर उन्होंने 4 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया और 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हो गया ।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक श्रीमती उत्तरी गनपत जांगड़े ने कहा कि – अंबेडकर जी भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री , महान मानवतावादी और सामाजिक न्याय के मुख्य वक्ता रहे हैं । वे भारतीय संविधान के शिल्पी , भारत गणराज्य के निर्माता, मानवीय अधिकारों के सबसे बड़े पैराकार, समाज में उपेक्षित पड़े हुए बहुसंख्यक लोगों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करने के लिए आजीवन संघर्ष करने वाले महामानव थे ।भारतीय संविधान में अल्पसंख्यकों , उपेक्षित समाज , महिलाओं, वंचितो सहित सभी के अधिकार सुरक्षित रखने वाले भारतीय महिलाओं के मुक्तिदाता, मनुष्य के पानी पीने के अधिकार के लिए आंदोलन करने वाले विश्व के प्रथम व्यक्ति रहे । डॉक्टर साहब ने 1920 में मूक नायक पत्रिका का प्रकाशन कर समाज की दशा का वर्णन कियें ।डॉक्टर साहब ने हिंदू को जगाते हुए उनमें चेतना का प्रकाश भर कर कहा कि- स्वतंत्रता दान में मिलने वाली वस्तु नहीं है, इसके लिए हमें संघर्ष करना पड़ेगा और उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया । जिला शिक्षा अधिकारी डेजी रानी ने कहा कि – डॉ भीमराव अंबेडकर की उपलब्धियां अतुलनीय रही है । इन्होंने एमए, एमएससी, डीएससी, एलएलबी, डिलीट बार एट लां, पीएचडी डिग्री सहित विविध विषयों के जानकार रहे हैं । वह एकमात्र भारतीय हैं जिनकी प्रतिमा लंदन संग्रहालय में कार्ल मार्क्स के साथ लगी हुई है । दुनिया भर में स्थापित उनकी प्रतिमा उन पर किताबें , रिसर्च, अनुयायियों की संख्या करोड़ों में है ।

कार्यक्रम के अंत में प्रदेश अध्यक्ष क्रांतिकारी शिक्षक संघ लैलून भारद्वाज ने कहा कि – समता, स्वतंत्रता और भातृभाव पर आधारित बौद्ध धर्म भारत का प्राचीन धर्म है । बाबा साहब ने बौद्ध धर्म को भारत में पुनरुद्धार करने का कार्य किया । बाबा साहब बौद्ध धर्म के भारत में सर्वाधिक पवित्र ग्रंथ बुध्द एवं उनका धम्म के लेखक है साथ ही वे पुस्तकों के लिए 50,000 से अधिक पुस्तकों का संग्रह राज गृह बनवाने वाले प्रथम व्यक्ति थे ।10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म में दीक्षित हुए । लैलुन भारद्वाज ने कहा बैरिस्टर , प्राध्यापक, महान चिंतक, अर्थशास्त्री, लेखक, बोधि सत्व बाबा साहब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर कहते थे कि – एक रोटी कम खाओ अपने बच्चों को अधिक से अधिक पढ़ाओ । कार्यक्रम के समापन दौरान स्वल्पाहार की व्यवस्था क्रांतिकारी शिक्षक संघ के द्वारा की गई थी कार्यक्रम में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस विभाग विशेष रूप से ड्यूटी रत थे । कार्यक्रम में विशेष रूप से महिलाओं के द्वारा नीली रंग की जो साड़ी पहनी गई थी वह कार्यक्रम को और रोचक बना रहा था ।

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